नेपाल के लिए भारत का विकल्प चीन नहीं बन सकता – नेपाल के अर्थविशेषज्ञ की अपनी सरकार को चेतावनी

नई दिल्ली/काठमांडू – भारत के साथ सीमा विवाद शुरू करने के बाद अब नेपाल ‘मिलेनियम चॅलेंज कोऑपरेशन’ (एमसीसी) के तहत अमरीका प्रदान कर रही सहायता को नकारने की तैयारी में है। ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में चीन का प्रभाव कम करने के लिए अमरीका ने ‘एमएमसी’ की स्थापना की थी। इस कारण, इस सहायता को नकारने के लिए नेपाल पर चीन का बड़ा दबाव होने की ख़बरें आ रहीं हैं। नेपाल फिलहाल चीन के प्रचंड प्रभाव में होने का विश्लेषकों का कहना है। उसी समय, भारत के साथ विवाद शुरू करनेवाले नेपाल को, भारत के सिवाय अन्य कोई भी विकल्प नहीं है, ऐसा नेपाली अर्थविशेषज्ञ अपनी सरकार को बता रहे हैं।

Nepalनेपाल ने लिपुलेख में भारत ने बनाये कैलास मानसरोवर लिंक रोड का विरोध किया था। उसके बाद लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा समेत लगभग ३९५ किलोमीटर के भारतीय भूभाग को अपने नक़्शे में दिखाकर, ना होनेवाला सीमाविवाद शुरू किया। इससे भारत-नेपाल संबंधों पर विपरित परिणाम हुआ है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। लेकिन नेपाल की इन हरक़तों के पीछे चीन का बहकावा है, ऐसा दावा विशेषज्ञ कर रहे हैं। नेपाल सरकार पर होनेवाले चीन के अतिरेकी प्रभाव को स्पष्ट करनेवालीं और दो ख़बरें सामने आयीं हैं।

सन २०१७ में अमरीका ने ‘एमसीसी’ के तहत नेपाल को ५० करोड़ डॉलर्स की सहायता घोषित की थी। इस आर्थिक सहायता में से नेपाल में एक पॉवर ट्रान्समिशन लाईन और ३०० किलोमीटर के एक रास्ते का पुनर्निर्माण किया जानेवाला है। लेकिन उसके लिए नेपाल की संसद में ३० जून से पहले इस संदर्भ में प्रस्ताव मंज़ूर होना आवश्यक है। लेकिन नेपाल ने इस संदर्भ का प्रस्ताव संसद में अभी तक नहीं रखा है। भारत के भूभाग का समावेश होनेवाले विवादास्पद नक़्शे को, जल्दबाज़ी करके चंद कुछ दिनों में ही संसद में प्रस्तुत कर उसे मंज़ुरी देनेवाला नेपाल, अब तक अमरीका की सहायता के संदर्भ का प्रस्ताव संसद में नहीं रख सका है। नेपाल की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख नेता अमरीका से सहायता का स्वीकार करने के विरोध में हैं। ‘एमसीसी’ का लक्ष्य, चीन के प्रभाव को कम करना, यह होने के कारण, इस सहायता का स्वीकार करने पर चीन नाराज़ होगा, ऐसा डर इन नेताओं को सता रहा है।

नेपाल के वित्तमंत्री युबराज खातिवाडा ने, नये बजट में ‘एमसीसी’ ग्रँट का समावेश किया था। लेकिन इसके लिए उन्हें पक्षांतर्गत विरोध का सामना करना पड़ा। ‘एमसीसी’ सहायता के संदर्भ के प्रस्ताव को यदि नकारा, तो केवल अमरीका से ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के अन्य देशों से मिलनेवाली सहायता पर भी उसका असर होगा, इसपर खातिवाडा ने ग़ौर फ़रमाया था। लेकिन फिर भी नेपाल सरकार ‘एमसीसी’ के लिए तैयार ना होने की बात सामने आ रही है।

उसी समय, नेपाल के कई स्कूलों ने, चीन की ‘मँडरिन’ भाषा बंधनकारक की है। ‘मँडरिन’ सिखानेवाले अध्यापकों की तनख़्वाह चीन देगा, ऐसा आश्वासन चीन ने नेपाल को दिया है। उसके बाद स्कूल ‘मँडरिन’ बंधनकारक करने लगे हैं। चीन के नेपाल पर बढ़े हुए प्रभाव का यह एक और उदाहरण है। चीन ‘बेल्ट अँण्ड रोड इनिशिटीव्ह’ (बीआरआय) के तहत नेपाल में काफ़ी बड़ा निवेश कर रहा है। इस निवेश के कारण ही चीन का नेपाल पर प्रभाव बढ़ा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

नेपाल के ही अर्थविशेषज्ञ डॉ. पोष राज पांडे ने नेपाल सरकार को, भारत के साथ संबंध बिगड़ने के मुद्दे को लेकर सचेत किया है। नेपाल ‘लँडलॉक’ यानी सागरकिनारा ना होनेवाला देश होकर, बड़े पैमाने पर भारत पर निर्भर है। नेपाल के तीन ओर भारत की सीमाएँ हैं और नेपाल को ज़रूरी चीज़ों में से दो-तिहाई बातों की आपूर्ति भारत के सीमामार्ग से ही होती है। वहीं, चीन की सीमा में से केवल १४ प्रतिशत ही आयात होती है, इसपर पांडे ने ग़ौर फ़रमाया है।

उत्तरी दिशा में नेपाल के लिए सबसे क़रीबी बन्दरगाह चार हज़ार किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के कोलकाता बन्दरगाह की तुलना में वह तीन गुना दूर है। चीन की सीमा के पास बुनियादी सुविधाएँ विकसित नहीं हैं और वहाँ की दुर्गम परिस्थिति के कारण उसपर बहुत मर्यादाएँ आती हैं, ऐसा अर्थविशेषज्ञ डॉ. पोष राज पांडे ने कहा है। इस कारण, नेपाल को भारत के सिवाय कोई विकल्प नहीं है, ऐसा पांडे ने जताया है। अर्थविशेषज्ञ डॉ. पोष राज पांडे ये ‘नेपाल नॅशनल प्लॅनिंग कमिशन’ के सदस्य हैं। साथ ही, ‘डब्लूटीओ’ में नेपाल के प्रतिनिधियों में से एक हैं। इस कारण उनके द्वारा दी गयी चेतावनी अहम मानी जा रही है।

इसी बीच, नेपाल के साथ भारत का ‘रोटी-बेटी’ का रिश्ता है; इस कारण, कोई चाहे कितनी भी कोशिश करें, यह रिश्ता टूटनेवाला नहीं है, ऐसा भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने ज़ोर देकर कहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने हालाँकि ठेंठ ज़िक्र नहीं किया है, लेकिन भारत-नेपाल संबंधों में दरार बनाने की कोशिश करनेवाले चीन को इसके द्वारा चेतावनी दी गयी है, यह स्पष्ट होता है।

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