अमरीका और भारत के अस्तित्व को चीन से खतरा – नामांकित अमरिकी विश्‍लेषक गॉर्डन चैंग

अमरीका और भारतवॉशिंग्टन – ‘कोरोना एक जैविक शस्त्र हो या ना हो, चीन इसका जैविक हथियार की तरह ही इस्तेमाल कर रहा है, इससे कोई भी इन्कार नहीं कर सकता। क्योंकि, यह संक्रमण शुरू होने से कम से कम पांच हफ्ते पहले चीन को इसकी पूरी कल्पना थी। यह जानकारी चीन ने विश्‍व के साथ साझा नहीं की’, ऐसें चुनिंदा शब्दों में नामांकित विश्‍लेषक गॉर्डन चैंग ने चीन पर जोरदार प्रहार किया। कोरोना संक्रमण होने से अमरीका में अबतक ४ लाख ८८ हज़ार से अधिक लोग मृत हुए हैं। इसके बावजूद अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन चीन के विरोध में सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार नही हैं, यह बात निराश करनेवाली हैं। अमरीका और भारत इन जनतांत्रिक देशों के अस्तित्व को चीन से खतरा है और इसी वजह से इसके विरोध में जनतांत्रिक देशों को संगठित होना ही चाहिये, ऐसी चेतावनी गॉर्डन चैंग ने दी।

‘डबल म्युटंट’ होनेवाला कोरोना का नया ‘स्ट्रेन’ नैसर्गिक कैसें हो सकता है? यह सवाल भी गॉर्डन चैंग ने ‘संडे टाईम्स’ को दिए साक्षात्कार के दौरान किया। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अबतक कई नरसंहार किए हैं। इस इतिहास पर अगर गौर करें, तो यह नया विषाणु चीन की हुकूमत ने जानबूझकर ही संक्रमित किया, यह बात स्वीकार करनी होगी। इसके लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराना ही होगा, ऐसा बयान चैंग ने किया। इस तरह का भयंकर अमानवी कृत्य करनेवाले चीन को कैसें रोकना हैं? इस सवाल पर गॉर्डन चैंग ने सीधे शब्दों में जवाब दिया। चीन को रोकना यह अब हमारे अस्तित्व का मुद्दा बना है, ऐसा कहकर चैंग ने इसकी अहमियत भी रेखांकित की।

चीन की भूमि से संक्रमित हुआ यह आखिरी विषाणु नहीं होगा। इसके बाद भी चीन इस तरह की हरकतें कर सकता हैं। इसे ध्यान में रखकर, चीन के साथ जारी व्यापारी संबंध तोड़ने जैसें सख्त निर्णय विश्‍वभर के देशों ने करने होंगे। साथ ही चीन में किया निवेश भी सभी देश हटाएँ। साथ ही, अपने देश में मौजूद चीन की सम्पत्ति जब्त कर दें और चीन के साथ जारी तकनीक और विज्ञान विषयक सहयोग भी खत्म करें, ऐसी सलाह चैंग ने प्रदान की हैं। इसके साथ ही चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत का अन्त करनेवाली नीति भी विश्‍व अपनाएँ, यह माँग भी गॉर्डन चैंग ने रखी है।

लेकिन, चीन संबंधित ऐसें सख्त निर्णय करने के बजाय, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन चीन को लेकर नर्म भूमिका अपना रहे हैं। ऐसा करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन अपने कर्तव्य से दूर हुए हैं, ऐसी तीखीं आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस नामांकित विश्‍लेषक ने की है। सत्ता हासिल करने के बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने फ़रवरी महीने में चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के साथ फोन पर दो घंटे बातचीत की थी। इस दौरान कोरोना का थोड़ा भी ज़िक्र नही किया, यह निराश करनेवाली बात बनती हैं। अमरीका में नरसंहार कर रहें चीन से यदि सवाल नहीं करते हैं, तो आपको अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बने रहने का अधिकार ही नही हैं, यह बयान करके गॉर्डन चैंग ने जोरदार प्रहार किया है।

अमरीका और अमरीका की जीवनशैली अब सुरक्षित नही रही, इसके अस्तित्व के लिए खतरा निर्माण हुआ है। इसके आगे अमरीका की स्वतंत्रता और सम्प्रभुता को मानकर नहीं चला जा सकता, यह संदेश गॉर्डन चैंग ने अमरिकी जनता को दिया है। यह खतरा मात्र अमरीका तक सीमित नही है। बल्कि, भारत जैसा जनतांत्रिक देश भी इसी तरह के खतरे का सामना कर रहा है। इन दोनों जनतांत्रिक देशों की ओर चीन बतौर शत्रु देख रहा है। चीन को विश्‍व में तानाशाही व्यवस्था स्थापित करनी है। इसी वजह से भारत और अमरीका को खत्म करना ही चीन की प्राथमिकता हैं। इसी वजह से चीन से निर्माण हुए खतरे के विरोध में अमरीका और भारत एकजूट करें, यह आवाहन गॉर्डन चैंग ने किया है।

एक अभ्यासगुट के लिए तैयार की रिपोर्ट में गॉर्डन चैंग ने, चीन को वैक्सीन की तकनीक प्रदान करने का निर्णय करके अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अबतक की सबसे बड़ी गलती की है, ऐसी टिपणी भी की है। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन यह तकनीक चीन के पैरों में रखकर शरणागत हो रहे हैं, यह आरोप चैंग ने लगाया है।

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