‘डीआयसीजीसी’ सुधार विधेयक को मंत्रिमंडल की मंज़ुरी – बैंक दिवालिया होने पर पूँजीदारों को ५ लाख तक की रकम ९० दिनों में मिलेगी

नई दिल्ली – बैंकों में चल रहे गैर व्यवहारों के कारण अगर बैंक डूब गया अथवा दिवालिया हुआ, तो पूँजीदारों को अपने पैसों की चिंता सताती रहती है। इस पृष्ठभूमि पर सरकार ने ‘डिपॉझिट इंन्शोरन्स ऍण्ड क्रेडीट गॅरंटी कॉर्पोरेशन’ (डीआयसीजीसी) कानून में बदलाव करने का फैसला किया होकर, इस संदर्भ में सुधार विधेयक को मंत्रिमंडल ने मंज़ुरी दी है। इसके अनुसार खातेदारों को ९० दिनों के अंदर उनकी ५ लाख तक की रकम मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने इस संदर्भ में जानकारी दी।

हाल के दौर में कई बैंक्स इस प्रकार डूबने के बाद, पूँजीदारों के पैसे का सवाल उपस्थित हुआ था। पूँजीदारों ने बैंक में रखे पैसे सुरक्षित होकर, वे उन्हें वापस मिल जायेंगे, ऐसा यकीन आरबीआय, तथा सरकार द्वारा बार-बार दिया जाता है। लेकिन ये पैसे कब मिलेंगे, यह सवाल कायम रहता है। क्योंकि एक बार बैंक ‘बैड़’ घोषित होने के बाद उस पर आरबीआई के प्रतिबंध तथा अन्य कार्रवाई की प्रक्रिया धीमी गति से चलती रहती है। साथ ही ऐसे दिवालिया बैंक की संपत्ति को कब्ज़े में लेकर, उसे बेचकर फिर पूँजीदारों के पैसे दिए जाते हैं। इसमें कुछ साल भी निकल जाते हैं।

दो साल पहले ‘पंजाब ऍण्ड महाराष्ट्र कॉ-ऑपरेटिव्ह बँक’ (पीएमसी) इसी प्रकार डूबने के बाद हजारों पूँजीदारों के पैसे फँसे थे। बैंकों से कितनी रकम निकालनी है, उस पर मर्यादा निर्धारित करने के कारण ये पैसे समय पर पूँजीदारों को नहीं मिल सके थे। पीएमसी की तरह ही अन्य कुछ बैंकों के मामले में भी ऐसा ही कुछ घटित हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर केंद्र सरकार ने ‘डीआयसीजीसी’ कानून में सुधार करके खातेदारों को और पूँजीदारों को आर्थिक सुरक्षा कवच देने का फैसला किया है। इस सुधारित विधेयक को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी होकर, इसके अनुसार ५ लाख तक की पूँजी अथवा जमा रकम ९० दिनों के अंदर मिलेगी।

इसी बीच, कोरोना के दौर में विलफुल डिफॉल्टर यानी जानबूझकर कर्जा डूबानेवालों की संख्या बड़ी है, ऐसा वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है। ३१ मार्च २०२१ को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या २ हज़ार ४९४ तक पहुँची है। सन २०२० के मार्च महीने तक यह संख्या २ हज़ार २०८ इतनी थी। लेकिन उसी समय बैंकों ने कार्रवाई करते हुए बड़े पैमाने पर, डूबे हुए कर्जे यानी एनपीए वसूल किये हैं। तकरीबन ३ लाख १३ हज़ार करोड़ रुपयों के एनपीए की वसूली सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने की होने की जानकारी भी सीतारामन ने दी।

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