नेपाल के भारत विरोध के लिए चीन का बहकावा – भारतीय सेनाप्रमुख

नई दिल्ली – नेपाल निश्चित रूप से किस बात के लिए विरोध कर रहा है, यही समझ में नहीं आ रहा है। शायद वे किसी दूसरे के कहने पर सवाल उपस्थित कर रहे हों, इन शब्दों में भारत के सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने, नेपाल की हरकतों के पीछे चीन का बहकावा होगा, ऐसें संकेत दिए हैं। भारत ने पिछले हफ्ते में चीन की सीमा से नज़दिकी क्षेत्र में नए रास्ते का उद्घाटन किया था। इस पर नाराज़गी व्यक्त करके नेपाल ने भारतीय राजदूत को समन्स थमाया था।

नई दिल्ली में एक अभ्यासगुट ने आयोजित किए कार्यक्रम में सेनाप्रमुख जनरल नरवणे ने नेपाल की हरकतों के मुद्दे पर अपनी भूमिका स्पष्ट की। नेपाल स्थित काली नदी का पूर्वीय हिस्सा नेपाल का और पश्‍चिमी ओर का हिस्सा भारत का क्षेत्र हैं। इसके बारे में किसी भी प्रकार का विवाद नहीं हैं और भारत ने बनाया रास्ता नदी के पश्‍चिमी ओर के क्षेत्र में है, यह कहकर भारतीय सेनाप्रमुख ने भारत और नेपाल के बीच असल में विवाद ही ना होने की बात स्पष्ट की।

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने ८ मई के दिन उत्तराखंड़ राज्य से हिमालय के ‘लिपुलेख पास’ को जानेवाले ८० किलोमीटर दूरी के रास्ते का उद्घाटन किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते समय नेपाल ने, यह भारत ने की हुई एकतरफ़ा कार्रवाई हैं और यह दोनों देशों के बीच के सामंजस्य का उल्लंघन साबित होता हैं, ऐसीं नाराज़गी जताई थी। इसके बाद नेपाल में स्थित भारतीय राजदूत को समन्स देकर नेपाल ने निषेध व्यक्त किया था। साथ ही, नेपाल जल्द ही नया नक्शा जारी करेगा और इसमें लिपुलेख समेत कालापानी और लिंपियधुरा क्षेत्र को नेपाल का ही हिस्सा दिखाया जाएगा, यह चेतावनी भी नेपाल के राष्ट्राध्यक्ष ने दी है।

नेपाल ने भारत के विरोध में दिखाई यह फिज़ूल की आक्रामकता यानी चीन की चाल हो सकती है, यह बात भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने किए बयान से सूचित हो रही है। अपने बयान से उन्होंने हालाँकि सीधे चीन का ज़िक्र किया नहीं हैं, लेकिन फ़िर भी पिछले कुछ वर्षों में चीन ने नेपाल में बढ़ाया प्रभाव देखें, तो सेनाप्रमुख का संकेत उसी दिशा में था, यह आसानी ने ध्यान में आता है।

भारतीय सेनाप्रमुख ने बयानों के पीछे, गत कुछ हफ़्तों में लद्दाख एवं सिक्किम में भारत और चीन की सेना के बीच हुए टकराव का संदर्भ है। चीन ने भारत को उकसाने के लिए सीमा से घुसपैंठ करने की कोशिश की थी। लेकिन, भारतीय सेना ने आक्रामकता दिखाकर चीन के नापाक इरादे नाकाम किए थे। इस वज़ह से बेचैन हुआ चीन, नेपाल एवं पाकिस्तान का इस्तेमाल करके भारत पर दबाव बनाने की चाल चलता दिख रहा है।

भारत के विरोध में नाराज़गी का सुर अलापनेवाले नेपाल ने, चीन ने पूरे ‘माउंट एवरेस्ट’ पर किए दावे के बाद भी अपेक्षित आक्रामकता प्रदर्शित नहीं की थी। यह बात नेपाल में बना चीन का प्रभाव रेखांकित करनेवाली साबित होती हैं। भारत इस बात का पूरी तरह से एहसास रखता हैं और सेनाप्रमुख जनरल नरवणे ने किया बयान इसी बात की गवाही दे रहा है।

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