अमरीका ने तिब्बत के लिए विशेष समन्वयक नियुक्त करने से चीन ने उगली आग

वॉशिंग्टन/ल्हासा – हाँगकाँग और तैवान के मुद्दे पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत पर दबाव बढ़ाने के बाद अमरीका ने तिब्बत के मुद्दे में हाथ ड़ाला है। अमरीका ने तिब्बत के लिए रॉबर्ट डेस्ट्रो को बतौर विशेष समन्वयक नियुक्त किया है। डेस्ट्रो की समन्वयक के तौर पर की हुई नियुक्ती यानी अमरीका ने तिब्बत के लिए विशेषदूत की नियुक्ती करने जैसा ही है, यह दावा भी किया जा रहा है। अमरीका के इस निर्णय पर चीन ने आलोचना की है और अमरीका तिब्बत में अस्थिरता निर्माण कर रही है, यह आरोप भी चीन के विदेश मंत्रालय ने लगाया है।

कुछ घंटे पहले ही संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव अधिकार कौन्सिल में चीन का चयन हुआ। इस कौन्सिल में चीन का चयन होना विवादित साबित हुआ है। अमरीका ने चीन के चुने जाने पर नाराज़गी व्यक्त की है और अगले कुछ घंटों में अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने तिब्बत के लिए विशेष समन्वयक के तौर पर डेस्ट्रो के नाम का ऐलान किया। अमरिकी विदेश मंत्रालय में जनतंत्र, मानव अधिकार और कामगारों के अधिकारों के उप-मंत्री रहे डेस्ट्रो इसके आगे तिब्बत के मानव अधिकारों की ज़िम्मेदारी भी संभालेंगे, यह बात पोम्पिओ ने स्पष्ट की। साथ ही तिब्बती जनता के अधिकारों को ट्रम्प प्रशासन प्राथमिकता देगी, यह बयान भी पोम्पिओ ने किया।

तिब्बत के लिए अमरीका ने विशेष समन्वयक नियुक्त करने का यह पहला अवसर नहीं है। इससे पहले भी अमरीका ने तिब्बत के लिए समन्वयक नियुक्त किया था। लेकिन, बीते कुछ महीनों से अमरीका और चीन के बीच निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर डेस्ट्रो की हुई नियुक्ती चीन के लिए इशारा होने का दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं। दो वर्ष पहले ट्रम्प प्रशासन ने तैवान में सांस्कृतिक केंद्र के लिए विशेष कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ती की थी, इस ओर भी माध्यम ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। इसी वजह से डेस्ट्रो की नियुती तिब्बत के समन्वय के तौर पर होते हुए भी वे बतौर विशेषदूत काम करेंगे, यह दावा किया जा रहा है।

इस पर गुस्सा हुए चीन ने अमरीका की कड़ी आलोचना की है। तिब्बत के लिए विशेष समन्वयक की हुई नियुक्ती चीन के अंदरुनि कारोबार में दखलअंदाजी है और तिब्बत को अस्थिर करने की कोशिश है, यह आरोप चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने किया। चीन इस नियुक्ती का विरोध करता है और डेस्ट्रो की नियुक्ती का कभी भी समर्थन नहीं किया जाएगा, यह बयान भी लिजियान ने किया है। इसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एवं अन्य अधिकारियों ने तिब्बत चीन से एकरूप होने का और वहां पर मानव अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है, यह बात साबित करने की कोशिश की।

इसी बीच, झिंजियांग, हाँगकाँग एवं तिब्बत की जनता के मानव अधिकारों का उल्लंघन कर रहे चीन का राष्ट्रसंघ की मानव अधिकार कौन्सिल में चयन होने से अमरीका के साथ कुछ प्रमुख देशों ने आलोचना की है। भारत में रहकर तिब्बत की सरकार चला रहे राष्ट्राध्यक्ष लॉबसैंग सांगेय ने भी चीन का इस कौन्सिल में चयन होना संयुक्त राष्ट्रसंघ की विश्‍वासार्हता पर सवाल करने की घटना है, यह फटकार लगाई है। इस दौरान सैंगे ने तिब्बत के साथ झिंजियांग, हाँगकाँग, इनर मंगोलिया और चीन के अन्य हिस्सों में कम्युनिस्ट हुकूमत के हो रहे अत्याचारों की याद भी दिलाई। साथ ही चीन में बदलाव लाएं वरना चीन विश्‍व में बदलाव लाएगा, यह इशारा भी सांगेय ने दिया।

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