ब्रिटन की आगामी पीढ़ियों को चीन से सर्वाधिक खतरा – ‘एमआय६’ के पूर्व प्रमुख की चेतावनी

लंडन – ‘आने वाले समय में ब्रिटेन और चीन के बीच वैचारिक स्तर पर के मत भेज मतभेद अत्यधिक बिगड़ जाएंगे। यदि ऐसा हुआ तो ब्रिटेन की आगामी पीढ़ियों को चीन के कम्युनिस्ट विचारों से सबसे बड़ा खतरा संभव है’, ऐसी चेतावनी ब्रिटिश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय६’ के पूर्व प्रमुख सर ऍलेक्स यंगर ने दी। यदि इस खतरे को टालना है, तो ब्रिटन को तंत्रज्ञान और वैज्ञानिक क्षेत्र में बढ़त लेनी ही होगी, ऐसा सुझाव सर यंगर ने दिया है।

britain-chinaआनेवाले कुछ घंटों में प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन की सरकार ब्रिटेन की संसद में सुरक्षा विषय की रिपोर्ट प्रस्तुत करनेवाली है। राजनीतिक, आर्थिक तथा सुरक्षा विषयक मोरचे पर ब्रिटेन के सामने होनेवालीं चुनौतियों के बारे में इस रिपोर्ट में अहम मुद्दे रखे जानेवाले हैं। इस रिपोर्ट के बारे में कुछ तफ़सील ब्रिटेन के एक अग्रसर अखबार में प्रकाशित किए हैं। चीन और रशिया से ब्रिटेन को होने वाले खतरे का मुद्दा इसमें प्रस्तुत किया होने का दावा ब्रिटेन के अखबार ने किया।

इस पृष्ठभूमि पर, पिछले साल ही ‘एमआय६’ की सेवा से निवृत्त हुए सर ऍलेक्स यंगर ने ब्रिटिश रेडियो स्टेशन के साथ वार्तालाप करते हुए, चीन से अपने देश की सुरक्षा को सर्वाधिक खतरा होने की बात कही है। ‘आनेवाले समय में महासत्ता के रूप में उदयित होने वाले चीन का आचरण सुसभ्य होगा, ऐसी उम्मीद रखी नहीं जा सकती। क्योंकि जागतिक महासत्ता बने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत, अपनी विचारधारा का अधिक ही तीव्रता से प्रचार करेगी। यदि ऐसा हुआ, तो आनेवाले समय में ब्रिटेन और चीन के बीच के वैचारिक मतभेद चरम सीमा तक पहुँच जायेंगे। इससे दोनों देशों में होड़ भड़ककर आपस में विश्वास कम होगा’, ऐसी चेतावनी यंगर ने दी।

britain-chinaअगर चीन के इस खतरे का मुकाबला करना है, तो ब्रिटेन को भी उसी भाषा में जवाब देना होगा, जो चीन की समझ में आती है। इसके लिए ब्रिटेन तंत्रज्ञान विषयक नयीं संकल्पनाओं पर काम करके अपना सामर्थ्य बढ़ाएँ और मित्र देशों का मोरचा अधिक से अधिक मजबूत करता रहें’, ऐसा सुझाव एमआय६ के पूर्व प्रमुख ने दिया। मंगलवार को ब्रिटेन की संसद में प्रस्तुत किए जानेवाली रिपोर्ट में भी इसी तरह चीन विरोधी सुर अलापा जाने की संभावना जताई जाती है।

britain-chinaपिछले कुछ हफ्तों से ब्रिटेन के लष्करी विश्‍लेषक और अभ्यासगुट, ब्रिटेन की राजनीति में और शैक्षणिक संस्थाओं में चीन के बढ़ रहे प्रभाव पर सरकार का गौर फरमा रहे हैं। साथ ही, चीन के प्रभाव को चुनौती देने के लिए ब्रिटेन भारत पर अधिक ध्यान केंद्रित करें और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अधिक निवेश करें, ऐसा सुझाव लष्करी विश्‍लेषक दे रहे हैं।

इसी बीच, ब्रिटेन ने भी ‘साऊथ चायना सी’ के क्षेत्र में गश्त लगाने के लिए अपना विमानवाहक युद्धपोत रवाना करने की घोषणा की है। आनेवाले साल के अंत तक ‘एचएमएस क्विन एलिझाबेथ’ इस सागर क्षेत्र में दाखिल होने वाला होकर, इससे चीन अत्यधिक बेचैन हुआ है।

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