‘बीआरआय’ समझौता रद करके ऑस्ट्रेलिया ने दिया चीन को झटका

कैनबेरा – चीन के ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआय) प्रकल्प को ऑस्ट्रेलिया ने झटका दिया हैं। ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत ने चीन के साथ बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए समझौता किया था। यह समझौता ऑस्ट्रेलिया की केंद्रीय सरकार ने रद किया हैं। चीन और विक्टोरिया राज्य के बीच हुआ यह समझौता ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति से अनुरूप नही हैं, ऐसा बयान करके विदेशमंत्री मरिस पेन ने यह समझौता रद करने का ऐलान किया। इसपर चीन की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई हैं और ऑस्ट्रेलिया के इस निर्णय के कारण द्विपक्षीय संबंध अधिक बिगड़ेंगे, ऐसा इशारा भी चीन ने दिया हैं।

bri-china-austऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन के खिलाफ आक्रामक निर्णय करने का सिलसिला शुरू किया हैं। ऑस्ट्रेलिया में चीन ने पुरी योजना के साथ अपना प्रभाव बढ़ाया हैं। चीन का राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ऐसी आक्रामक नीति स्वीकारने के लिए मज़बूर हुए। इस वजह से बेचैन हुए चीन ने ऑस्ट्रेलिया को आर्थिक स्तर पर झटके देनेवाले कुछ निर्णय किए थे। ऑस्ट्रेलिया से कोयला और जव की खरीद करने पर चीन ने पाबंदी लगाई हैं। इसी बीच ऑस्ट्रेलिया ने चीन के विरोध में अमरीका, जापान और भारत के साथ सहयोग बढ़ाकर इंड़ो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं को झटका देना जारी रखा है।

ऑस्ट्रेलिया और चीन एक-दुसरें को झटके देनेवाले निर्णय करने का सिलसिला जारी रखते हुए बीते कुछ महीनों से लगातार सामने आया हैं। चार महीनें पहले स्कॉट मॉरिसन ने ऑस्ट्रेलिया के राज्य सरकारों ने अन्य देशों के साथ किए समझौते रद करने का अधिकार केंद्रीय सरकार को मुहय्या करानेवाला विधेयक संसद में मंजूर करवाया था। इस अधिकार का इस्तेमाल करके प्रधानमंत्री मॉरिसन की सरकार ने विक्टोरिया राज्य और चीन के बीच बुनियादी सुविधाओं के विकास के मुद्दे पर हुआ समझौता रद किया हैं। साथ ही ईरान और सीरिया के साथ विक्टोरिया राज्य ने किए समझौते भी ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने खारिज़ किए हैं।

विक्टोरिया राज्य ने चीन के साथ किया समझौता ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति से अनुरूप ना होने का बयान ऑस्ट्रेलिया के विदेशमंत्री मरिस पेन ने किया हैं। बीते कुछ महीनों से चीन के साथ जारी ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ हैं और ऐसें में ऑस्ट्रेलिया के राज्यों को चीन के साथ सहयोग स्थापीत करना मुमकिन नही होगा, ऐसा संदेश दिया जा रहा हैं। ऑस्ट्रेलिया में स्थित चीन के दूतावास ने इसपर तीखें शब्दों में प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। यह निर्णय करके ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने वह चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए उत्सुक ना होने की बात दिखाई हैं। साथ ही इस निर्णय पर चीन का प्रत्युत्तर प्राप्त होगा, ऐसें संकेत भी चीनी दूतावास के प्रतिक्रिया से दिए जा रहे हैं।

bri-china-austसीर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, बल्कि विश्‍व के अन्य प्रमुख देश भी चीन के ‘बीआरआय’ प्रकल्प की ओर आशंका से देख रहे हैं। बुनियादी सुविधाओं के पीछे से चीन ‘बीआरआय’ के माध्यम से अन्य देशों पर अपना आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ा रहा हैं, यह आरोप जोरपकड़ रहा हैं। इसके ज़रिये चीन गरीब और अविकसित देशों की साधन संपत्ति एवं नैसर्गिक स्रोतों पर कब्ज़ा कर रहा हैं। साथ ही विकसित देशों में ऐसा प्रकल्प चलाकर चीन अपनी प्रतिमा सुधारने की कोशिश कर रहा हैं। इस मोर्चे पर चीन को रोकने के लिए बीआरआय को विकल्प देने की तैयारी अमरीका ने शुरू की हैं और इस विषय पर अमररिक राष्ट्राध्यक्ष और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की चर्चा होने की बात कही जा रही हैं।

भारत और जापान यह देश भी चीन के ‘बीआरआय’ से प्राप्त हो रही चुनौतियों को परस्त करने के लिए संयुक्त कोशिश करने में जुटे होने की बात पहले ही स्पष्ट हुई थी। अब ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के ‘बीआरआय’ को अपने राज्यों से बाहर निकालकर चीन को नया झटका दिया हैं।

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