ऑस्ट्रेलिया ने ताइवान संबंधित किया बयान गैरज़िम्मेदाराना और उकसानेवाला – चिनी सेना की चेतावनी

बीजिंग/कैनबेरा – ऑस्ट्रेलिया की ताइवान के मुद्दे पर जारी गतिविधियाँ और बयानबाज़ी, गैरज़िम्मेदाराना एवं उकसानेवाले हैं, ऐसी चेतावनी चीन की सेना ने दी है। चीन-ताइवान युद्ध के खतरे के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने अपनाई भूमिका अतिशयोक्तिपूर्ण है, यह आरोप भी चीन ने लगाया है। तैवान मामले में चीन द्वारा ऑस्ट्रेलिया को धमकाया जाने का, बीते दो महीनों में यह तीसरा अवसर है। चीन द्वारा आक्रामक चेतावनियाँ दीं जा रहीं हैं और तभी ऑस्ट्रेलिया ने, डार्विन पोर्ट के लिए चिनी कंपनी के साथ किए समझौते पर पुनर्विचार करने का निर्णय करने का वृत्त सामने आया है।

Australia-Taiwan-Chinaचीन की कम्युनिस्ट हुकूमत बीते वर्ष से अधिक आक्रामक हुई है और अपनी विस्तारवादी नीति आगे बढ़ाने के लिए तेज़ कदम उठा रही है। ताइवान पर कब्ज़ा करना इसीका अगला चरण है और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एवं लष्करी अफसरों ने, ताइवान पर हमला करने की योजना तैयार होने के स्पष्ट संकेत भी दिए हैं। अमरीका में सत्ता परिवर्तन होने के बाद ताइवान की सीमा में घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ी हैं, इससे चीन के इरादों का एहसास होता है। ऑस्ट्रेलिया के राजनीतिक एवं लष्करी दायरे में इसकी गुँजें सुनाई दीं हैं और चीन-ताइवान युद्ध की संभावना बढ़ने के संकेत यहाँ के नेताओं द्वारा दिए जा रहे हैं।

बीते महीने में ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री पीटर डटन ने, चीन और ताइवान का युद्ध शुरू होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता, यह चेतावनी दी थी। वहीं, गृह विभाग के सचिव मायकल पेझुलो ने, करीबी क्षेत्र में बड़ी आवाज़ में युद्ध के नगाड़े बजना शुरू हुआ है, इन शब्दों में चीन-ताइवान युद्ध की संभावना जताई थी। ऑस्ट्रेलिया के कुछ अधिकारी एवं नेताओं ने, ताइवान के क्षेत्र में संघर्ष भड़कने पर अमरिकी सेना की ऑस्ट्रेलिया सहायता करें, यह भूमिका भी रखी थी। बीते कुछ महीनों में ऑस्ट्रेलिया ने अमरीका के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नौसेना की गतिविधियाँ भी बढ़ाईं थीं।

Australia-Taiwan-China-02-400x240इन सभी घटनाओं पर चीन की सेना की आक्रामक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। ‘ताइवान के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया की जारी गतिविधियाँ उकसानेवालीं हैं और हम इसका तीव्र विरोध करते हैं। ताइवान के मुद्दे पर संघर्ष भड़काने की कोशिश ऑस्ट्रेलिया कर रहा है। चीन-ताइवान युद्ध के खतरे के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने अपनाई भूमिका भी अतिशयोक्तिपूर्ण है’, ऐसी चेतावनी चिनी सेना के प्रवक्ता कर्नल तान केफेई ने दी है। ऑस्ट्रेलिया के कुछ लोग चीन-ताइवान युद्ध के मुद्दे पर कर रहें बयान गैरज़िम्मेदाराना होने का आरोप भी चिनी सेना के प्रवक्ता ने लगाया है।

चीन द्वारा ताइवान के मुद्दे पर जारी आक्रामक लष्करी गतिविधियों की गुंजें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रहीं हैं। ताइवान को इस मुद्दे पर काफी मात्रा में समर्थन प्राप्त हो रहा है। साथ ही, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बाद युरोपीय देश भी ताइवान के मुद्दे पर तीव्रता से अपनी भूमिका रखने लगे हैं। यही बात चीन को बेचैन करनेवाली साबित हुई है और चिनी हुकूमत अब धमकियाँ और इशारें देकर इन देशों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।

Australia-Taiwan-China-01-300x169चीन ने बीते महीने में ही ऑस्ट्रेलिया को धमकाते वक्त यह कहा था कि अगर व्यापारयुद्ध बंद करना है, तो ताइवान के मामले में चीन की नीति का समर्थन करें। इसके बाद ताइवान के मामले में यदि ऑस्ट्रेलिया ने अमरिकी सेना की सहायता की, तो ऑस्ट्रेलिया के अहम लष्करी ठिकानों पर चीन मिसाइल हमलें करेगा, यह धमकी चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी थी।

इसी बीच चीन की चेतावनियाँ और धमकियाँ प्राप्त होने के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया ने संकेत दिए हैं कि वह अपनी नीति पर ड़टी रहेगी। ऑस्ट्रेलिया की यंत्रणाओं ने, ‘डार्विन पोर्ट’ के लिए चीन के ‘लैण्डब्रीज ग्रुप’ के साथ किए समझौते की दोबारा जाँच करने का निर्णय किया है।

वर्ष २०१५ में इससे संबंधित समझौता किया गया था। लेकिन, इस बंदरगाह के करीब अमरीका और ऑस्ट्रेलिया का संयुक्त रक्षाअड्डा मौजूद है और इस समझौते से विवाद निर्माण हुआ था। अमरिकी नेतृत्व ने इस समझौते पर तीव्र आपत्ति दर्ज़ की थी। इस पृष्ठभूमि पर, इस समझौते पर पुनर्विचार करने का निर्णय होना ऑस्ट्रेलिया-चीन के बीच बना तनाव अधिक बढ़ानेवाला साबित होगा, यह बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है।

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