डॉ. चेम वाईझमन (१८७४-१९५२)

डॉ. चेम वाईझमन, डॉ. मनमोहनसिंह, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ये तीन भिन्न-भिन्न नाम और तीन भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यक्ति और वह भी परिवर्तनशील समयानुसार। दो नाम तो हमारे जाने-पहचाने हैं।

Chaim-Weizmann-  चेम वाईझमन

परन्तु उस नाम का क्या, जिससे हम अनजान है। क्या इन तीनों नामों में कोई समानता है? इस प्रकार के अनेक प्रश्‍न मन में उठते होंगे। इन तीनों व्यक्तियों में यदि फर्क देखने जायें तो काफी  कुछ नजर आयेगा, परन्तु समानता क्या है, इस बात पर गौर करना ज़रूरी है। समानता है इनकी पहचान में। डॉ. मनमोहनसिंह, एपीजे अब्दुल कलाम इन्हें हम आज देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति के रुप में जानते हैं। परन्तु इस पद तक पहुँचने से पहले उनकी अपनी स्वयं की एक पहचान थी। वह हमें ठीक से याद नहीं। डॉ.मनमोहनसिंह राजनीति में आने से पहले अर्थशास्त्री एवं रिझर्व्ह बैंक के गवर्नर थे। और एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद प्राप्त करने से पूर्व ‘इस्त्रो’ इस विज्ञानसंस्था में वैज्ञानिक के रुप में कार्यरत थे।

डॉ. चेम वाईझमन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। संपूर्ण जगत को आज डॉ. चेम वाईझमन की पहचान ‘इस्त्रायल’ इस छोटे से राष्ट्र के जनक के रुप में है। परन्तु इससे पूर्व वाईझमन ये एक जाने-माने श्रेष्ठ वैज्ञानिक थे। उनकी इस पहचान को उनके देश को छोड़कर सभी लोग भूल चुके हैं।

पिछली शताब्दी में विज्ञान में भौतिक, जीव एवं रसायनशास्त्र इन तीन मूल शाखाओं से परे कुछ नई शाखाओं का उदय हुआ। उनमें से तीन मूल शाखाओं का मिश्रण माने जाने वाले ‘बायोफिजिक्स’ (जैवभौतिकी) एवं ‘बायोकेमिस्ट्री’ (जैवरसायन) इन दो शाखाओं का उल्लेख प्रमुख तौर पर किया जाता है। इनमें से जैवरसायन शाखा की स्थापना एवं विकास के आरंभिक समय में महत्त्वपूर्ण योगदान देनेवाले वैज्ञानिकों में ‘डॉ. चेम वाईझमन’ जाने-पहचाने जाते हैं।

रशिया के ऑयझर एवं रशेल वाईझरमेन के घर दो नवम्बर, १९७४ के दिन चेम वाईझमन का जन्म हुआ था। आज के दौर में बेलारूस देश की राजधानी के रुप में पहचान रखनेवाले पिन्स्क शहर में वाईझमन ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। विश्‍वविद्यालय की शिक्षा बर्लिन में पूरी करके चेम वाईझमन ने रसायनशास्त्र उपाधि प्राप्त शिक्षा हेतु स्वित्झरलैंड के फ्राईबर्ग विश्‍वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त किया।

डॉक्टरेट की शिक्षा प्राप्त करने के पश्‍चात् डॉ. चेम वाईझरमन ने आरंभिक समय में जीनिवा में इसके पश्‍चात् ब्रिटन के मँचेस्टर विश्‍वविद्यालय में व्याख्याता के रुप में काम करना आरंभ किया। ब्रिटन में कार्यरत रहने पर डॉ.वाईझमन ने अपना संशोधन कार्य आरंभ कर दिया था। इस संशोधन कार्य की वजह बनी ब्रिटीश सरकार की विनति।

प्रथम विश्‍वयुद्ध के दौरान ब्रिटिशों को स्फोटकों के लिए ‘कोर्डाईट’ नामक धुआँ विरहित पावडर की काफी  बड़े पैमाने पर तात्कालीन ज़रूरत महसूस हुई। उस दौरान डॉ.वाईझमन सही मायने में कृत्रिम रुप में रबर बनाने की दृष्टि से संशोधन कार्य कर रहे थे। इसके लिए प्रकृति में सहजता से घटित होनेवाली फर्मेंटेशन  प्रक्रिया कृत्रिम रुप में ऐसे ही किसी सूक्ष्म जंतु की सहायता से विकसित की जा सके इस संबंध में डॉ.वाईझमन ने अपना ध्यान केन्द्रीत किया।

इन कोशिशों के दौरान ‘क्लास्ट्रीडियम’ अ‍ॅसिटोबुटीलिकम’ नामक सूक्ष्मजंतुओं की सहायता से फर्मेंटेशन  प्रक्रिया तीव्रगति के साथ हो रही है, इस बात का अहसास डॉ.वाईझमन को हुआ। डॉ.वाईझमन ने १९१६ में उसका उपयोग करते हुए एसिटोन का उत्पादन काफी  बड़े पैमाने में करने में सफलता प्राप्त की। एसिटोन का उपयोग ‘कोर्डाईट’ के उत्पादन के लिए हो रहा है इसीलिए डॉ.वाईझमन के शोध की सराहना की गई।

केवल एसिटोन का उत्पादन ही नहीं बल्कि ‘बेक्टेरियल फर्मेंटेशन’ इस प्रक्रिया का औद्योगिक उत्पादन के लिए प्रारंभ करनेवाले डॉ.वाईझमन प्रथम वैज्ञानिक साबित हुए। इसके पश्‍चात् उनके जैवरसायनशास्त्र के अधिकार को देखकर ब्रिटन ने अपने आप से ‘अ‍ॅडमिराल्टी प्रयोगशाला’ के संचालक के रुप में उनकी नियुक्ति की।

इसके पश्‍चात् के समय में डॉ.वाईझमन ने जैवरसायनशास्त्र के संशोधन के संदर्भ में लगभग सौ से अधिक प्रबंध प्रसिद्ध किए। इसके साथ ही स्वयं एवं अन्य लोगों के सहकार्य से इस क्षेत्र से संबंधित एक सौ दस से भी अधिक पेटंट प्राप्त करने का सम्मान भी प्राप्त किया।

इस दौरान डॉ. वाईझमन ने एक और भी स्वप्न संजो रखा था और यह सपना था ‘ज्यू’ लोगों के लिए एक विशेष भूमि स्थापित करने का। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में अपने इस सपने को साकार करने में भी आखिरकार सफलता प्राप्त कर ही ली। इतना ही नहीं बल्कि इस स्वतंत्र भूमि के प्रथम राष्ट्रप्रमुख बनने का सम्मान भी उन्होंने प्राप्त किया। लेकिन राष्ट्रप्रमुख हो जाने पर भी अपने मूल वैज्ञानिक दृष्टिकोन को भी उन्होंने उसी प्रकार बनाये रखा। इस्त्रायल के एक रहोवोथ नामक शहर में प्रथम एवं सबसे बड़ी विज्ञान संस्था के निर्माण कार्य की अगुआई भी उन्होंने की।

वैज्ञानिक ये समाज से अछूते एवं एकांत में रहने वाले, एकांत स्वभाव के होते हैं, ऐसा सर्वसाधारण लोगों का मानना होता है। लेकिन डॉ. चेमवाईझमन के संबंध में ये सभी बातें नई शाखा विकसित करने के साथ ही एक नये समाज की स्थापना करने का कार्य करके डॉ. वाईझमन ने विज्ञानजगत् के समक्ष एक नया आदर्श प्रस्तुत किया।

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