आफ्रीकन देशों के आतंकवाद विरोधी पथक के नेतृत्व में बदलाव – अल कायदा के हमले के बाद मॉरिशानिया के लष्करी अधिकारी के हाथों में सूत्रों को सौंपा गया

बमाको: ‘अल कायदा’ और ‘बोको हराम’ जैसे इस्लामी आतंकवादी संगठनों को रोकने के लिए पॉंच आफ्रिकन देशों ने स्थापित किए ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ इस लष्करी पथक का नेतृत्व ‘हनेना औल्द सिदी’ को सौंपा गया है| माली देश में स्थित ‘जी ५ सहेल फ़ोर्स’ के मुख्यालय पर ‘अल कायदा’ किए हमले के बाद यह परिवर्तन किया गया है| ‘एंटी जिहाद फ़ोर्स’ के नाम से भी पहचाने जाने वाले ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ के दांवपेचों में, आने वाले समय में आक्रामक बदलाव होंगे, ऐसे स्पष्ट संकेत इस नेतृत्व बदलाव के माध्यम से दिए जा रहे हैं|

आफ्रीकन देशों, आतंकवाद विरोधी पथक, नेतृत्व में बदलाव, अल कायदा, हमले, मॉरिशानिया, लष्करी अधिकारी, हाथों में सूत्रों, सौंपा, बमाकोआफ्रिकी देशों का संगठन ‘आफ्रिकन यूनियन की बैठक’ इस महीने की शुरुआत में मॉरिशानिया में हुई है| इस बैठक में, ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ पर हुए आतंकवादी हमले के मुद्दे पर चर्चा हुई| आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए स्थापित किए गए ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ के मुख्यालय पर ही हमला होने की वजह से इस पर तीव्र चिंता जताई जा रही है| यह चिंता जताते हुए, इस लष्करी पथक का नेतृत्व बदलने का निर्णय लिया गया है|

इस निर्णय, के अनुसार ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ का नेतृत्व मॉरिशानिया के रक्षा दल के उपप्रमुख जनरल ‘हनेना औल्द सिदी’ को सौंपा गया है| जनरल सिदी ने मोरोक्को मिलिट्री स्कूल से लष्करी प्रशिक्षण प्राप्त किया है| वर्तमान में उनपर मॉरिशानिया के ‘मिलिट्री इंटेलिजेंस’ के प्रमुख पद की जिम्मेदारी है| ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ की असफलता के पीछे उचित और गोपनीय जानकारी का आभाव यह एक प्रमुख कारण माना जा रहा है| इस वजह से जनरल सिदी के पास लष्करी पथक की जिम्मेदारी सौंपना यह आने वाले समय में ‘जी ५’ की कार्रवाइयां अधिक आक्रामक करने का संकेत माना जा रहा है|

आफ्रीकन देशों, आतंकवाद विरोधी पथक, नेतृत्व में बदलाव, अल कायदा, हमले, मॉरिशानिया, लष्करी अधिकारी, हाथों में सूत्रों, सौंपा, बमाकोजुलाई २०१७ में स्थापित किए गए ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ में पॉंच देशों का समावेश है| उसमें मॉरिशानिया, माली, चाड, बुर्किना फासो और नायजर का समावेश है और ५००० सैनिकों को तैनात किया गया है| इस लष्करी पथक का मुख्यालय माली में है और ‘अल कायदा’ और ‘बोको हराम’ इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है| इस लष्करी पथक को फ्रांस, अमरिका, यूरोपीय संघ का समर्थन है और संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी इस पथक को मान्यता दी है|

पिछले साल भर में इस पथक ने फ्रेंच लष्कर की सहायता से कुछ आतंकवादविरोधी कार्रवाइयों को अंजाम दिया है| लेकिन उसे अभी तक बड़ी सफलता प्राप्त नहीं हुई है| आर्थिक सहायता और उचित समन्वय की कमी की वजह से ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ को अभी तक विशेष सफलता नहीं मिली है और उसी दौरान इस क्षेत्र के आतंकवादी संगठन अधिक मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं| माली में ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ और फ्रेंच लष्करी पथक पर एक के बाद एक हुए हमले इसकी पुष्टि करते हैं|

‘अल कायदा इन इस्लामिक मघरेब’ और ‘बोको हराम’ यह साहेल क्षेत्र में सक्रिय हैं और लीबिया में ‘आईएस’ का समूह भी व्याप्ति बढ़ा रहा है, ऐसा सामने आया है| इस क्षेत्र में ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ के अलावा फ्रेंच लष्कर और संयुक्त राष्ट्रसंघ का शांति पथक कार्यरत है| लेकिन यह लष्करी पथक और साहेल के तौर पर पहचाने जाने वाले अफ्रीकन देशों के रक्षा दलों को अभी तक इन इलाकों में होने वाले आतंकवादी हमलों को रोकने में सफलता नहीं मिली है| इस पृष्ठभूमि पर, ‘जी ५ साहेल फ़ोर्स’ में नेतृत्व के बारे में आने वाले समय में आफ्रीका महाद्वीप में आतंकवादी संघर्ष को नया मोड़ देने वाला साबित होने के संकेत मिल रहे हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published.