नेपाल चीन के निवेश से सतर्क रहें – भारतीय लष्कर प्रमुख की चेतावनी

पुणे: चीन के पास बडी मात्रा में पैसा है और उसके बल पर चीन पड़ोसी देशों में बड़ी तादाद में निवेश कर रहा है। ऐसा होते हुए भी दुनिया में किसी को भी कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता, उसकी कीमत चुकानी होती है। चीन का निवेश स्वीकारने वाले इन देशों को जल्द ही इसका एहसास होगा, ऐसी कड़ी चेतावनी भारत के लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने दी है। उस समय चीन के साथ संबंध प्रस्थापित कर रहे नेपाल एवं भूटान यह देश भौगोलिक रूप से पास होनेवाले देश भारत से अधिक मजबुती से जुड़े रहेंगे, इसकी याद भी जनरल रावत ने दिलाई है।

नेपाल, चीन, निवेश, सतर्क, भारतीय लष्कर प्रमुख, चेतावनी, पुणे, भारतपिछले कई वर्षों से चीन नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयत्न कर रहा है। इसके लिए चीन ने बड़े निवेश का झांसा दिखाते हुए नेपाल को आकर्षित करना शुरू किया है। फिलहाल नेपाल की सरकार उनकी तरफ झुक रही है और यह सरकार पारंपारिक मित्र देश होनेवाले भारत से अधिक चीन को महत्व दे रही है। नेपाल की भारत पर बनी निर्भरता कम करने के लिए चीन ने अपने बंदरगाह नेपाल के लिए खुले करने का निर्णय घोषित किया है। उसी समय भूतान के साथ संबंध बढ़ाने के लिए चीन विशेष उत्सुकता दिखा रहा है।

पुणे में आयोजित बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) देशों के युद्धाभ्यास के समारोह में बोलते हुए जनरल रावत ने इस विषय पर अपने मत प्रस्तुत किए हैं।

चीन ने कितने भी प्रयत्न किए फिर भी भौगोलिक रूप से भारत से अधिक मजबूत तौर पर जुड़े हुए नेपाल और भूटान के साथ चीन के संबंधों को मर्यादा रहेगी, ऐसे संकेत जनरल रावत ने दिए हैं। तथा दूसरी तरफ इन देशों के साथ भारत के संबंध कुछ समय के लिए बाधित हुए है फिर भी यह देश कभी भी भारत से अलग नहीं किए जा सकते, ऐसा जनरल रावत ने सूचित किया है। उस समय उदार हाथों से चीन का निवेश स्वीकारते हुए उसके परिणामों का भी विचार किया जाए, ऐसी चेतावनी भारत के लष्कर प्रमुख ने नेपाल एवं भूतान को दी है।

उस समय भारत और चीन यह आर्थिक स्तर पर एक दूसरों के स्पर्धक होने की बात कहकर उत्तर पूर्व एशियाई क्षेत्र में आर्थिक प्रभाव के लिए दोनों देशों में स्पर्धा शुरु है, इसकी तरफ जनरल रावत ने ध्यान केंद्रित किया है।

दौरान पैसा वापस लौटाने की क्षमता ना होने वाले देशों को बड़े रकम के कर्ज देकर इन देशों की नैसर्गिक साधन संपत्ती एवं स्रोत हथियाने की कोशिष चीन कर रहा है, ऐसी आलोचना शुरू हुई है। यह ‘शिकारी अर्थशास्त्र’ होकर चीन इसका वीघातक रूप से उपयोग कर रहा है, यह आरोप सिद्ध होने लगा है। इस रूप से चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह हथियाया है और झाम्बिया और अफ्रीकन देशों की बिजली की कंपनी एवं हवाई अड्डा भी चीन ने कब्जे में लिया है।

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