भारत ने ही सीमाविवाद भडकाया; चीन ने किया झूठा आरोप

नई दिल्ली – एक दिन पहले भी भारत के रक्षामंत्री से द्विपक्षिय चर्चा के लिए लगातार बिनती कर रहे चीन ने अब सीमा विवाद का ठिकरा भारत पर फ़ोड़ा। यह विवाद भारत ने ही निर्माण किया है और अब इसका हल निकालने की ज़िम्मेदारी भारत की ही है, यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है। लेकिन, शुक्रवार के दिन मास्को में हुई चर्चा के दौरान भारत के रक्षामंत्री ने चीन को शांति रखनी है तो लद्दाख से सेना को पीछे हटाए बिना अन्य विकल्प नहीं है, ऐसे पुख्ता शब्दों में इशारा दिया था। भारत ने अपनाई आक्रामक भूमिका की अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने सराहना की और यह तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता करने का प्रस्ताव भी रखा है।

सीमाविवाद

शुक्रवार के दिन रशिया की राजधानी मास्को में ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन’ (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में मौजूद चीन के रक्षामंत्री वे फेंग ने भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ चर्चा करने की बहुत कोशिश की। शुरू में चर्चा करने से इंकार कर रहे भारत ने आखिर में चर्चा की बात मानी। लेकिन, इस चर्चा के दौरान रक्षामंत्री सिंह ने लद्दाख के क्षेत्र से चीन ने पूरी तरह से वापसी किए बिना सीमा पर शांति स्थापित नहीं होगी, यह बात ड़टकर कही। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की आक्रामकता के सामने चीन को इस चर्चा के दौरान नरमाई अपनानी पड़ने के समाचार हैं। भारतीय माध्यमों ने इस समाचार को बड़ी अहमियत देने के दूसरे दिन चीन की भाषा में बदलाव हुआ।

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शनिवार के दिन चीन के विदेश मंत्रालय ने सीमा विवाद भारत की आक्रामकता की वजह से निर्माण होने का झूठा बयान किया। साथ ही यह विवाद ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी भी भारत की ही है, ऐसा कहकर भारतीय सैनिक लद्दाख के क्षेत्र से पीछे हटें, यह माँग भी चीन के विदेश मंत्रालय ने रखी। मात्र दिखाने के लिए चीन भले ही कड़ा रवैया दिखा रहा हो, लेकिन असल में भारतीय सेना ने पैन्गॉन्ग त्सो के क्षेत्र में की गई कार्रवाई की वजह से चीन के बेड़े में ड़र का माहौल फैला होने की बात स्पष्ट दिखाई दे रही है। इसी वजह से भारी मात्रा में लष्करी तैनाती करके भारतीय सेना को कैसे रोका जाए, इसी सोच में चीन लगा हुआ है।

२९-३० अगस्त की रात भारतीय सैनिकों के साहस के सामने चीन के सैनिक टिक नहीं पाए थे, यह बात अब सार्वजनिक हुई है। इसी वजह से चीन को मुँह की खानी पड़ी, ऐसा प्रत्युत्तर भारत दे सकता है, यह संदेश भी पूरे विश्‍व को फिरसे पहुँचा है। इससे हुआ अपमान छिपाने की चीन की कोशिश जारी है। ऐसे में भारत के साथ नया संघर्ष शुरू करने का साहस चीन में नहीं है। इसी कारण चीन को अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए हल निकालकर लद्दाख से पीछे हटना है। लेकिन, ऐसा करते समय हमने भारत के सामने घुंटने टेके, यह चित्र ना बने, इसके लिए चीन की कोशिश जारी हैं।

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वापसी करना संभव नहीं है और भारतीय सेना का मुकाबला करना भी मुमकिन नहीं है, ऐसी चुविधा में चीन फंसा है। इसलिए, चीन और एक लष्करी साहस करने की कोशिश कर सकता है, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में अमरीकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिती बनी होने की बात कहकर इस पर चिंता व्यक्त की। इस मामले में राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने मध्यस्थता करने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही अपने लष्करी सामर्थ्य के बल पर सभी पड़ोसी देशों पर वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश में जुटे चीन को भारतीय सेना ने दिए करारे प्रत्युत्तर की अमरीका ने सराहना की है। इस मोर्चे पर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हो रहे समर्थन में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह से अब भारतीय सेना और आगे बढ़ेगी, इस ड़र ने चीन को चिंतित किया हुआ है। इसी कारण चीन ने लद्दाख के सरहदी क्षेत्र में भूसुरंग लगा रखने का दावा कुछ समाचार चैनलों ने किया है।

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