चिनाब के जल बिजली परियोजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी

नई दिल्ली – भारत के हिस्से की जल की एक भी बूंद पाकिस्तान में बहने नहीं दी जाएगी, यह नीति उरी और पुलावामा में हुए हमलों के बाद भारत ने अपनाई थी। इसके बाद जम्मू-कश्‍मीर, लद्दाख से बहनेवाली नदियों पर बाँध और जल बिजली परियोजना का निर्माण करने का काम भारत ने बड़े जोरों से शुरू किया है। चिनाब नदी पर भारत ८५० मेगावाट क्षमता की ‘रेटल जल बिजली परियोजना’ का निर्माण कार्य कर रहा है। इस परियोजना के लिए ५,२८२ करोड़ रुपयों की लागत की आवश्‍यकता रहेगी, यह अनुमान है। इस परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार के दिन मंजूरी प्रदान की। सिंधू, चिनाब, झेलम नदियों पर बाँध निर्माण करने की परियोजनाओं पर पाकिस्तान लगातार आपत्ति जता रहा है। इस पृष्ठभूमि पर चिनाब पर हो रही जल बिजली परियोजना बड़ी अहमियत रखती है।

chenabजम्मू-कश्‍मीर में ही चिनाब नदी पर ८५० मेगावाट क्षमता की जल बिजली परियोजना का निर्माण होगा। इसके लिए आवश्‍यक ५,२८१.९४ करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी की मुहर लगाई है। यह परियोजना पूरी होने से भारत के हिस्से में आनेवाले चिनाब नदी के पानी का पूरा इस्तेमाल करना भारत को संभव होगा। जम्मू-कश्‍मीर में निर्माण हो रही इस परियोजना की वजह से बड़ी मात्रा में बिजली का निर्माण होगा और इस क्षेत्र की बिज़ली की ज़रूरत भी पूरी होगी। इसके साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में ४ हज़ार लोगों को रोज़गार भी प्राप्त होगा।

जल बिजली परियोजना के निर्माण के लिए ‘नैशनल हायड्रो-इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन’ (एनएचपीसी) और ‘जम्मू-कश्‍मीर राज्य बिजली विकास महामंड़ल लिमिटेड’ (जेकेएसपीडीसी) के बीच समझौता हुआ है। इसके तहत ‘एनएचपीसी’ की इस परियोजना में ५१ प्रतिशत और ‘जेकेएसपीडीसी’ की ४९ प्रतिशत भागीदारी के साथ नई कंपनी गठित की जाएगी।

इस जल बिजली परियोजना के निर्माण के लिए ‘एनएचपीसी’ और ‘जेकेएसपीडीसी’ द्वारा गठित हो रही संयुक्त कंपनी के ‘इक्विटी’ योगदान के तौर पर केंद्र सरकार ७७६.४४ करोड़ रुपये अनुदान देगी। रेटल जल बिजली परियोजना का निर्माण ६० महीनों में पूरा किया जाएगा।

चिनाब नदी के पानी का इस्तेमाल करने के मुद्दे पर वर्ष १९६० में भारत और पाकिस्तान ने समझौता किया था। अब इस समझौते के अनुसार भारत अपने हिस्से के पूरे पानी का इस्तेमाल करने का कदम बढ़ा रहा है। चिनाब नदी पर निर्माण हो रही यह जल बिजली परियोजना जम्मू-कश्‍मीर के विकास के नज़रिये से बड़ी अहम साबित होगी। उरी हमले के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते, यह बयान करके पाकिस्तान को इशारा दिया था।

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