गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर विश्‍व के नज़रिए में हुआ बदलाव – ‘सेंग एच. सेरिंग’

वॉशिंग्टन – गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके की ओर विश्‍व के देखने के दृष्टिकोण में बदलाव आ रहा है। गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके भारत का हिस्सा होने की बात स्वीकारने की शुरूआत पूरे विश्‍व में हुई है, ऐसा बयान वॉशिंग्टन स्थित ‘इन्स्टिट्यूट ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान स्टडीज्‌’ के अध्यक्ष सेंग एच. सेरिंग ने किया है। जम्मू-कश्‍मीर से धारा 370 के हटाने का निर्णय को हाल में ही एक वर्ष पूरा हुआ है। इस पर पीओके की जनता ने आनंद व्यक्त किया था, इस बात की याद भी गिलगित-बाल्टिस्तान के राजनयिक कार्यकर्ता सेरिंग ने दिलाई है।

Gilgit-Baltistanपाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने भारत का जम्मू-कश्‍मीर, लद्दाख, जुनागड और सर क्रीक का क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा होने की बात दिखानेवाला ‘पॉलिटिकल मैप’ जारी किया है। यह नक्शा जारी करके अपने देश के नागरिकों को खुश करने की कोशिश इम्रान खान कर रहे हैं, लेकिन असल में गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके में पाकिस्तान के खिलाफ़ तीव्र हो रही आवाज़ ने पाकिस्तान की नींद उड़ाई है। पीओके से भागकर अलग अलग देशों में आश्रय लेनेवाले राजनयिक शरणार्थी पाकिस्तान के विरोध में लगातार आलोचना कर रहे हैं और भारत के हाथ में इन क्षेत्रों का कब्ज़ा जाने पर इस क्षेत्र का विकास और उन्नत्ति होगी, यह विश्‍वास सभी रख रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जारी किए हुए पॉलिटिकल मैप की पृष्ठभूमि पर ‘इन्स्टिट्युट ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान स्टडीज्‌’ के नेता सेंग एच. सेरिंग ने भी ऐसा ही विश्‍वास व्यक्त किया है।

वर्ष 1947 से गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का क्षेत्र है, इस पर हम विश्‍वास रखते हैं। 5 अगस्त 2019 के दिन जम्मू-कश्‍मीर से धारा 370 को हटाया गया। इसके बाद जम्मू-कश्‍मीर एवं लद्दाख को केंद्रीय प्रदेश घोषित किया गया। इससे अब हम लद्दाख का अंग बने हैं, यह बयान सेरिंग ने किया। गिलगित-बाल्टिस्तान को लद्दाख में शामिल किया तो इससे गिलगित का विकास होगा। गिलगित के लिए यही फायदेमंद साबित होगा, यह दृढ विश्‍वास होने की बात सेरिंग ने कही है।

इससे पहले पूरा विश्‍व नियंत्रण रेखा को ही सरहद समझ रहा था और गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा समझा जा रहा था। लेकिन, बीते दो वर्षों से चित्र बदला हुआ है। भारत ने विश्‍व के सामने गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके से होनेवाले संबंधों पर बयान करना शुरू किया है। अब अमरीका, इंग्लैंड और फ्रान्स जैसे सुरक्षा परिषद में नकाराधिकार रखनेवाले देश भी गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का क्षेत्र नहीं है, ऐसा कह रहे हैं। शुरू में गिलगित-बाल्टिस्तान विवादित क्षेत्र होने की बात स्वीकारने के लिए अमरीका तैयार नहीं थी। लेकिन, अब सबकुछ बदल गया है, यह बात सेरिंग ने स्पष्ट की है।

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