चीन-रशिया सहयोग ‘ब्राह्मोस’ में अडंगा नही होगा – रशिया के वरिष्ठ अधिकारी का बयान

नई दिल्ली – रशियाचीन का सामरिक सहयोग भारत और रशिया के संबंधों में अडंगा नही बनेगा, यह संदेशा रशिया ने दिया है| रशिया का चीन के साथ लष्करी सहयोग नही है और अगले समय के लिए भी ऐसा प्लैन ना होने की बात रशिया के भारत में नियुक्त उपराजदूत रोमन बाबुश्किन ने कही है| साथ ही भारत और रशिया का संयुक्त निर्माण होनेवालेब्राह्मोसमिसाइल अन्य देशों को प्रदान करने के विषय में किसी भी प्रकार की कठिनाई नही होगी, यह भी बाबुश्किन ने स्पष्ट किया| वियतनाम और फिलिपाईन्स जैसे देशब्राह्मोसकी खरीद करने की उत्सुकता दिखा रहे है और ऐसे में रशिया ने किया यह खुलासा काफी अहम है

फिलिपाईन्स नेब्राह्मोसकी खरीद ने के लिए उत्सुकता दिखाई है और अगले वर्ष के पहली या दुसरी तीमाही में इस से संबंधित समझौता भारत के साथ होगा, यह बयान फिलिपाईन्स ने किया था| इस पर चीन से प्रतिक्रिया प्राप्त होने की उम्मीद है| ब्राह्मोस यह वर्तमान के दौर का सबसे प्रगत मिसाइल समझा जाता है| भारत और रशिया ने ब्राह्मोस का संयुक्त निर्माण किया है और इसे अन्य देशों को प्रदान करने संबंधी निर्णय स्वतंत्र तरिके से किया जाता है| इस निर्णय पर रशियाचीन मित्रता का असर नही होगा, यह बात रशिया के उपराजदूत ने स्पष्ट की| रशिया की विदेशी नीति के अनुसार एक देश के साथ बने संबंधों का स्वतंत्रता से विचार होता है| इसमें दुसरे देशों के साथ बने संबंधों का विचार नही होता, यह बात उपराजदूत बाबुश्किन ने स्पष्ट की|

साउथ चायना सीक्षेत्र के देश चीन की ताकत के डर में है और इससे बाहर निकलने के लिए इन देशों ने अमरिका और जापान जैसे देशों के साथ सहयोग शुरू किया है| यह देश भारत की ओर भी काफी उम्मीद से देख रहे है| इससे पहले वियतनाम ने ब्राह्मोस प्रदान करने की मांग भारत से की थी| अब फिलिपाईन्स भी ब्राह्मोस की खरीद करने में रुचि दिखा रहा है| इनके अलावा अन्य दसबारह देश भी ब्राह्मोस की खरीद में रुचि दिखा?रहे है और इस बारे में भारत और रशिया की बातचीत होने की खबरें भी प्राप्त हो रही है| ऐसी स्थिति में ब्राह्मोस संबंधी रशिया के उपराजदूत ने किया बयान सूचक समझा जा रहा है|

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