‘चीन भारत की संप्रभुता का आदर करें’ : विदेशसचिव एस. जयशंकर

नई दिल्ली, दि. १८: ‘चीन और पाकिस्तान के बीच का कॉरिडॉर प्रकल्प भारत का संप्रभुत भूभाग ‘पीओेके’ से होकर जा रहा है| इसी कारण भारत इसके खिलाफ है| चीन यह अपनी खुद की संप्रभुता के बारे में अधिक से अधिक संवेदना प्रकट करनेवाला देश है| ऐसे चीन ने भारत की संप्रभुता का आदर करना चाहिए, ऐसी हमारी अपेक्षा है’, ऐसे स्पष्ट बयानों में विदेशसचिव एस. जयशंकर ने भारत की भूमिका पेश की|

चीन और पाकिस्तान के बीच का कॉरिडॉर प्रकल्प

नई दिल्ली में आयोजित किये गये ‘रायसेना डायलॉग’ इस परिषद में जयशंकर बात कर रहे थे| ‘भारत के उदय से चीन को किसी भी स्वरूप का ख़तरा नहीं है, यह बात हम चीन को समझाने की कोशिश कर रहे है’ ऐसे जयशंकर ने इस दौरान स्पष्ट किया| ‘पाकिस्तान के कब्ज़ेवाला कश्मीर (पीओके) यह भारत का अविभाज्य भूभाग है| इस भूभाग से जानेवाले ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ प्रकल्प को इसी कारण भारत विरोध कर रहा है’ ऐसा स्पष्टीकरण जयशंकर ने दिया| लेकिन ऐसा होते हुए भी भारत और चीन के बीच के व्यापारी सहयोग व्यापक हो रहे हैं| साथ ही, दोनो देशों की जनर्ता का आपस में संवाद बढ रहा है, इसपर विदेशसचिव ने संतोष जताया|

भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता और मसूद अझहर पर की कार्रवाई इन मुद्दों पर चीन के साथ भारत की बातचीत जारी है, ऐसी जानकारी जयशंकर ने दी| आतंकवाद यह साँप जैसा है। जो भी आतंकवाद को पालता है, उसीको यह साँप डसता है, ऐसा कहते हुए ‘अझहर’ के मुद्दे पर भारत चीन के सामने अपनी भूमिका पेश कर रहा है, ऐसे विदेश सचिव जयशंकर ने स्पष्ट किया| ‘सार्क’ सदस्य देशों का आपस में सहयोग, सिर्फ़ अकेले पाकिस्तान ने पैदा की रुकावट के कारण रुका है, ऐसी चिंता इस वक्त एस. जयशंकर ने जतायी| साथ ही, पाकिस्तान जिसमें शामिल नहीं है, उस ‘बिमस्टेक’ क्षेत्रीय संगठन के भविष्य के बारे में जयशंकर ने आशा जतायी|

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