चीन ‘हाँगकाँग सिक्युरिटी लॉ’ रद करें – विश्‍व के ८० से अधिक प्रमुख स्वयंसेवी संगठनों ने की माँग

वॉशिंग्टन – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा हाँगकाँग पर थोंपा जा रहा नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून मानव अधिकारों की हत्या करनेवाला है और हाँगकाँग की जनता के बुनियादी हक और आज़ादी छिननेवाला है, ऐसी तीखी और कड़ी आलोचना विश्‍व के प्रमुख स्वयंसेवी संगठनों ने की है। आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ८० से अधिक स्वयंसेवी संगठनों ने चीन की संसद को संबोधित करके पत्र लिखा है और इसमें सुरक्षा कानून रद करे की माँग की है। गुरुवार से चीन की संसद की ‘स्टैंडिंग कमिटी’ का अधिवेशन शुरू हो रहा है और इसमें सुरक्षा कानून पर अंतिम मुहर लगने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि पर प्रकाशित हुआ पत्र, हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन पर आंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ने के संकेत दे रहा है।

Hongkong-Law‘फ्रीडम हाऊस’, ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’, ‘ऍम्नेस्टी इंटरनॅशनल’, ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ और ‘वर्ल्ड उघुर काँग्रेस’ समेत ८६ स्वयंसेवी संगठनों ने हाँगकाँग के लिए पहल करके यह पत्र लिखा है। चीन के संसद की स्थायी समिति के प्रमुख ली झान्शु को संबोधित करके लिखे इस पत्र में, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बारे में चीन ने किसी भी तरह की ठोस जानकारी दुनिया के सामने ना रखने का आरोप किया गया है। चीन की हुकूमत की आलोचना और बुनियादी अधिकारों का पालन, इन बातों को गुनाह क़रार देनेवाले इस कानून का इस्तेमाल, हाँगकाँग के आम नागरिकों के विरोध में ही किया जाएगा, यह आरोप भी इस पत्र में रखा गया है।

‘हाँगकाँग में सुरक्षा कानून लागू करने की योजना चीन की हुकूमत तुरंत रद करें। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे की आड़ में कोई भी हुकूमत आम जनता का दमन करने की योजना ना चलाएँ’ ऐसा भी इस पत्र में जताया गया है। यह पत्र लिखनेवाले स्वयंसेवी संगठनों में अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, युरोप, कनाड़ा, तैवान और हाँगकाँग स्थित गुट शामिल हैं।

पिछले महीने में चीन की संसद में हाँगकाँग के लिए ‘नैशनल सिक्युरिटी लॉ’ नाम का विधेयक पेश किया गया था। ‘चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, हाँगकाँग में कानून और व्यवस्था सँभालनेवाली यंत्रणाओं को और मज़बूत बनाना आवश्‍यक है’ यह कहकर इस विधेयक का समर्थन किया गया था। इस विधेयक में चीन की सुरक्षा यंत्रणाओं को हाँगकाँग में कार्रवाई करने की अधिकृत अनुमति प्रदान की गई है। इस विधेयक के विरोध में हाँगकाँग की जनता ने फिर एक बार व्यापक प्रदर्शन शुरू किए हैं।

China-Hongkong-Lawएक समय पर हाँगकाँग ब्रिटन की कॉलनी रहा है और चीन के साथ किए गए समझौते के अनुसार, सन १९९७ में हाँगकाँग चीन के हाथ सौंप दिया गया था। लेकिन, चीन को सौंपते समय ब्रिटीश सरकार ने चीन के साथ कुछ अहम समझौते किए थे। इस समझौते के अनुसार, हाँगकाँग का प्रशासन चीन की ‘वन कंट्री टू सिस्टिम्स’ की नीति पर चलेगा। साथ ही ५० वर्ष के लिए हाँगकाँग की स्वायत्तता बरकरार रहेगी, इसका ख़याल भी इस समझौते के तहत रखा गया है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग की प्रशासन व्यवस्था बदलने की गतिविधियाँ शुरू की हैं।

हाँगकाँग पर सर्वंकष नियंत्रण रखना संभव हो, इसलिए चीन के शासकों ने वर्ष २००३, २०१४ और २०१९ में अलग अलग विधेयक पेश किए थे। वर्ष २०१४ में चीन की हुकूमत ने हाँगकाँग पर दबाव बनाने और अपना विधेयक थोंपने में कामयाबी प्राप्त की थी। लेकिन, पिछले वर्ष हाँगकाँग की जनता ने सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत को कड़ी चुनौती देकर, पीछे हटने के लिए मज़बूर किया था। इससे क्रोधित हुई चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने, राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक लाकर हाँगकाँग पर अपनी पकड़ और मज़बूत करने की कोशिश शुरू की है।

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन ने हाँगकाँग को लेकर शुरू की हुई कोशिश के विरोध में आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीव्र गुँजें सुनाई दे रही हैं। अमरीका और युरोपिय देशों के साथ जापान, ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन की हुकूमत को घेरा है। अमरीका ने चीन के विरोध में कार्रवाई भी शुरू की है और ब्रिटन एवं ऑस्ट्रेलिया ने भी आक्रामक निर्णय करने के संकेत दिए हैं।

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