चीन ने कोरोना की जानकारी विश्‍व से छिपाई – हाँगकाँग की महिला वैज्ञानिक का आरोप

वॉशिंग्टन – ‘कोरोना वायरस का फ़ैलाव मानवी संक्रमण से होता हैं, इस बात की पूरी जानकारी चीन के हाथ में थी। यह जानकारी सार्वजनिक करके कइयों के प्राणों की रक्षा करना मुमकिन होता। लेकिन, चीन ने यह जानकारी विश्‍व से छिपाकर रखी। चीन या हाँगकाँग के माध्यमों के सामने यदि इस बात को लेकर मुँह खोला होता, तो मेरी जान के लिए ख़तरा बना होता। क्योंकि, चीन की हुकूमत सच्चाई बयान करनेवालों के साथ क्या सुलूक़ करती है, यह मैं जानती हूँ। इसी कारण कोरोना की सच्चाई विश्‍व के सामने रखने के लिए मैं अमरीका भाग आयी हूँ’, यह घोषित करके हाँगकाँग विश्‍वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. ली-मेंग ने विश्‍व में सनसनी मचाई है। पिछले दो महीनों से अमरीका में पनाह लेकर रह रहीं डॉ. ली ने अमरिकी समाचार चैनल से बातचीत करके यह पूरी जानकारी सार्वजनिक की।

Lee-meng-yangचीन के क्विंगदाओ प्रांत में जन्मीं और पिछले कुछ वर्षों से हाँगकाँग के ‘स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ इस वैद्यकिय विश्‍वविद्यालय में बतौर वैज्ञानिक काम करनेवालीं डॉ.ली ने अमरीका की ‘फॉक्स न्यूज’ इस समाचार चैनल से की हुई बातचीत के दौरान, चीन कोरोना की सच्चाई छिपा रहा है, यह आरोप रखा। चीन की हुक़ूमत के साथ ही, इस देश के वरिष्ठ वैद्यकिय अधिकारी एवं वैज्ञानिक भी इस महामारी के फ़ैलाव के कारणों से ज्ञात थे। वहीं, जनवरी महीने के पहले सप्ताह में ही इस महामारी से संबंधित चेतावनी देनेवाली रिपोर्ट मैंने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रखी थी। लेकिन, वरिष्ठों ने मेरे संशोधन को अनदेखा किया और मुझे शांत रहने की सलाह दी थी, यह बयान डॉ.ली ने किया है।

कोरोना वायरस से संबंधित इस अनुसंधान के लिए मुझे चीन में कुछ डॉक्टर मित्रों ने सहायता की थी। इस महामारी का फ़ैलाव मानवी संक्रमण से होने की जानकारी मुझे इन्हीं डॉक्टर मित्रों ने दी थी। लेकिन, उनका नाम सार्वजनिक ना करें, यह शर्त इन मित्रों ने रखी थी। इनमें से कुछ मित्रों को अगले कुछ ही दिनों में गिरफ़्तार किया गया, कुछ मित्र लापता हुए। हाँगकाँग विश्‍वविद्यालय के मेरे वरिष्ठों ने भी मुझे ‘रेड लाईन’ का उल्लंघन ना करने की चेतावनी दी। ‘रेड लाईन’ यानी चीन की सरकार का कहीं भी ज़िक्र ना करें, यह चेतावनी मेरे ही वरिष्ठों ने मुझे दी थी। चीन की हुकूमत से जुड़ी सच्चाई विश्‍व के सामने सार्वजनिक करनेवालों के साथ चीन में कैसें सुलूक़ किया जाता है, उनकी आवाज़ कैसे दबाई जाती है, वे कैसे लापता होते हैं, इसकी जानकारी होने के कारण मैं अमरीका भाग आयी, यह जानकारी भी डॉ. ली ने इस दौरान साझा की।

अमरीका में पनाह लेने के बाद चीन द्वारा मेरी प्रतिमा मलिन की जा रही है। हाँगकाँग विश्‍वविद्यालय में मैंने किए अनुसंधान की जानकारी मिटाई जा रही है और मेरी वेबसाईट पर सायबर हमलें किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, बल्कि क्विंगादाओ में रहनेवाले मेरे माता-पिता को भी चीन की हुकूमत परेशान कर रही है। मैं चीन वापस लौटूँ इसके लिए मैंरे माता-पिता पर दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन, यदि मैं चीन वापस गयी, तो जीवित नहीं रह सकूँगी। आजतक चीन से जुड़ी सच्चाई विश्‍व के सामने रखनेवाला एक भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं रहा है’, इस बात की याद भी डॉक्टर ली ने दिलाई।

इसी बीच, चीन सरकार और हाँगकाँग विश्‍वविद्यालय ने डॉ. ली ने रखें आरोप ठुकराये हैं। लेकिन, चीन ने कोरोना की जानकारी छिपायी होने का आरोप रखनेवालीं डॉ. ली-मेंग यान ये पहली व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि इससे पहले चीन के वुहान शहर के डॉक्टर, वैज्ञानिक, लेखक, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी ऐसें ही आरोप रखें हैं। इनमें से कुछ लोग संदिग्ध तरीके से लापता हुए हैं और उनमें कोरोना से संबंधित सच्ची जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कोई भी सामने नहीं आ रहा है, ऐसें दावे किए जा रहे हैं।

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