साऊथ चायना सी, कोरियन क्षेत्र, जापान और तैवान के साथ तनाव की पृष्ठभूमि पर – चीन के रक्षा खर्चे में आठ प्रतिशत से अधिक बढ़ोत्तरी

बीजिंग: ‘युद्धसज्जता और लष्करी प्रशिक्षण के सभी क्षेत्रों में चीन की प्रगति जारी रहेगी। देश का सार्वभौमत्व, सुरक्षा और विकास से संबंधित हितसंबंध इनका निश्चित और दृढ़ता से रक्षण किया जाएगा। सुरक्षा संबंधित वातावरण में बाद पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं और उन बदलावों का सामना चीन को करना पड़ रहा है। इस पृष्ठभूमि पर चीन के रक्षा दल का नेतृत्व करने वाली सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संपूर्ण निष्ठा होना आवश्यक है। उसी समय सरकार व लष्कर और लष्कर व जनता इनके बीच एकजुट महत्वपूर्ण है और वह पत्थर की तरह मजबूत होनी चाहिए’, ऐसा वक्तव्य करते हुए चीन ने प्रधानमंत्री ली केकिआंग ने देश के रक्षा खर्चे में आठ प्रतिशत से अधिक बढ़ोत्तरी किए जाने की घोषणा की है।

चीन ने अपने रक्षा खर्चे में सुझाई हुई बढ़ोत्तरी पिछले तीन सालों की सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है। इस बढ़ोत्तरी के बाद चीन का रक्षा खर्च १७५ अरब डॉलर्स पर (१.१ लाख करोड़ युआन) जाने वाला है। पिछले वर्ष चीन ने रक्षा खर्चे में सात प्रतिशत से बढ़ोत्तरी करके उसे १५१ अरब डॉलर्स तक पहुँचाया था। नई बढ़ोत्तरी के बाद चीन दुनिया के सर्वाधिक रक्षा खर्च करने वाले देशों में दूसरे स्थान पर पहुंचा है। पाहिले स्थान पर विराजमान अमरिका ने अगले साल के लिए लगभग ७१६ अरब डॉलर्स का रक्षा खर्च प्रस्तावित किया है।

जनवरी महीने में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने, चीन विश्व स्तर के लष्कर का निर्माण करके महासत्ता बने, ऐसी महत्वाकांक्षा व्यक्त की थी। पिछले कुछ हफ़्तों में चीन ने लिए फैसले उसी दिशा में रखे ठोस कदम दिखाई देते हैं। फ़रवरी के पहले हफ्ते में चीन ने ‘साऊथ चायना सी’ में ‘सुखोई-३५’ इन प्रगत लड़ाकू विमानों को तैनात किया था। उसके साथ साथ ‘जे-२० स्टेल्थ फायटर’ चा हवाई दल के ‘कॉम्बॅट सर्विस’ में समावेश करने की घोषणा की थी।

इस तैनाती के बाद सिर्फ दो दिनों में, चीन ने समुन्दर में कार्यरत रहेगी. ऐसी प्रगत मिसाइल भेदी यंत्रणा विकसित करने की जानकारी सामने आई थी। उसके पहले ‘मिड कोर्स मिसाइल डिफेन्स सिस्टम’ का परीक्षण लेने की भी चीन की तरफ से घोषणा की गई थी। उसके बाद परमाणु बम से भी भीषण विनाश करने वाले ‘सॉल्टेड’ परमाणु बम के निर्माण के लिए चीन ने तेजी से तैयारी शुरू की है, ऐसी खबरें कई  मीडिया ने दी थी। कुछ दिनों पहले चीन ने ‘इलेक्ट्रोमॅग्नेटिक रेलगन’ विकसित करके उसका परीक्षण करने का दावा भी किया गया था।

अमरिका ने ‘आशिया-प्रशांत’ क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करने की वजह से चीन के लिए ‘साऊथ चायना सी’ और ‘पसिफ़िक’ समुद्री क्षेत्र महत्वपूर्ण बन गया है। इसीलिए रक्षा खर्चे का महत्वपूर्ण भाग चीन ने इस क्षेत्र में अमरिका के प्रभाव को रोकने के लिए निर्धारित किया है। इसमें ‘स्टेल्थ गायडेड मिसाईल डिस्ट्रॉयर’, ‘अँटी शिप मिसाईल्स’, ८० हजार टन भारी वजन का ‘टाईप ००२ एअरक्राफ्ट कॅरिअर’, ‘जे-३१ फाल्कन स्टेल्थ फायटर’, ‘कुनलॉन्ग अँफिबिअस एअरक्राफ्ट’ व ‘डीएफ-१७ हायपरसोनिक बॅलेस्टिक मिसाईल’ का समावेश है। इसके अलावा चीन ने इन दिनों नौसेना के पास की परमाणु पनडुब्बियों का ‘आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस’ तकनीक की मदद से आधुनिकीकरण करने के इरादे भी जाहिर किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.