‘चीन को नेतृत्व करना है, तो लोकतंत्र का स्वीकार करना होगा’ : ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री की फटकार

सिंगापूर, दि. १४: ‘आंतर्राष्ट्रीय कानून और नियमों के अनुसार आपसी झगडे सुलझाने हों, तो दुनिया के शक्तिशाली देशों द्वारा लोकतंत्रव्यवस्था का स्वीकार किया जाना आवश्यक है, क्योंकि उससे बातचीत और समझौते जैसे व्यवहारों की जानकारी मिलती है| अगर आर्थिक स्तर पर नेतृत्व करने की क्षमता पानी है, तो लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ उपयुक्त साबित होती हैं, यह इतिहास ने दिखा दिया है’ ऐसे शब्दों में ऑस्ट्रेलियन विदेशमंत्री ने चीन को ज़बरदस्त फटकार लगायी है| ऑस्ट्रेलिया की मंत्री द्वारा किये गये बयानों पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया दी गयी है| चीन ने ऐसे बयानों को ‘हेकड़’ और ‘अस्वीकारार्ह’ कहते हुए नाराज़गी जतायी है|

ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री

सिंगापूर में हुए एक कार्यक्रम में, ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री ज्युली बिशप ने अमरीका, लोकतंत्र आदि का गौरव करते हुए चीन को निशाना बनाया| ‘अमरीका को इंडो-पॅसिफिक क्षेत्र में अनिवार्य सामरिक शक्ति के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए| अमरीका सिर्फ आशिया में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मुख्य सामरिक शक्ति रखनेवाला देश है और अमरीका तथा अन्य देशों में इस मामले में काफ़ी अंतर है|’ इन शब्दों में बिशप ने, ऑस्ट्रेलिया आशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमरिकी नेतृत्व का ही स्वीकार करेगा, ऐसे संकेत दिये|

अमरीका के स्थान को अधोरेखांकित करते हुए उन्होंने ‘आसियन’ देशों को लोकतंत्र का पुरस्कार करने का आवाहन भी किया| ‘दुनिया का हर देश अलग अलग रूपों में राजनैतिक सुधारों पर अमल करते हुए अगला रास्ता बनाता है| लेकिन इतिहास ने दिखाया है कि उदारमतवादी लोकतंत्र का स्वीकार करना यही आर्थिक समृद्धि और सामाजिक स्थिरता के लिए सबसे अच्छा रास्ता है| लोकतांत्रिक व्यवस्था न रहनेवाले चीन जैसे देश विद्यमान हालातों में प्रगती करते तो हैं, फिर भी विद्यमान आंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का मज़बूत आधार लोकतंत्र ही है, यह समझना चाहिए’ इन शब्दों में विदेशमंत्री बिशप ने चीन को फटकारा है|

ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री द्वारा ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था न रहनेवाला देश’ इस प्रकार किया हुआ चीन का उल्लेख चीन को काफ़ी अपमानास्पद लग रहा है| ‘चायना इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनॅशनल स्टडिज्’ के अभ्यासक वँग झेनयू द्वारा ऑस्ट्रेलिया की कडी आलोचना की गयी है| ‘इतनी हेकड़ी दिखाते हुए किसी की तरफ ऊँगली उठाना, यह एशियाई देशों का स्वभाव नहीं| यह बात ऑस्ट्रेलिया ने अभी तक जानी नहीं है| चीन का उल्लेख ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था न रहनेवाला देश’ इस प्रकार करना, यह चीन को क्षेत्रीय स्तर पर अलग करने का प्रयास है और यह बात अस्वीकारार्ह है|’ इन शब्दों में झेनयू ने कड़ा जवाब दिया|

अमरीकी विदेशमंत्री इस हफ्ते जापान, दक्षिण कोरिया और चीन की यात्रा पर दाखिल हो रही हैं| वहीं, नज़दीकी भविष्य में चीन के प्रधानमंत्री ली केकिआंग ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे| इस पृष्ठभूमि पर, ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री द्वारा चीन को फटकार लगायी जाना, यह ध्यान बटोरनेवाला साबित हो रहा है| चीन और ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के प्रमुख व्यापारी सहयोगी देश है और उनमें सामरिक स्तर पर सहयोग बढाने के प्रयास भी शुरू हैं|

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