अमरिकी विदेश मंत्री के लैटिन अमरिका दौरे पर चीन की आलोचना

वॉशिंग्टन/बीजिंग: अमरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने लैटिन अमरिका के दौरे में चीन पर की हुई आलोचना सत्ताधारी कम्युनिस्ट राजवट के दिल पर लगी है, ऐसा दिखाई दे रहा है। पॉम्पिओ का दौरा ख़त्म होने के बाद चीनी मीडिया ने उनपर निशाना साधा है और अमरिकी मंत्री का वक्तव्य अज्ञान से आया हुआ और द्वेष भावना का हिस्सा है, ऐसी नाराजगी जताई है। पॉम्पिओ ने चीन का निवेश देश की जनता के लिए हमेशा ही अच्छा साबित होगा ऐसा नहीं है, इन शब्दों में चीनी निवेश की आलोचना की थी।

‘चीन जब सीधे क़ानूनी तरीके से और पारदर्शी रास्ते से निवेश करता है तब वह प्रतियोगिता होती है और अमरिका प्रतियोगिता का स्वागत करता है। लेकिन कई बार चीन की तरफ से हमेशा से अलग प्रकार के अनुबंध प्रस्तुत किए जाते हैं। वास्तव में वह जैसे दीखते हैं वैसे नहीं होते हैं। विशेषतः चीन के सरकारी उपक्रमों की तरफ से किए जाने वाले अनुबंध और योजनाएं पारदर्शी और स्थानीय जनता के हित में नहीं होते हैं’, ऐसा पॉम्पिओ ने ताना मारा है। इस तरह के अनुबंध किसी भी देश के लिए उचित नहीं हैं और अमरिका के नजर से इस तरह के प्रकार अयोग्य हैं, ऐसा पॉम्पिओ ने कहा है।

अमरिकी, विदेश मंत्री, लैटिन अमरिका, दौरे, चीन, आलोचनाचीन के लैटिन अमरिका के निवेश पर सीधी तरह से निशाना साधने वाले पॉम्पिओ के वक्तव्य चीन को अस्वस्थ करने वाले साबित हुए हैं। चीन की सत्ताधारी राजवट का मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अमरिकी विदेश मंत्री की कटु शब्दों में आलोचना की है। ‘ट्रम्प प्रशासन के नेताओं की तरफ से इसी तरह के गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य की अपेक्षा की जा सकती है। यह विधान सत्य अथवा तथ्य किसी पर भी आधारित नहीं होते हैं। सदर वक्तव्य अज्ञान और द्वेष भावना का हिस्सा दिखाई दे रहा है’, ऐसी आलोचना ग्लोबल टाइम्स के लेख में की गई है।

पॉम्पिओ ने की हुई आलोचना चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ को लक्ष्य बनाने वाली है। इस योजना के माध्यम से चीन अपना वैश्विक स्तर का प्रभाव बढ़ा रहा है और उसके लिए कई देशों को कर्जे के जाल में फांसने का आरोप किया जा रहा है। चीन ने इन आरोपों को नकारा है, फिर भी अमरिका और यूरोप ने चीन की इन कार्रवाइयों के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोला है। उसमें जापान, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश शामिल हुए हैं।

इस वजह से यूरोप, आशिया और अफ्रीका के कुछ देशों ने चीन की योजनाओं से पीछे हटना शुरू किया है। इस की वजह से जिनपिंग की महत्वाकांक्षा को जबरदस्त झटका लगा है। इससे सत्ताधारी राजवट में अस्वस्थता निर्माण हुई है।

अमरिका के भूतपूर्व विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने लैटिन अमरिका में चीन के प्रभाव को लक्ष्य बनाया था। ‘चीन ने लैटिन अमरिका में पैर ज़माना शुरू किया है। अपने आर्थिक बल पर चीन लैटिन अमरिकी देशों को अपने प्रभाव क्षेत्र में खींचने की कोशिष कर रहा है। लेकिन उसके लिए कीमत चुकाई जा रही है, यह मुद्दा महत्वपूर्ण है। लैटिन अमरीकी देशों को नई साम्राज्यवाद शक्ति की आवश्यकता नहीं है, ऐसी टिलरसन ने चेतावनी दी है।

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