खाडी क्षेत्र में बढ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन के दो युद्धपोत पर्शियन खाडी में तैनात होंगे

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

लंदन – अमरिका ने किए ड्रोन हमले में कासेम सुलेमानी के मारे जाने के बाद ईरान ने भीषण बदला लने की धमकी दी है| इससे सीर्फ अमरिका ही नही, बल्कि खाडी क्षेत्र में मौजूद अमरिका के मित्रदेशों के हितसंबंधों को भी ईरान एवं ईरान से जुडे गुटों से बने खतरे में बढोतरी हुई है| इस पृष्ठभूमि पर खाडी क्षेत्र में अपने हितसंबंधों की रक्षा करने के लिए ब्रिटेन ने अपने दो युद्धपोत एवं ‘स्पेशल फोर्सेस’ के ५० सैनिकों का दल इराक एवं पर्शियन खाडी में तैनात करने का तय किया है| जरूरत पडने पर आवश्यक कार्रवाई करने के आदेश भी ब्रिटेन ने अपने इन सैनिकों के लिए जारी किए होने की जानकारी सामने आ रही है|

ब्रिटेन के रक्षामंत्री ‘बेन वॉलेस’ ने होर्मुझ की खाडी में ‘एचएमएस मॉंट्रोस’ और ‘एचएमएस डिफेंडर’ इन दो युद्धपोतों की तैनाती करने की जानकारी साझा की है| विमान एवं पनडुब्बी विरोधी मिसाइलों से सज्जित इन युद्धपोतों को ‘स्पेशल ऑर्डर्स’ के साथ भेजा गया है, यह दावा भी हो रहा है| इससे पहले ब्रिटेन की टॉमाहॉक क्रूज मिसाइलों से सज्जित परमाणु पनडुब्बी इस समुद्री क्षेत्र में तैनात है| होर्मुझ की खाडी से सफर कर रहे ब्रिटेन के व्यापारी जहाज एवं ईंधन टैंकर्स की सुरक्षा के लिए जरूरी सभी कदम उठाने के आदेश इन युद्धपोतों को दिए गए है| 

ऐसे में इराक में तैनात ब्रिटेन के सैनिक, दूतावास के अधिकारी, कर्मचारी एवं नागरिकों की सुरक्षा के लिए ‘स्पेशल एअर सर्व्हिसेस’ (सास) के ५० सैनिकों का दल भी भेजा गया है| इराक में ब्रिटेन के ४०० से अधिक सैनिक तैनात है| रक्षामंत्री वॉलस ने स्पेशल फोर्सेस के सैनिकों को ‘प्लैन ए’, ‘प्लैन बी’ और ‘ब्रेक द ग्लास’ इन प्लैन्स का स्वतंत्र या एक साथ इस्तेमाल करने की सूचना के साथ भेजा है, यह जानकारी भी सूत्रों ने ब्रिटीश माध्यमों से की बातचीत के दौरान साझा की|

ईरान एवं ईरान से जुडे गुटों ने खाडी क्षेत्र में ३५ लक्ष्य तय किए होने की जानकारी सामने आ रही है| इसमें इराक में स्थित ब्रिटिश सेना का अड्डा और दूतावास भी शामिल होने की बात कही जा रही है|

इसी बीच अमरिका ने ईरान के दुसरें क्रमांक के नेता मेजर जनरल कासेम सुलेमानी को ढेर करने के बाद ब्रिटेन की सरकार ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है| वही, अमरिका ने बडे आतंकी नेता को खतम किया होने का दावा ब्रिटेन के माध्यम कर रहे है| इराक में स्थित ब्रिटीश सैनिक और लष्करी अड्डों पर हुए हमलों के पीछे सुलेमानी का हाथ था| बारह वर्ष पहले उन्हें मारने का अवसर ब्रिटेन की सेना के हाथ लगा था| पर, ब्रिटेन के उस समय के विदेशमंत्री डेव्हिड मिलिबैंड ने इसके लिए जरूरी निर्णय करने से इन्कार करने से सुलेमानी बच निकले थे, यह आलोचना ब्रिटेन के माध्यम कर रहे है| साथ ही ब्रिटेन के माध्यमों ने ट्रम्प ने सुलेमानी को लेकर किए साहसी निर्णय का स्वागत किया है| वही, कुछ विश्‍लेषक इस निर्णय के बडे गंभीर परिणाम सामने आने की संभावना जता रहे है|

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