‘भारत-चीन विवाद के सुलझने तक चीन सरकार ‘सीपीईसी’ परियोजना को रोकें’ : चिनी सरकारी अभ्यासगुट के विशेषज्ञ की सलाह

बीजिंग, दि. २९: ‘चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) परियोजना की वजह से यदि विवाद बढ़ते हैं और अन्य देशों को भी यदि इस परियोजना पर ऐतराज़ है, तो इस विवाद के सुलझने तक चीन सरकार को इस परियोजना का काम रोकना चाहिए| ‘सीपीईसी’ जैसी बहुराष्ट्रीय परियोजना पर काम करते समय सावधानी से आगे बढ़ना काफ़ी ज़रूरी है| ऐसी परियोजना में यदि समन्वय और समतोल नहीं बन रहा है, तो इस परियोजना को रोकना हितकारक साबित होगा, ऐसी सलाह चीन सरकार के अधिकृत अभ्यास गुट रहे ‘चायनिज अकॅडमी ऑफ सोशल सायन्स’ के (सीएएसएस) विशेषज्ञ ने चीन सरकार को दी है|

चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर

सीपीईसी’ परियोजना के तहत चीन के काशगर इस पश्‍चिमी प्रांत से होते हुए पाकिस्तान के ग्वादर बंदर तक विविध योजनाओं और सड़क महामार्ग का काम जारी है| तीन हजार किलोमीटर लंबाई की यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर (पीओके) से होकर जा रही है| इस वजह से भारत बार बार इस परियोजना पर ऐतराज़ जता रहा है| भारत सरकार के साथ साथ, पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर (पीओके) और बलुचिस्तान के लोगों द्वारा भी ‘सीपीईसी’ परियोजना को विरोध दर्शाया जा रहा है| इस विरोध को देखते हुए ५१ अरब डॉलर्स की यह परियोजना पूरी होगी या नहीं, इस संदर्भ में चीन को शक है|

इस वजह से चीन के महत्त्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) का हिस्सा रही इस परियोजना में शामिल होने का आवाहन चीन ने भारत को कई बार किया है| लेकिन अपने सार्वभौम भूभाग से होकर जानेवाली इस ‘सीपीईसी’ परियोजना को भारत ने कड़ा विरोध करने की भूमिका अपनाई है|

१४ मई को चीन ने ‘ओबीओआर’ बैठक का आयोजन किया था| इसमें शामिल होने के लिए चीन ने भारत को आवाहन किया था| लेकिन भारत ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी| चीन सरकार फिलहाल ‘सीपीईसी’ से पीछे हटने के मानसिक स्थिति में नहीं है| काराकोरम हायवे, ग्वादर बंदर और बिजली परियोजना में चीन इससे पहले ही अरबों रुपयों का निवेश कर चुका है|

लेकिन ‘ओबीओआर’ जैसीं बहुराष्ट्रीय परियोजनाओं को होनेवाले विरोध पर चीन के इस अभ्यासगुट ने चिंता जताई है| ‘सीएएसएस’ के विशेषज्ञ झँग युन्लिंग ने चीन सरकार को, ‘सीएएसएस’ परियोजना से संबंधित सभी मसलों का जब तक हल नहीं निकलता, तब तक यह परियोजना स्थगित करने की सलाह दी है| ‘सीपीईसी’ परियोजना के रास्ते में जो मेकांग नदी है, उस संदर्भ में भी कुछ समस्याएँ हैं| इन समस्याओं को एक एक करके सुलझाने के लिए चीन सरकार को प्राथमिकता देनी चाहिए, ऐसा भी युन्लिंग ने जताया।

किसी भी परियोजना के साथ जब अनेक देश जुड़ते हैं, तो किसी भी देश के हितसंबंध को ठेंस पहुँचेगी ऐसी स्थिति निर्माण नहीं होनी चाहिए| ऐसी बहुराष्ट्रीय परियोजना के प्रति सभी देशों की मंज़ुरी होनी चाहिए| परियोजना से संबंधित सभी देशों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए| यह जब तक नहीं होता, तब तक ऐसी परियोजनाओं को रोकना ही हित में है, ऐसा तर्क झँग युन्लिंग ने रखा है|

सीपीईसी’ परियोजना के प्रति विरोध के सुर चीन में ही दिखाई दे रहे हैं| लेकिन यह पहली बार नहीं है| पिछले साल चीन के सरकारी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के मुखपत्र में छपे एक लेख में भी चीन सरकार को ‘सीपीईसी’ को छोड़ने की सलाह दी गई थी| यह परियोजना चीन के लिए रणनीति के हिसाब से महत्त्वपूर्ण होगी| लेकिन पकिस्तान में जो अराजकता की स्थिति है उसे देखते हुए, चीन ने अपनी ताकत इस परियोजना के लिए गँवानी नहीं चाहिए| इसके बजाय अग्नेय एशियाई देशों की ओर ध्यान देना चाहिए, ऐसा ग्लोबल टाईम्स ने कहा था|

इसी बीच अब ‘ओबीओआर’ बैठक का आयोजन किया जानेवाला है| इस बैठक में श्रीलंका, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समेत एशिया के दस देशों के नेता उपस्थित रहनेवाले हैं, ऐसा कहा जा रहा है| रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतीन भी इस बैठक में शामिल होनेवाले हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है| लेकिन पश्‍चिमी देशों ने इस बैठक की ओर पीठ फेर दी है| इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि चीन के ‘ओबीओर’ के प्रति सबकी सहमति नहीं है| कुछ दिन पहले, ब्रिटन के संसद में संमत हुए एक प्रस्ताव में, ‘सीपीईसी’ परियोजना ग़ैरक़ानूनी है, ऐसा कहा गया था| इस पृष्ठभूमि पर, चीन के सरकारी अभ्यास गुट के विशेषज्ञ ने, ‘ओबीओआर’ बैठक के कुछ ही दिन पहले चीन सरकार को दी यह सलाह अहम साबित होती है|

 ‘सीपीईसी’ की वजह से पाकिस्तान में रोजगार निर्माण होने के दावे झूठे’ : पाकिस्तान के मंत्री ने कबूला

इस्लामाबाद, दि. २९: ‘सीपीईसी’ की वजह से पाकिस्तान की तस्वीर बदलेगी| पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में काफ़ी तेज़ी आयेगी| देश में लाखों रोजगार निर्माण होंगे, ऐसे पाकिस्तान सरकार के दावों को उन्हीं के एक मंत्री ने झूठा साबित किया है|

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ ने इससे पहले, ‘सीपीईसी’ की वजह से दस लाख रोजगारों का निर्माण होंगा, ऐसा दावा किया था| लेकिन इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में बात करते समय पाकिस्तान के योजना और विकासमंत्री आशन इक्बाल ने कहा कि ‘सीपीईसी’ की वजह से केवल ८५ हजार रोजगारों का निर्माण होगा| उनका यह दावा प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ के दावों को झूठलाने जैसा है| इसी के साथ ‘सीपीईसी’ की वजह से लाखो राजगार तैयार होने का दावा यह सरासर झूठी बात हैं, ऐसा स्पष्ट हो रहा है|

पाकिस्तान में भी ‘सीपीईसी’ परियोजना की आलोचना हो रही है| पाकिस्तानी मीड़िया और जानकारों द्वारा, ‘सीपीईसी’ का पाकिस्तान को असल में कितना लाभ होगा, ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं| ‘सीपीईसी’ परियोजना के लिए चीन पाकिस्तान में निवेश कर रहा है| इस निवेश की वजह से पाकिस्तान चीन का उपनिवेश बन रहा है, ऐसी आलोचना पाकिस्तान से ही की जा रही है| ‘सीपीईसी’ से संबंधित कई परियोजनाओं में केवल चीन का ही निवेश है| इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान को दिये ऋण का ब्याजदर भी अन्य देशों को दिए ऋणों के ब्याज़दर से ज़्यादा है| इससे पाकिस्तान चीन के कर्ज़ के जाल में फँसा जा रहा है, ऐसे दावें पाकिस्तान में से ही किये जा रहे है|

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