जर्मनी की चैन्सेलर मर्केल के सत्ता स्थापित करने का प्रयास असफल

बर्लिन: जर्मनी की चैन्सेलर एंजेला मर्केल के लगातार चौथी बार सरकार स्थापन करने के इरादे मिट्टी में मिले हैं। सितंबर महीने में हुई जर्मनी के चुनाव में मर्केल के सत्ताधारी पक्ष को बहुत बड़ा झटका लगा था। इसकी वजह से मर्केल इनपर सत्ता स्थापन करने के लिए अन्य पक्षों के साथ संगठन करने का समय आया था। पर लगभग डेढ़ महीने के चर्चा के बाद इस बारे में हो रही चर्चा असफल होने की बात स्पष्ट हुई है।

२४ सितंबर को हुए चुनाव में चैन्सेलर मर्केल के सीडीयू-सीएसयू पक्ष को लगभग ३३ प्रतिशत वोट मिले थे। उनके पिछले चुनाव में सहयोगी होने वाले एसपीडी ने मर्केल के साथ सत्ता स्थापन करने से इनकार किया था। इस की वजह से चैन्सेलर मर्केल को एफडीपी एवं ग्रींस इन पक्षों की सहायता लेकर संगठित सरकार स्थापन करना पड़ेगा, ऐसी बात सामने आई थी। एफडीपी १०.७ प्रतिशत और ग्रींस पक्ष को लगभग ९ प्रतिशत वोट मिले थे।

चैन्सेलर मर्केल ने इन दोनों पक्षों के साथ चर्चा शुरु की थी। पर शरणार्थियों की समस्या एवं आर्थिक नीति के मुद्दे पर परस्पर विरोधी दृष्टिकोन होने वाले एफडीपी एवं ग्रींस इन पक्षों को संगठित करना मर्केल के लिए संभव नहीं हुआ है। रविवार रात को एफडीपी विपक्ष ने सत्ता स्थापना की चर्चे से बाहर निकलने की बात घोषित की थी। सोमवार को चैन्सेलर मर्केल ने इस बात का समर्थन किया है। बुरे हालात मे सरकार चलाने से अच्छा सत्ता स्थापन न करना होगा, ऐसी प्रतिक्रिया मर्केल ने दी है।

सत्ता स्थापना के लिए चर्चा बंद होने के बाद, चैन्सेलर मर्केल ने देश के राष्ट्राध्यक्ष ‘फ्रैंक वाल्टर स्टेनमायर’ से मुलाकात की है। इसकी वजह से मर्केल कम वोट में सरकार स्थापन न करके चुनाव का सामना करेंगे ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। केवल तीन महीनों के कालखंड में फिर से एक बार चुनाव का सामना करना होगा, यह बात मर्केल इनके लिए चौका देने वाली होकर, उनके राजकीय कारकीर्द की को इससे बहुत बड़ा झटका लग सकता है, ऐसा कहा जाता है।

सितंबर महीने में हुए चुनाव में ‘अल्टरनेटिव्ह फॉर जर्मनी’ (एएफडी) इस बाएँ आक्रामक गट का संसद में हुआ प्रवेश, जर्मनी के साथ संपूर्ण यूरोप को झटका देने वाला था। इस पक्षने चुनाव में लगभग १२.६ प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।

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