चीन-ईरान लष्करी सहयोग खाड़ी क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित होगा – अमरिकी अभ्यासगुट की चेतावनी

China-Iranवॉशिंग्टन – चीन ने ईरान में किया हुआ ४०० अरब डॉलर्स का निवेश और लष्करी सहयोग खाड़ी क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित होगा। इसके साथ ही, पर्शियन खाड़ी से लेकर हिंद महासागर क्षेत्र तक के अमरीका के हितसंबंधों को इस सहयोग से सबसे बड़ा ख़तरा होगा, यह चेतावनी ‘गेटस्टोन इन्स्टिट्युट’ इस अमरिकी अभ्यासगुट ने दी है। चीन ने इस निवेश का ऐलान करने से पहले, ईरान ने हिंद महासागर क्षेत्र को लेकर किया हुआ ऐलान भी अमरीका की चिंता में बढ़ोतरी करनेवाला साबित होता है, यह चेतावनी भी इस अभ्यासगुट ने दी है।

ईरान के ‘रिव्होल्युशनरी गार्डस्‌’ के नौसेना विभाग के प्रमुख एडमिरल अलिरेझा तांगसिरी ने पिछले महीने के अन्त में हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित बड़ा ऐलान किया था। सन २०२१ के मार्च महीने तक ईरान हिंद महासागर के क्षेत्र में स्वतंत्र लष्करी अड्डे का निर्माण करेगा, यह बात एडमिरल तांगसिरी ने घोषित की थी। विदेशी जहाज़ और समुद्री ड़कैती से अपने मछुआरों के जहाज़ों की एवं व्यापारी जहाज़ों की सुरक्षा के लिए यह अड्डा अहम साबित होगा, यह दावा तांगसिरी ने किया था। इसमें ‘विदेशी जहाज़ों’ का ज़िक्र, पर्शियन खाड़ी से हिंद महासागर के क्षेत्र तक गश्‍त करनेवाले अमरिकी युद्धपोतों के संदर्भ में किया गया था, यह बात इस अमरिकी गुट ने कही है। हिंद महासागर क्षेत्र में ठीक कहाँ पर इस अड्डे का निर्माण होगा, यह अभी ईरान ने स्पष्ट नही किया है। लेकिन, इस ऐलान के बाद मात्र दो दिनों में ही ईरान ने, चीन के चार सौ अरब डॉलर्स निवेश की जानकारी घोषित करके अलग ही संकेत दिए हैं, ऐसा इस अमरिकी अभ्यासगुट का कहना है।

अरबों डॉलर्स के इस सहयोग के तहत चीन व्यापारी और लष्करी कारणों के लिए ईरान के बंदरगाहों का इस्तेमाल करेगा। इसमें ईरान के छाबहार बंदरगाह का भी समावेश रहेगा, इस ओर अमरीकी अभ्यासगुट ने ध्यान आकर्षित किया। ऐसा होने पर पर्शियन खाड़ी से सफ़र करनेवाले अमरीका एवं मित्रदेशों के युद्धपोतों पर चीन की नज़र बनी रहेगी, यह चेतावनी भी इस अभ्यासगुट ने दी है। पर्शियन खाड़ी के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में भी अमरिकी युद्धपोतों की गतिविधियों के लिए चीन से ख़तरा बनता है, यह बात इस अभ्यासगुट ने रखी है। हिंद महासागर में ‘दिएगो गार्सिया’ इस सामरिक दृष्टि से अहम अमरिकी नौसेना अड्डे को चीन-ईरान के इस लष्करी सहयोग से सबसे बड़ा खतरा बनता है, यह बात भी इस अभ्यासगुट ने स्पष्ट की। चीन से प्राप्त हो रहें लष्करी सहयोग की वजह से खाड़ी क्षेत्र में ईरान की लष्करी ताकत में बढ़ोतरी होगी और इससे इस क्षेत्र में अमरीका के मित्रदेशों की सुरक्षा के लिए ख़तरा निर्माण होगा और साथ ही खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी, यह इशारा इस अभ्यासगुट ने दिया है।

China-Iranइसी बीच, ईरान में चीन से हो रहे अरबों डॉलर्स के निवेश पर पहले भी चिंता जताई गई थी। चीन के इस निवेश की वजह से ईरान नए से शस्त्रसज्ज होगा और खाड़ी क्षेत्र में हथियारों की स्पर्धा शुरू होगी, ऐसीं चेतावनियाँ पश्‍चिमी माध्यमों ने दी थीं। इसी बीच हो रहा चीन-ईरान लष्करी सहयोग, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के हितसंबंधों के लिए भी ख़तरा बन सकते हैं, ऐसे संकेत भी अमरिकी अभ्यासगुट के इशारे से प्राप्त हो रहे हैं।

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