अमरीका की सेना वापसी के बाद अफगानिस्तान में प्रवेश करने की चीन की तैयारी

बीजिंग/इस्लामाबाद – अमरीका की सेना वापसी का फ़ायदा उठाकर चीन अफगानिस्तान पर वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी में जुट गया है। १२ से १६ जुलाई के बीच, चीन के विदेश मंत्री वँग ई तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और उझबेकिस्तान का दौरा करनेवाले हैं। अफगानिस्तान का मुद्दा इस दौरे के केंद्र स्थान में रहेगा। चीन अफगानिस्तान में स्थिरता स्थापित करके क्षेत्रीय शांति निश्चित करेगा, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया। लेकिन अफगानिस्तान की तीन ट्रिलियन डॉलर्स की खनिज संपत्ती चीन को बुला रही है, ऐसे आरोप शुरू हुए हैं। साथ ही, अफगानिस्तान का इस्तेमाल करके मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए चीन की गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं। इसके लिए पाकिस्तान को इस्तेमाल करने की चीन की योजना है और पाकिस्तान ने भी, चीन के हुक्म पर अमल करने के लिए वह तैयार होने के संकेत दिए हैं।

अमरीका की सेना वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत आएगी, ऐसी चर्चा शुरू हुई है। अमरीका ने अफगानिस्तान से वापसी करने के कारण निर्माण हुई रिक्तता क्या चीन भर देगा, इसकी चर्चा विश्लेषक करने लगे हैं। चिनी वंश के विख्यात विश्‍लेषक गॉर्डन चँग ने तो, महासत्ताओं की दफन भूमि के रूप में मशहूर होनेवाले अफगानिस्तान के दलदल में अब चीन फसेगा, ऐसा दावा किया है। लेकिन अफगानिस्तान के हालातों का अंदाजा लेकर ही चीन इस देश में अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए ही चीन के विदेश मंत्री वँग ई तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और उझबेकिस्तान का दौरा करनेवाले हैं। इस दौरे में अफगानिस्तान में शांति को चीन सर्वाधिक प्राथमिकता देगा और इसके ज़रिए क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करेगा, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने किया। यहां इनके ये दावे जारी हो रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री शेख रशिद ने भी पत्रकार परिषद में, अफगानिस्तान को लेकर चीन की बहुत बड़ी योजना होने का ऐलान कर दिया। 

चीन ने ईरान में ४०० अरब डॉलर्स के निवेश का ऐलान किया है। अफगानिस्तान स्थिर और शांत हुए बगैर ईरान में चीन यह निवेश कर ही नहीं सकता, यह बताकर, अफगानिस्तान में चीन के हितसंबंध उलझे हुए हैं, ऐसा शेख रशिद ने घोषित किया। उसी समय, पाकिस्तान भी चीन की सहायता करेगा, ऐसा दावा शेख रशिद ने किया। इस कारण, पाकिस्तान के ज़रिए तालिबान का इस्तेमाल करके, चीन अफगानिस्तान में वर्चस्व स्थापित करेगा, यह स्पष्ट रूप में दिखाई देने लगा है। तालिबान ने भी, अफगानिस्तान में चीन के निवेश का स्वागत होगा, ऐसा घोषित किया था।

अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल करके इंधन और खनिज संपन्न मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार करने की चीन की महत्वाकांक्षा है। उझबेकिस्तान तक रेल पहुँचाकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान के जरिए उसे चीन को जोड़ने की योजना जल्द ही कार्यान्वित हो सकती है, ऐसा दावा पाकिस्तान के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री ने किया। इससे चीन की महत्वाकांक्षा अधिक स्पष्ट रूप से सामने आई। उसी समय, अफगानिस्तान में लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर्स इतनी प्रचंड खनिज संपत्ती होकर, उस पर चीन की नज़र है, यह बात छिपी नहीं है। लेकिन इसके लिए चीन अफगानिस्तान में लष्कर भेजने की गलती नहीं करेगा। उसके लिए पाकिस्तान को कॉन्ट्रैक्ट देकर, चीन उसे अपेक्षित होनेवाली बातें करवाएगा, ऐसा दावा कुछ विश्लेषक कर रहे हैं। उसी समय, अमरीका यह आसानी से होने नहीं देगी, क्योंकि उसके पीछे अमरीका की बहुत बड़ी साजिश है, ऐसा शक कुछ लोग ज़ाहिर कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.