अंडमान-निकोबार द्विप पर हुआ ‘ब्रह्मोस’ का परीक्षण

नई दिल्ली – बीते तीन महीनों में लगातार मिसाइल परीक्षण करके शत्रु को इशारा दे रहे भारत के ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने मंगलवार के दिन सेना के लिए तैयार किए गए ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल का परीक्षण किया। अंडमान-निकोबार द्विप भर भारतीय सेना अफ़सरों की मौजुदगी में यह परीक्षण किया गया। अगले कुछ दिनों में अंडमान-निकोबार द्विप पर ही नौसेना और वायुसेना के लिए तैयार किए गए सुपरसोनिक ‘ब्रह्मोस’ क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा।

andaman-nicobar-brahmosजमीन से जमीन पर हमला करनेवाले ब्रह्मोस मिसाइल पहले ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किए गए हैं। फिलहाल लद्दाख एवं अरूणाचल प्रदेश में स्थित सीमा पर इन मिसाइलों की तैनाती की गई है। इसके बावजूद अंडमान-निकोबार द्विप से सेना के लिए तैयार किए गए इस मिसाइल का परीक्षण करना बड़ा अहम होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। मंगलवार सुबह १० बजे किए गए इस परीक्षण के दौरान अंडमान-निकोबार के एक द्विप पर तैनात मोबाईल लाँचर से ब्रह्मोस मिसाइल दागी गई।

९० अंश के कोन में अपनी दिशा में बदलाव करनेवाले इस मिसाइल ने अन्य द्विप पर निर्धारित किए लक्ष्य को सटीकता से ध्वस्त किया। ‘डीआरडीओ’ एवं भारतीय सेना ने दागी मिसाइल ने कितनी दूरी पर स्थित लक्ष्य को निशाना किया, इसकी जानकारी साझा नहीं की। इस परीक्षण के साथ ही शत्रु के हवाई अड्डे, लष्करी मुख्यालय, राजमार्ग, अहम ठिकानों को आसानी से लक्ष्य करना संभव होगा, यह स्पष्ट हुआ है। इस तरह के हमले के लिए अब शत्रु की सीमा के करीब लड़ाकू विमान रवाना करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी।

इससे पहले ३० सितंबर के दिन ‘डीआरडीओ’ और भारतीय सेना ने ४०० किलोमीटर मारक क्षमता के ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल का परीक्षण करके सनसनी निर्माण की थी। विश्‍व में सबसे तेज़ और तैनात क्रूज़ मिसाइल के तौर पर पहचान प्राप्त करनेवाले ‘ब्रह्मोस’ को निशाना करना कठिन होने का दावा किया जाता है। भविष्य में ‘ब्रह्मोस’ की मारक क्षमता १,५०० किलोमीटर तक बढ़ाई जाएगी, ऐसा कहा जा रहा है।

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