‘सीपीईसी’ के रक्षा के लिए चीन ने पाकिस्तान को दिये दो गश्तीजहाज़

कराची, दि. १५ : चीन लगभग ४६ अरब डॉलर्स खर्च करते हुए पाकिस्तान में विकसित कर रहे महत्त्वाकांक्षी ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ और ग्वादर बंदरगाह की रक्षा के लिए, चीन द्वारा पाकिस्तान को दो गश्तीजहाज दिये गये हैं| ये दोनों जहाज पाकिस्तान ने अपनी नौसेना के काफ़िले में शामिल किये होकर, चीन पाकिस्तान को ग्वादर की रक्षा का बहाना बनाकर और दो जहाज दे सकता है, ऐसा कहा जाता है| चीन ने पाकिस्तान को दिये हुए इन गश्तीजहाजों का भारतीय सागरी सीमा के आसपास विचरण करना, यह भारत के लिए चिंता का विषय होगा, ऐसा दावा किया जाता है|

Pak-NAVY-PMSA-1चीन में से काशगर शहर और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोडनेवाले तीन हजार किलोमीटर के ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) प्रकल्प की रक्षा की चिंता चीन को हमेशा सताती आयी है| इस प्रकल्प की वजह से चीन को खाडी देश, अफ्रिकी देश और युरोप के साथ व्यापार करने के लिए नया और सुलभ मार्ग उपलब्ध होगा| लेकिन बलुचिस्तान समेत गिलगिट-बाल्टीस्तान प्रांतों में इस प्रकल्प के खिलाफ तीव्र असंतोष का माहौल है|

इस प्रकल्प को होनेवाले विरोध को देखते हुए भारी-भरकम निवेश किया हुआ यह प्रकल्प पूरा होगा कि नहीं, इस संदर्भ में चीन भी साशंक है| इसी कारण कुछ ही दिन पहले, चीन के विशेष दूत ने अपनी पाकिस्तान भेट में, पाकिस्तान की सभी राजकीय पार्टियों को, ‘सीपीईसी’ को सफल करने के लिए इकठ्ठा आने का आवाहन किया था| इस पृष्ठभूमि पर चीन ने पाकिस्तान को जहाज़ दिये हैं|

‘पीएमएसएस हिंगोल’ और ‘पीएमएसएस बासोल’ नाम के ये जहाज़, लंबी दूरी पर हमला करनेवालीं तोपों से लैस है| ये दोनों जहाज़ पाकिस्तानी नौसेना में शामिल होने की वजह से पाकिस्तानी नौसेना की क्षमता बढ़ेगी, ऐसा दावा पाकिस्तान ने किया है| ग्वादर बंदरगाह में ये जहाज़ पाकिस्तान की नौसेना के व्हाईस ऍडमिरल अरिफुल्ला हुसेनी की उपस्थिति में चिनी अधिकारियों ने पाकिस्तान को सौंप दिये| इस वक्त, ‘चिनी जहाज़ों का पाकिस्तानी नौसेना में शामिल होना यह ऐतिहासिक बात है’ ऐसा दावा व्हाईस ऍडमिरल हुसेनी ने किया| ‘ये दोनो जहाज ग्वादर बंदरगाह और ‘सीपीईसी’ का हिस्सा रहनेवाले सागरी मार्ग की रक्षा के लिए तैनात रहेंगे’ ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया|

चीन ने पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह सिर्फ़ विकसित ही नहीं किया है, बल्कि अब चीन के पास ग्वादर बंदरगाह का पूरा नियंत्रण है| पिछले साल नवंबर महीने में इस बंदरगाह से मालपरिवहन शुरू किया गया था| इस बंदरगाह से, पूरी क्षमता में मालपरिवहन शुरू होने के बाद तथा पूरा ‘सीपीईसी’ मार्ग क्रियान्वित हो जाने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक सफलता  होगी, ऐसी पाकिस्तान को उम्मीद है|

‘सीपीईसी’ की ओर व्यूहरचनात्मक दृष्टिकोण से ‘गेम चेंजर’ के तौर पर पाकिस्तान देख रहा है| यह प्रकल्प पूरा होना यह पाकिस्तान के अस्तित्व का सवाल होने के कारण, पाकिस्तान भी इस प्रकल्प को सफल बनाने के लिए बड़ी मात्रा में कोशिश कर रहा है| ग्वादर बंदरगाह की रक्षा के लिए सेना के एक विशेष विभाग का भी निर्माण किया गया है और उनके पास इस बंदरगाह की रक्षा सौंपी गयी है|

इस दौरान, कुछ ही दिन पहले कराची बंदरगाह में चीन की एटमी पनडुब्बी तैनात होने की ख़बर सामने आयी थी| साथ ही, ग्वादर में चीन भविष्य में युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती कर सकता है| इस कारण, पाकिस्तान और चीन के बीच का यह बढ़ता सहयोग, भारत के सामने की सागरी चुनौतियों को और भी मुश्किल बनानेवाला साबित होगा, ऐसे माना जा रहा है|

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