‘कोरोना’ के ज़रिए जैविक युद्ध शुरू करने का आरोप चीन ने ठुकराया

बीजिंग, दि. १० (पीटीआय) – पाँच साल पहले ही तीसरे विश्वयुद्ध में जैविक शस्त्र के रूप में कोरोना के वायरस का इस्तेमाल करने की तैयारी चीन ने की थी, ऐसा सनसनीखेज दावा करनेवाले दस्तावेज अमरीका के हाथ लगे हैं। दुनियाभर में हाहाकार मचा रही कोरोना की महामारी यानी चीन ने छेड़ा जैविक युद्ध होने के आरोपों की इससे पुष्टि हो रही है। ब्राज़ील के राष्ट्राध्यक्ष बोल्सोनारो ने वैसे स्पष्ट संकेत दिए थे। फिलहाल अमरीका में आश्रय लिए हुए चीन के संशोधकों ने भी इन आरोपों की पुष्टि की है। इन आरोपों की तीव्रता भारी मात्रा में बढ़ी है, ऐसे में चीन के विदेश मंत्रालय ने ये आरोप सरासर झूठ होने का दावा किया।

China-biological-warfare-01-300x191चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने, अपने देश पर होने वाले आरोप सरासर झूठे हैं, ऐसा कहा है। अमरीका में कुछ लोगों ने चीन के कथित गोपनीय दस्तावेजों का हवाला देकर किए ये आरोप यानी उनमें वर्णित बातों का विपर्यास है अथवा यह चीन के विरोध में जहरीले प्रचार का भाग होगा, ऐसी आलोचना चुनयिंग ने की है। उल्टी अमरीका ही जैविक युद्ध पर संशोधन कर रही है, ऐसे आरोप चुनयिंग ने किए हैं। अमरीका ने दुनिया भर में ‘बायो रिसर्च’ अर्थात् जैविक संशोधन करने वाली सैकड़ों लैब्स बनाईं हैं, ऐसा दोषारोपण चुनयिंग ने किया। वहीं, दूसरी ओर चीन इस मोरचे पर ज़िम्मेदार देश होने का दावा चुनयिंग ने किया।

चीन के विदेश मंत्रालय से आई यह प्रतिक्रिया और बचाव अपेक्षित स्वरूप का है। लेकिन चीन पर हो रहे गंभीर आरोपों का संतोषजनक उत्तर चीन नहीं दे सका है। इससे पहले चीन की वुहान स्थित लैब में कोरोना के वायरस पर संशोधन जारी था, यह जानकारी चीनी संशोधिका ने जगज़ाहिर की थी। अमरीका में आश्रय लेने के बाद ही यह संशोधिका इस रहस्य को उजागर कर सकी। वहीं, कोरोना के वायरस के बारे में चीन की यंत्रणाओं को सावधानता की चेतावनी देनेवाले डॉक्टर संदेहास्पद तरीके से चीन से लापता हुए हैं।

सन २०१९ के अक्तूबर महीने में वुहान में यह महामारी फैली। उसके बाद काफी समय तक चीन ने इसकी जानकारी दुनिया के सामने नहीं आने दी। यह महामारी फैलने के बाद भी चीन उसके बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के लिए तैयार नहीं था। वहाँ से यह महामारी चीन के अन्य इलाकों में फैल गई और फिर दुनियाभर में उसका फैलाव शुरू हुआ। इसके बावजूद भी चीन ने, इस महामारी का उद्गम वुहान से होने की बात अमान्य की थी। इस कारण चीन अपनी विश्वासार्हता पूरी तरह गँवा बैठा है। अपनी राजनीतिक, आर्थिक और लष्करी ताकत का इस्तेमाल करके, चीन अपने विरोध में किए जानेवाले ये गंभीर आरोप दबाने की कोशिश कर रहा है, यह बार-बार स्पष्ट हुआ था।

China-biological-warfare-394x217कोरोना की महामारी के उद्गम की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ऐसी माँग करनेवाले देशों के विरोध में चीन ने सख्त कार्रवाई शुरू की थी। ऑस्ट्रेलिया ने वैसी माँग करने के बाद चीन ने उसके गंभीर परिणामों की चेतावनी देकर ऑस्ट्रेलिया पर व्यापारी प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन अब अमरिकी माध्यमों में जारी हो रहीं खबरों के कारण चीन पर दबाव भारी मात्रा में बढ़ा है। ब्राज़ील के राष्ट्राध्यक्ष जोस बोल्सोनारो ने, कोरोना की महामारी के दौर में, जी२० संगठन का सदस्य होनेवाले एक ही देश का जीडीपी बढ़ा है, इसपर ऊँगली रखी थी। यह देश यानी चीन होकर, ब्राज़ील के राष्ट्राध्यक्ष ने की आलोचना चीन का पर्दाफाश करनेवाली है। इसके कुछ ही दिनों बाद चीन के लष्करी अधिकारियों के, जैविक शस्त्रों का इस्तेमाल करने के संदर्भ में दावे दुनिया के सामने आए हैं।

पिछले साल भी अमरीका तथा युरोपीय देशों में, दुनिया को कोरोना की ‘भेंट’ देनेवाले चीन के विरोध में सख्त कार्रवाई की माँग शुरू हुई थी। अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने उस दिशा में प्रयास भी शुरू किए थे। लेकिन अमरीका में हुए सत्ता परिवर्तन के कारण यह मुहिम ठंडी पड़ गई। ऐसा होने के बावजूद भी, चीन ने ही जानबूझकर इस महामारी को सर्वत्र फैलाया, ऐसी धारणा दुनियाभर में फैली है। इससे दुनियाभर में चीन के विरोध में माहौल निर्माण हुआ होकर, बीजिंग के तिआनमेन स्क्वेयर में करवाए नरसंहार के बाद भी दुनियाभर में चीन को इतना विरोध नहीं हुआ था, ऐसा एक चीनी अभ्यासगुट ने ही अपनी सरकार को जताया था।

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