लद्दाख की एलएसी पर बने तनाव के लिए चीन ज़िम्मेदार नहीं है – चीन के रक्षा मंत्रालय का दावा

बीजिंग – पूर्व लद्दाख की एलएसी पर चीन ने लष्करी ताकत का इस्तेमाल करके यहाँ की स्थिति बदलने की कोशिश करके देखी, ऐसा आरोप भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने किया था। इस पर चीन की प्रतिक्रिया आई है। भारत के रक्षाबलप्रमुख ने किए ये दावे गलत हैं, ऐसा चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सिनिअर कर्नल वु क्विआन ने कहा है। लद्दाख की एलएसी पर बनी परिस्थिति के संदर्भ में चीन की भूमिका बहुत ही स्पष्ट है और यहाँ की परिस्थिति के लिए चीन ज़िम्मेदार नहीं है, ऐसा दावा क्विआन ने किया है।

१५ अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित रायसेना डायलॉग इस सुरक्षाविषयक परिषद को संबोधित करते समय, जनरल बिपीन रावत ने सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित करनेवाले बयान किए थे। पूर्वी लद्दाख में घुसपैंठ करके अपना लष्करी सामर्थ्य और अत्याधुनिक तंत्रज्ञान इनके बल पर भारत को पीछे धकेला जा सकता है, ऐसा चीन को लग रहा था। अपने दबाव के सामने भारत झुकेगा, ऐसी धारणा चीन ने बना ली थी। लेकिन भारतीय सेना इस क्षेत्र में चीन के लष्कर के सामने दृढ़तापूर्वक खड़ी रही। भारतीय सेना को पीछे हटाया नहीं जा सकता ऐसा सिद्ध हुआ, ऐसा जनरल रावत ने कहा था।

उनके इन बयानों का हवाला देकर, चीन के रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित की जानेवाली पत्रकार परिषद में इसपर कुछ लोगों ने सवाल उपस्थित किए थे। सिनिअर कर्नल वु क्विआन ने उन्हें जवाब दिया। भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल रावत लिखिए यह दावे बेबुनियाद हैं, लद्दाख की एलएसी पर बनी परिस्थिति की जिम्मेदारी चीन पर नहीं थोप सकते, ऐसा कर्नल क्विआन ने कहा है। फिलहाल एलएसी पर हालात सामान्य बने होकर, भारत ने उसपर संतोष ज़ाहिर करना चाहिए, ऐसा भी क्विआन ने आगे कहा। इससे पहले भी, लद्दाख की एलएसी पर तनाव खत्म हुआ है उस पर भारत संतोष जाहिर करें, ऐसी सलाह चीन द्वारा दी गई थी।

इसी बीच, चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस संदर्भ में किए बयानों में बहुत बड़ा विरोधाभास होने की बात सामने आ रही है। लद्दाख की एलएसी के क्षेत्र में चीन के लष्कर ने घुसपैठ नहीं की है ऐसा अगर चीन का कहना है, तो फिर भारतीय सेना ने अपने भूभाग पर अतिक्रमण किया ऐसा दावा चीन को करना पड़ेगा। लेकिन भारत पर वैसा आरोप करने के लिए चीन तैयार नहीं है। केवल भारतीय रक्षाबलप्रमुख का दावा बेबुनियाद है, ऐसा बताकर चीन इससे दूर भागने की कोशिश कर रहा है, यह इससे फिर एक बार सामने आया है।

बता दें, अभी भी लद्दाख की एलएसी के कुछ इलाकों में चीन के जवान तैनात हैं। जब तक वे भी यहाँ से वापस नहीं लौटते, तब तक एलएसी पर का तनाव कम नहीं होगा, ऐसा भारत ने बार-बार जताया था। लेकिन चीन ने उससे इन्कार किया है। उसके बाद भारत ने इस क्षेत्र में चीन को चेतावनी देनेवालीं गतिविधियाँ शुरू की हैं। भारत के लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पूर्वी लद्दाख और सियाचिन की भेंट करके, यहाँ की युद्धसिद्धता का जायज़ा लिया। इसके जरिए भारत द्वारा चीन को उचित संदेश दिया जा रहा है। लेकिन उस पर आक्रामक प्रतिक्रिया देकर भारत को दुखाना चीन फिलहाल तो टाल रहा है।

रक्षाबलप्रमुख जनरल रावत के बयानों पर भी चीन के रक्षा मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है, यह बात भी गौरतलब है। इससे पहले चीन ने एलएसी पर घुसपैंठ करने के बाद, भारत ने चीन के खिलाफ आक्रामक भाषा का प्रयोग करना टाला था। लेकिन लद्दाख की एलएसी पर गलवान वैली के संघर्ष के बाद भारत ने अपनी भूमिका में बदलाव किया होकर, भारतीय नेता, लष्करी अधिकारी ठेंठ चीन को चेतावनी देने लगे हैं। वहीं, सीमा विवाद का द्विपक्षीय संबंधों पर असर ना हों, ऐसी उम्मीद चीन ज़ाहिर कर रहा है। लेकिन एलएसी पर घुसपैंठ की कोशिशें जारी रखकर चीन भारत के साथ सहयोग कायम नहीं रख सकता, इसका एहसास भारत द्वारा करा दिया जा रहा है।

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