२७. महिला जज्ज – डेबोरा

२७. महिला जज्ज – डेबोरा

ज्यूधर्मियों के इतिहास से यह स्पष्ट रूप में ज्ञात होता है कि जब तक ज्यूधर्मीय अपने ईश्‍वर का सम्मान कर रहे थे, ईश्‍वर द्वारा बताये गये तत्त्वों का अचूकतापूर्वक पालन कर रहे थे, तब तक वे अजेय थे। उनके शत्रु के खिलाफ़ लड़ते समय जहाँ जहाँ उनकी ताकत कम पड़ गयी, वहाँ वहाँ ईश्‍वर ने […]

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२६. अधिकांश कॅनान प्रान्त पर ज्यूधर्मियों का कब्ज़ा; पहले जज्जेस

२६. अधिकांश कॅनान प्रान्त पर ज्यूधर्मियों का कब्ज़ा;  पहले जज्जेस

जोशुआ ने कॅनान प्रान्त का इस्रायल की १२ मूल ज्ञातियों में केवल औपचारिक रूप में बँटवारा करके दिया था। लेकिन वह पूरा का पूरा प्रान्त ज्यूधर्मियों के कब्ज़े में आया था ऐसा नहीं है। इस कारण इनमें से अधिकांश ज्ञातियाँ, उस प्रान्त में पहले से ही रहनेवाले स्थानीय लोगों के साथ लड़ाइयों में उलझीं हुईं […]

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२५. दंडनायकों का कालखंड (‘एरा ऑफ द जजेस्’)

२५. दंडनायकों का कालखंड (‘एरा ऑफ द जजेस्’)

जोशुआ की मृत्यु से, ज्यूधर्मियों के इतिहास का, प्राचीन माना जानेवाला हिस्सा समाप्त हो चुका था। अब इसके बाद का (ईसापूर्व १३वीं-१२वीं सदी के बाद का) इतिहास यह हालाँकि तीन हज़ार वर्ष पुराना भी हों, तब भी कइयों की राय से वह आधुनिक ही है, क्योंकि उसका दस्तावेज़ीकरण सुचारु रूप से किया गया पाया जाता […]

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२४. जोशुआ की मृत्यु

२४. जोशुआ की मृत्यु

इस प्रकार कॅनान प्रान्त के स्थापितों पर जीत हासिल कर, उनमें से अधिकांश प्रदेश ज्यूधर्मियों के कब्ज़े में आने के बाद, जोशुआ ने उस प्रान्त का इस्रायल की मूल बारह ज्ञातियों में बँटवारा करा दिया था। साथ ही, कॅनान प्रान्त में कदम रखते ही गिल्गाल में प्रतिष्ठापना किये हुए, ज्यूधर्मियों के लिए बहुत ही आदर […]

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२३. ज्यूधर्मियों का कॅनान प्रान्त के स्थापितों के साथ संघर्ष; आख़िर विजय

२३. ज्यूधर्मियों का कॅनान प्रान्त के स्थापितों के साथ संघर्ष; आख़िर विजय

जॉर्डन नदी पार करने के बाद ज्यूधर्मियों ने अपना पड़ाव गिल्गाल में जमाया था। इस स्थान पर जोशुआ ने बनवाये, बारह पत्थरों के उस स्मारक के साथ ही उसने, पिछले चालीस साल में ज्यूधर्मीय जो रेगिस्तान में मारे-मारे फिरते रहे उस दौरान ‘ईश्‍वर हमारे साथ ही है’ यह एहसास ज्यूधर्मियों को दिलानेवाले टॅबरनॅकल का भी […]

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२२. ज्यूधर्मियों का कॅनान प्रान्त में प्रवेश

२२. ज्यूधर्मियों का कॅनान प्रान्त में प्रवेश

ज्यूधर्मियों को दुखसागर में छोड़कर मोझेस ने इस दुनिया से बिदा ली थी। अब मोझेस का स्थान, उसका विश्‍वसनीय सहकर्मी जोशुआ ने लिया था। ज्यूधर्मियों को ‘प्रॉमिस्ड लँड’ में ले जाने की ज़िम्मेदारी ८२ वर्षीय पराक्रमी जोशुआ के कन्धे पर आ पड़ी थी। ज्यूधर्मियों के इतने लाखो लोगों के विशाल समुदाय को सँभालते हुए एक […]

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२१. ‘एक्झोडस्’ – मोझेस की मृत्यु

२१. ‘एक्झोडस्’ – मोझेस की मृत्यु

मोझेस को अपनी ग़लती ध्यान में आ गयी और उसने अपनी ग़लती का तथा ईश्‍वर ने उसके लिए दी हुई सज़ा का भी बिना किसी तक़रार के स्वीकार कर दिया। आरॉन को भी, उसने प्राणिमूर्तिपूजन में हिस्सा लिया इसलिए यही सज़ा ईश्‍वर ने बतायी थी कि वह भी कॅनान की भूमि पर कदम नहीं रख […]

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२०. ‘एक्झोडस्’- मोझेस के १२ गुप्तचर; ज्यूधर्मियों का चालीस साल रेगिस्तान में भटकना; मोझेस की ‘ग़लती’ और ईश्‍वर की ‘सज़ा’

२०. ‘एक्झोडस्’- मोझेस के १२ गुप्तचर; ज्यूधर्मियों का चालीस साल रेगिस्तान में भटकना; मोझेस की ‘ग़लती’ और ईश्‍वर की ‘सज़ा’

पर्वत की तलहटी पर जब यह सबकुछ चल रहा था, तब वहाँ पर्वत पर ईश्‍वर ने, तलहटी पर घटित हो रहे इस वाक़ये के बारे में मोझेस को बताया और ग़ुस्सा होकर, इन सभी ज्यूधर्मियों को मार देने का और मोझेस के वंशजों से पुनः नये सिरे से ज्यूधर्म की शुरुआत करने का अपना मन्तव्य […]

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१९. ‘एक्झोडस्’- ‘टेन कमांडमेंट्स’

१९. ‘एक्झोडस्’- ‘टेन कमांडमेंट्स’

ज्यूधर्मीय पर्वतशिखर पर अग्नि के रूप में विराजमान हुए ईश्‍वर के दर्शन करते समय जो तुरही की आवाज़ अव्याहत रूप में शुरू थी, वह आवाज़ बढ़ती जाकर एक पल बन्द हो गयी….वहाँ शांति का माहौल फैल गया और ज्यूधर्मियों को ईश्‍वर की घनगंभीर आवाज़ सुनायी देने लगी। उसके बाद उन्हें ईश्‍वर के जो पहले दस […]

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१८. ‘एक्झोडस्’ – सिनाई पर्वतशिखर से ज्यूधर्मियों को ईश्‍वर के दर्शन

१८. ‘एक्झोडस्’ – सिनाई पर्वतशिखर से ज्यूधर्मियों को ईश्‍वर के दर्शन

इस प्रकार जेथरो के मशवरे के अनुसार दैनंदिन कामों के बँटवारे की व्यवस्था करने के बाद, मोझेस पर होनेवाला बोझ काफ़ी हल्का हो चुका था और सर्वसाधारण ज्यूधर्मियों में भी धीरे धीरे निर्णयक्षमता विकसित होने की दिशा में अब उनका पहला कदम पड़ा था। एक्झोडस् के बाद ज्यूधर्मियों पर धावा बोले पहले मानवी संकट का […]

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