भारत के पड़ोसी देशों को कर्जे में फंसाने के लिये चीन की साजिश – अमरिकन संसद के समिति के सामने विश्लेषकों का इशारा

वाशिंग्टन: भारत के पड़ोसी देशों में चीन के बढ़ते कर्जे का जाल खतरों के संकेत दे रहा है, ऐसी गंभीर चेतावनी अमरिका के अभ्यास गटने दी है। अमरिका के संसदीय समिति के सामने एक सुनवाई में ‘इंटरनेशनल असेसमेंट एंड स्टडी सेंटर’ के विश्लेषकों ने यह चेतावनी दी है। पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका, मालदीव जैसे भारत के पड़ोसी देशों को बडी मात्रा मे कर्जा देना चीन का भारत को घेरने का षड्यंत्र है, ऐसा दावा भी किया जा गया है।

पड़ोसी देशों, कर्जे में फंसाने, चीन की साजिश, संसद के समिति, विश्लेषकों का इशारा, अमरिका, भारतअमरिका के संसद में ‘हाउस सिलेक्ट इंटेलिजेंस कमेटी’ के सामने ‘चाइना वर्ल्ड वाइड मिलिट्री एक्सपांशन’ इस विषय पर सुनवाई शुरू है। उसमें ‘इंटरनेशनल असेसमेंट एंड स्ट्रैटेजी सेंटर’ के वरिष्ठ अध्यापक रिचर्ड फिशर ने चीन ने भारत को घेरने के लिए बनाये षड्यंत्र की जानकारी दी है।

बांगलादेश को चीन ने लगभग ८ अरब डॉलर्स का कर्ज दिया है। उसमें बांगलादेश के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाने पर चीन ने जोर दिया है और बड़ी तादाद में रक्षा सामग्री की बिक्री हो रही है, ऐसा कहकर फिशर ने चीनी कर्ज के मुद्दों की तरफ अमरिका की संसद का ध्यान केंद्रित किया है। चीन के इस षड्यंत्र का भारत को एहसास है और भारत ने इसके विरोध में गतिविधियां शुरू की है, ऐसा फिशर ने स्पष्ट किया है।

डोकलाम का उल्लेख करके इस मुद्दे पर तनाव निर्माण होते समय, भारत ने पाकिस्तान के साथ भी संघर्ष करने की तैयारी रखी थी, इसका एहसास अमरिकी अभ्यासकों ने दिलाया है। मालदीव में निर्माण हुए राजनीतिक समस्या के समय भारत ने तत्काल एअर असौल्ट फोर्सेज भी तैनात किए थे, इसका उल्लेख फिशर ने किया है।

अमरिकी विश्लेषक डैन ब्लूमेंथल ने फिशर के विधान को समर्थन दिया है और चीन भारत के पड़ोसी नहीं बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में कर्ज के आधार पर महत्वपूर्ण बंदरगाह और जगहों पर कब्जा प्राप्त करने की तैयारी में है, यह बात सूचित की है। उस समय उन्होंने श्रीलंका, यूरोप में ग्रीस, अफ्रीका में जिबौती जैसे अड्डों के उदाहरण देकर चीन के विस्तारवादी धारणाओं पर लक्ष्य किया है। दौरान चीन के कर्ज के चंगुल में हम फंस सकते हैं, ऐसा एहसास हुए कई देशों ने चीन का सहभाग होनेवाली महत्वाकांक्षी परियोजनाएं रद्द करने के कई उदाहरण सामने आए हैं।

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