पाकिस्तानी सेना द्वारा किये गए आवाहन के बाद, अब ‘सीपीईसी’ में शामिल होने के लिए चीन का भारत को आवाहन

नवी दिल्ली/बीजिंग, दि. २३: भारत को ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) प्रकल्प में शामिल होने का प्रस्ताव पाकिस्तान के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने दिया था| इस प्रस्ताव पर की भारत की प्रतिक्रिया जानने के लिए हम उत्सुक है, ऐसे चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है| चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भी भारत को पाकिस्तान का प्रस्ताव स्वीकार करने की सलाह दी थी| लेकिन अपने संप्रभुत भूभाग से जाने वाले इस प्रकल्प को भारत का विरोध बरक़रार है, यह भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने घोषित किया है|

‘सीपीईसी’पाकिस्तानी सेना के लेफ्टनंट जनरल आमिर रियाझ ने भारत को, ‘सीपीईसी’ प्रकल्प में शामिल होने का आवाहन किया था| ‘पाकिस्तान से दुश्मनी न छेड़ते हुए भारत ने सहयोग की भूमिका अपनानी चाहिए| इस प्रकल्प में शामिल होने की वजह से भारत को बड़ा लाभ होगा’ ऐसा दावा ले. जनरल रियाझ ने किया था| पाकिस्तान ने दिखाए इस औदार्य का भारत भी लाभ लें, ऐसी सलाह चीन के ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी है| ‘पाकिस्तान ने दिया यह अवसर भारत समय न गँवाते हुए अपनाये, नहीं तो यह अवसर फिर से नहीं मिलेगा’ ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ में प्रकाशित हुए लेख में कहा गया है|

‘इस प्रकल्प में भारत, ईरान और अफगानिस्तान समेत मध्य एशियाई देश भी शामिल हो सकते हैं| लेकिन पाकिस्तान पर ‘आतंकवाद को मदद करनेवाला देश’ ऐसा धब्बा लगाकर यदि कोई पाकिस्तान को बदनाम करना चाहता हो, तो चीन उसका ज़रूर विरोध करेगा’, ऐसा कहते हुए ग्लोबल टाईम्स ने, इस प्रकल्प में शामिल होने के लिए पाकिस्तान पर किए गए आतंकवाद के इल्जाम पीछे लें, ऐसा सूचित किया है| ‘सीपीईसी’ में भारत शामिल हुआ, तो उसे चीन के साथ होनेवाले व्यापार में बर्दाश्त करना पड़ रहा नुकसान कम होगा| साथ ही, बाकी देशों तक परिवहन करना आसान होकर, इसका बडा लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा, ऐसा भी ग्लोबल टाईम्स ने अपने लेख में कहा है|

इस अख़बार में प्रकाशित हुए लेख के बाद, चिनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने, पाकिस्तान की सेना द्वारा भारत को दिए गए प्रस्ताव पर सन्तोष जताया| ‘इस प्रस्ताव के संदर्भ में चीन की पाकिस्तान के साथ चर्चा नहीं हुई| लेकिन इस प्रकल्प में शामिल होने के लिए बाकी कई देश उत्सुक हैं| चीन इस प्रकल्प को ‘एक क्षेत्र और एक राह’ (वन बेल्ट वन रूट-ओबीओआर) के रूप में देख रहा होकर, यह चीन की व्यापक नीति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है| इसी कारण, इस प्रकल्प में शामिल होने के लिए पाकिस्तान ने दिये प्रस्ताव पर भारत का क्या कहना है, यह जानने के लिए हम उत्सुक हैं’ ऐसे चुनयिंग ने पत्रकार परिषद में कहा है|

इस दौरान, पाकिस्तान से दिया गया प्रस्ताव, यह चीन की सहमति से दिया गया है, ऐसे संकेत ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेखों और चुनयिंग के बयानों से मिल रहे हैं| लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने, ‘इस प्रकल्प पर का भारत का ऐतराज़ बरकरार है’ यह स्पष्ट किया है| ‘सीपीईसी’ प्रकल्प भारत के संप्रभुत भूभाग से जा रहा होकर, अपनी संप्रभुता को चुनौती देनेवाले इस प्रकल्प का भारत विरोध करेगा, ऐसे स्वरूप ने पत्रकार परिषद में स्पष्ट किया|

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