अन्य मोर्चों पर प्राप्त विफलता छिपाने के लिए भारत के साथ युद्ध छेड़ने की चीन की चाल

China-India-Jinpingबीजिंग – बीते कुछ दिनों से चीनी सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कर रही कोशिश यानी चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की देश में बनी अनाज की किल्लत और अन्य बड़ी समस्याएं छिपाने की साज़िश है, यह दावा प्रसारमाध्यमों ने किया है। वर्ष १९६२ में भी चीन के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष माओ त्से तुंग ने अपनी विफलता छिपाने के लिए भारत से युद्ध किया था, इस ओर प्रसारमाध्यमों ने ध्यान आकर्षित किया है। कुछ महीने पहले ही भारत ने गलवान वैली में विश्‍वासघात करनेवाले चीन को बड़ा झटका दिया था। इसके बाद भी चीन की हरकतें जारी रहने से वर्ष १९६२ की गतिविधियां दोहराई जा सकती हैं, यह इशारा प्रसारमाध्यमों ने दिया है।

भारतीय सेना ने लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर जारी चीन की हरकतों पर करारा ज़वाब दिया है, यह जानकारी सामने आ रही है। गलवान वैली में लगा झटका और राजनीतिक एवं लष्करी स्तर पर चर्चा शुरू होते हुए चीन की यह हरकतें जारी हैं। नियंत्रण रेखा पर लगातार हो रहा टकराव भारत को युद्ध के लिए उकसाने की साज़िश का हिस्सा हो सकता है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। चीन में फिलहाल वर्ष १९६२ जैसी ही स्थिति निर्माण हुई है और उस समय के राष्ट्राध्यक्ष माओ ने अपना स्थान मज़बूत करने के लिए भारत से युद्ध करने का विकल्प चुना था, इस ओर विश्‍लेषक और प्रसार माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

कोरोना वायरस की महामारी के कारण फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की प्रतिमा को बड़े झटके लगे हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनाई विस्तारवादी नीति और इसके तहत वर्चस्व स्थापित करने के लिए जारी हरकतें, उनका छिपा चेहरा विश्‍व के सामने ला रहा है। साथ ही अमरीका के साथ हो रहा व्यापारयुद्ध, विश्‍व के विभिन्न देशों से लगाए जा रहे प्रतिबंध एवं कोरोना की महामारी की वजह से बदल रहे गणित का गंभीर असर चीनी अर्थव्यवस्था पर होने की बात दिखाई दे रही है। चीन की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बने निर्यात को जोरदार झटका लगा है और इसी दौरान चीन में अंदरुनि माँग में भी गिरावट होती दिखाई दे रही है। बीते कुछ महीनों में हुई भारी बारिश और बाढ़ की वजह से चीन में खेती का भी बड़ा नुकसान हुआ है और अनाज के उत्पादन में कुछ प्रतिशत गिरावट होने के संकेत हैं।

China-India-Jinpingइसी पृष्ठभूमि पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने स्वयं पहल करके जाया किए जा रहे अनाज और खाने (फुड वेस्ट) के खिलाफ मुहीम शुरू करना ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हो रहा है। ‘ऑपरेशन क्लीन प्लेट’ नामक मुहीम सात वर्ष पहले शुरू की गई ‘क्लीन युअर प्लेट’ कैम्पेन का दूसरा चरण होने की बात कही जा रही है। चीन के प्रसारमाध्यम जिनपिंग की यह मुहीम संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ‘फुड वेस्ट’ के मुद्दे पर चलाई अंतरराष्ट्रीय मुहीम के प्रावधानों का पालन करने के उद्देश्‍य से तैयार करने की बात कर रहे हैं। लेकिन, चीन से आ रही जानकारी अलग चित्र दिखा रही है। चीन में एक निजी कंपनी ने ऐसा सनसनीखेज दावा किया है कि, वर्तमान वर्ष में अनाज के उत्पादन में बीते वर्ष की तुलना में १.१२ करोड़ टन गिरावट होगी। साथ ही चीन ने बीते सात महीनों में करीबन २३% अधिक अनाज की आयात करने की जानकारी सरकार ने ही जारी की है। गेंहू की आयात १९७%, मकई की आयात २३% से अधिक होने की बात सामने आयी है।

China-India-Jinpingचीन में अनाज और सब्जी की किमतों में १३% और मांस एवं संबंधित उत्पादनों के कीमत में लगभग ८५% बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने कुछ महीनों पहले कोरोना की महामारी का ज़िक्र करते समय देश में अनाज की सुरक्षा के लिए विशेष योजना तैयार करने का ऐलान किया था। कोरोना की महामारी के बाद हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण चीन के गांवों की स्थिति काफी बिगड़ी हुई है और शहरों में स्थानांतरितों का मुद्दा दुबारा काफी बड़ी मात्रा में बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति चीन फिलहाल अनाज की किल्लत के साथ बड़े आर्थिक संकट से घिरा होने के संकेत दे रही है, ऐसे दावे प्रसारमाध्यमों में हो रहे हैं। इस संकट के पीछे राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की गलत नीति और फंसे हुए निर्णय ही प्रमुख कारण होने की बात समझी जा रही है।

बीते कुछ महीनों में शासक कम्युनिस्ट पार्टी के नेता, अधिकारी एवं सदस्यों ने जिनपिंग के खिलाफ की हुई आलोचना भी यही बात दिखा रही है। अपनी यही विफलता छिपाने के लिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की कड़ी कोशिश जारी है। इसी कारण भारत को युद्ध के लिए उकसाने का काम करके चीन की जनता में कथित राष्ट्रवाद जगाने की साज़िश जिनपिंग कर रहे हैं, यह दावा माध्यमों में हो रहा है।

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