दृष्टिपटल और आँखों के कार्य

दृष्टिपटल और आँखों के कार्य

अब तक हमने आंखों के बारे में सविस्तर जानकारी प्राप्त की। आज हम कुछ महत्त्वपूर्ण और दिलचस्प चीजों का अध्ययन करेंगे। दृष्टिपटल का महत्त्व हमने देखा है। आँखों के दो महत्त्वपूर्ण गुणधर्म हैं – रंगों की पहचान व रंगों की अलग अलग पहचान करना तथा अंधेरे में दृष्टि दौड़ाना। ये कार्य दृष्टिपटल की कुछ विशिष्ट […]

Read More »

आँखों की बिमारियाँ (Eye-diseases)

आँखों की बिमारियाँ (Eye-diseases)

आज के लेख का विषय हैं दृष्टि के दोष (Eye-diseases)। पिछले लेख में हमने प्रेसबायोपिया के बारे में अध्ययन किया। उम्र के अनुसार हर किसी की आँखों में उत्पन्न होनेवाला यह बदलाव है। इसीलिये इसे दोष नहीं कहा जा कसता। अब हम जिन दोषों /बीमारियों की चर्चा करेंगे वे किसीभी उम्र में किसी को भी […]

Read More »

आँखों के कार्य – भाग ३

आँखों के कार्य – भाग ३

हमने आँखों की बाह्य व आंतरिक रचना का अध्ययन किया। अब हम देखेंगे कि आँखें किस तरह कार्य करती हैं। यदि कोई पूंछे कि आँखों का काम क्या हैं तो हम तुरंत जवाब देंगे कि देखना। हमारी नजरों के सामने जो जो कुछ आता हैं, उसे हम देखते हैं। यदि हमारी आँखों के सामने कोई […]

Read More »

आँखों की रचना – भाग २

आँखों की रचना – भाग २

आज हम आँखों से संबंधित परंतु आँख के गोलों से बाहर रहनेवाले भागों की जानकारी हासिल करेंगे। ये अवयव कौन कौन से हैं? ये अवयव निम्नलिखित हैं: १) आँखों के बाहरी स्नायु २) भौहें और पलकें ३) कंजंक्टाचव्हा ४) अश्रुग्रन्थियां ५) लॅक्रीमल सॅक (अश्रु थैली) व नासोलॅक्रीमल नलिका। अब इनकी सविस्तर जानकारी लेते हैं। १) […]

Read More »

आँखों की रचना – भाग १  

आँखों की रचना – भाग १  

 मानव की शरीर रचना का परिचय हमने पहले लेख में देखी थी। उसमें दो प्रमुख चीजें थी। एक चेहरे पर सामने रहनेवाली आँखे (अन्य प्राणियों की तरह चेहरे के दोनो बाजू में नहीं ) तथा दो आंखों के मिलन से तैयार एक दृष्टि। मानवों की आँखों की विशेषता यहाँ पर समाप्त नहीं होती। अपनी आँखों में […]

Read More »

गर्भ की वृद्धि

गर्भ की वृद्धि

कल के लेख में हमने देखा कि गर्भ का लिंग किस प्रकार निश्चित होता है। आज हम यह देखेंगे कि इस गर्भ की वृद्धि कैसे होती है। परंतु उससे पहले आइये देखते हैं कि यह गर्भ जहाँ बनता है, बढ़ता है उस माँ की भूमि-अर्थात उसकी अंतर्गत जननेंद्रिय की रचना व उसके कार्य – माँ […]

Read More »

गर्भाशय का महत्त्व

गर्भाशय का महत्त्व

‘‘तुका म्हणे गर्भवासी सुखे घालावे आम्हासी’’ अर्थात संत तुकाराम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि,‘‘हे प्रभो, हमें मॉं का गर्भ प्रदान करें |’’  उनकी यह प्रार्थना मॉं के गर्भाशय  महत्त्व को उजागर करती है | मॉं के गर्भाशय में पलनेवाला एकपेशीय गर्भ, नौ महीने नौ दिीनों के बाद अथवा (२२०-१४) दिनों के बाद जब इस […]

Read More »

मानवी शरीरशास्त्र का परिचय

मानवी शरीरशास्त्र का परिचय

आज से हम अपने ही शरीर का नये सिरे से पहचान करनेवाले हैं | इस लेखमाला का विषय है ‘‘मानव शरीर रचना व कार्य’’ (ह्यूमन ऍनाटॉमी एंड ​फिजिओलॉजी) | घ़बराओ नहीं, यहॉं पर वैसा अभ्यासक्रम नहीं सिखना है जैसाकि वैद्यकीय विद्यार्थियों को सिखाया जाता है | बल्कि सर्वसामान्य व्यक्तियों को समझ में आनेवाले शब्दों में […]

Read More »
1 18 19 20