‘लोन मोराटोरियम’ दो वर्ष तक बढ़ाने के केंद्र सरकार के संकेत

नवी दिल्ली – कोरोना वायरस के संकट की वजह से केंद्र सरकार ने कर्ज़े की किश्‍त का भुगतान छह महीनों के लिए ना भरने (लोन मोराटोरियम) की सहुलियत प्रदान की थी। यह सहुलियत दो वर्ष तक बढ़ाना संभव होगा, ऐसी जानकारी केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखी है। इस मामले में बुधवार के दिन सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। कोरोना वायरस की वजह से देश में आर्थिक मंदी का माहौल बना हुआ है। लाखों की संख्या में कामगारों की नौकरियां नहीं रहीं। इस पृष्ठभूमि पर केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है।

SC-loanमार्च महीने में देश में कोरोना का फैलाव होने के बाद लॉकड़ाउन घोषित किया गया था। इस संकट की वजह से कई कंपनियां बंद हो गईं। देश की अर्थव्यवस्था ठप हो गई। इसके बाद रिज़र्व बैंक ने तीन महीनों के लिए ‘लोन मोराटोरियम’ की सुविधा प्रदान की थी। ३१ मई के दिन यह सुविधा ख़त्म होते ही यह सुविधा ३१ अगस्त तक बढ़ाई गई। लेकिन अभी कोरोना का संकट दूर नहीं हुआ है और देश की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर नहीं आ सकी है। ऐसे में ‘लोन मोराटोरियम’ दो वर्ष तक बढ़ाना संभव है, यह जानकारी केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखी है। ‘आरबीआय’ के निदेशों पर दो वर्ष तक कर्जे की किश्‍तें चुकाने से राहत देना संभव होगा।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार के दिन सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश अशोक भूषण समेत तीन न्यायाधीशों की पीठ के सामने यह जानकारी रखी। लोन मोराटोरियम की सुविधा बढ़ाने के पक्ष में दो याचिकाएं सर्वोच्च अदालत में दाखिल की गई थीं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह जानकारी अदालत के सामने रखी।

SC-loanइसी बीच, अप्रैल से जून महीने की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में २३.९% गिरावट देखी गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में यह सबसे बड़ी गिरावट साबित हुई है। यह गिरावट जारी रहने के संकेत भी आर्थिक विशेषज्ञों एवं विश्‍लेषकों ने दिए हैं। साथ ही इस वर्ष अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकेगी, ऐसा भी कहा जा रहा है। कोरोना के संकट की वजह से केंद्र सरकार की आय में गिरावट आई है। लाखों लोगों की नौकरियां नहीं रहीं। इस पृष्ठभूमि पर लोन मोराटोरियम की सुविधा बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार को करना होगा, यही चित्र दिखाई दे रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.