दुनिया की आधे से ज्यादा बैंक मंदी का झटका बर्दाश्त नही कर सकेगी – जागतिक सलाहाकार कंपनी ‘मैकेन्झी’ का इशारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरन्यूयॉर्क: दुनिया के करीबन ६० प्रतिशत बैंक उनके निवेष पर सही आय प्राप्त करने में नाकाम साबित हुई है और ऐसे बैंक मंदी का झटका बर्दाश्त नही कर सकती, यह इशारा जागतिक स्तर की सलाहकार कंपनीमैकेन्झीने दिया है| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल मंदी का माहौल होने के संकेत दिए जा रहे है और इस पृष्ठभूमि परमैकेन्झीने बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित दिया इशारा खलबली मचानेवाला साबित होता है|

इससे पहले वर्ष २००८०९ में देखी गई जागतिक मंदी के दौरान बैंकों की आर्थिक स्थिति काफी अहम मुद्दा साबित हुआ था| अकले अमरिका में मंदी और उसके बाद के कुछ वर्षों में करीबन ४५० से अधिक बैंक बंद करनी पडी थी| इस मंदी के बाद यूरोप में उभरें कर्ज के संकट के दौरान भी बैंकिंग क्षेत्र को जोरदार झटका लगा था| बैंकों ने दिए बडे कर्ज और उस पर आय प्राप्त ना होने से यह बैंक असफल साबित हुई थी|

इसके बाद अमरिका और यूरोप के साथ दुनिया भर में बैंकिंग क्षेत्र के सुधार के लिए कई प्रावधान किए गए| इसके जरिए बैंकों को अपना निवेष बढाना और उचित निधी का प्रावधान रखने को कहा गया था| पर, असल में इसपर सही अमल हुआ नही है, यही बात मैकेन्झी के रपट से सामने रही है| ‘मैकेन्झीके रपट में ३५ प्रतिशत बैंकों का काम काफी खराब होने की बात कही गई है|

कई बैंकों के बिझनेस मॉडल पूरी तरह से गलत है और उसमें तुरंत ही बदलाव करने की जरूरत होने की बात इस रपट में कही गई है| मंदी के दौर में खडा रहना है तो ऐसे बैंकों को अन्य बैंकों में शामिल करने के अलाव दुसरा विकल्प नही रहेगा, इसका एहसास मैकेन्झी के रपट में कराया गया है| जागतिक मंदी का दौर ज्यादा बडा रहा तो लगभग ६० प्रतिशत बैंकों के लिए यह बात घातक साबित होगी, यह इशारा भी इस रपट में दिया गया है|

पिछले कुछ महीनों में दुनिया की कई प्रमुख बैंकों में बडे पैमाने पर कर्मचारियों को कम किया जा रहा है साथ ही अन्य प्रावधान भी हो रहे है| इसमें यूरोप का बैंकिंग क्षेत्र आगे है और प्रमुख बैंकों ने एशिया एवं अमरिका की शाखा एवं कर्मचारियों में बडी तादाद में कटौती करने की बात सामने रही है| इसके पीछे अमरिका और चीन के बीच शुरू व्यापारयुद्ध, ब्रेक्जिट को लेकर बनी अनिश्चितता जैसे कारण होने की बात सामने रही है|

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्था ने चीन की अर्थव्यवस्था के विषय में दिए इशारों में इन देशों के बैंकिंग क्षेत्र पर बढा कर्ज का भार अर्थव्यवस्था की असफलता का कारण बनेगा, यह इशारा दिया है| ऐसी पृष्ठभूमि पर मैकेन्झी का रपट बैंकिंग क्षेत्र के नए संकट का संकेत देता दिख रहा है|

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