ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैण्ड के ‘युनायटेड फ्रंट’ पर चीन की आलोचना

वेलिंग्टन/बीजिंग – ‘साउथ चायना सी’ समेत हाँगकाँग और उइगरवंशियों के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड ने दिखाए ‘युनायटेड फ्रंट’ की वजह से चीन की बेचैनी काफी बढ़ी है। सोमवार के दिन दो देशों ने जारी किए संयुक्त निवेदन पर चीन ने आक्रामक प्रतिक्रिया दर्ज़ की है और बेबुनियाद आरोप और गैरज़िम्मेदाराना बयान बर्दाश्‍त नहीं किए जाएँगे, यह चेतावनी भी चीन ने दी है।

australia-nz-united-front-2‘ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड के नेताओं ने हाँगकाँग, झिंजियांग और साउथ चायना सी जैसें चीन के अंदरूनी मुद्दों को लेकर गैरज़िम्मेदाराना बयान किए हैं। दोनों देशों के नेताओं ने चीन पर लगाए बेबुनियाद आरोप बर्दाश्‍त नहीं किए जाएँगे। चीन के अंदरूनी कारोबार में दखलअंदाज़ी करने के साथ ही, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड ने अन्तर्राष्ट्रीय कानून एवं नियमों का भी उल्लंघन किया है’, इन शब्दों में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेन्बिन ने इन दोनों देशों को फटकार लगाई है।

संबंधित देश मानव अधिकारों का बहाना बनाकर चीन के अंदरूनी कारोबार में जो दखलअंदाज़ी कर रहे हैं, उसका समर्थन नहीं हो सकता, यह दावा वेन्बिन ने किया। साउथ चायना सी के मुद्दे पर चीन अपनी संप्रभुता एवं हितसंबंधों से कभी भी समझौता नहीं करेगा, यह चेतावनी भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी है। चिनी प्रवक्ता के इस बयान पर न्यूज़ीलैण्ड की प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड ने उपस्थित किए मुद्दों पर चीन अपनी हमेशा की पद्धति से बयान कर रहा है, ऐसी फटकार न्यूज़ीलैण्ड की विदेशमंत्री नानिआ माहुता ने लगाई है।

australia-nz-united-front-1इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार के दिन, न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डन के साथ चीन समेत अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर गहरी चर्चा की। इसके बाद दोनों नेताओं ने वार्ता परिषद का आयोजन करके संयुक्त निवेदन जारी किया। इसमें साउथ चायना सी में जारी गतिविधियों पर तीव्र चिंता जताकर, इस क्षेत्र में सेना की तैनाती में हो रही बढ़ोतरी को लेकर नाराज़गी व्यक्त की गई हैं। हाँगकाँग और झिंजियांग में उइगरवंशियों पर हो रहें अत्याचार, मानव अधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा होने की आलोचना भी इस निवेदन में की गई है।

मुख्य तौर पर इस निवेदन में कोरोना के उद्गम की गहराई से जाँच करने की माँग की गई है। इस संयुक्त निवेदन को जारी करने से पहले न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डन ने, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड के बीच चीन के मुद्दे पर मतभेद होने का वृत्त स्पष्ट शब्दों में ठुकराया। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने भी इसकी पुष्टि की। ‘यहाँ से दूर बैठें कुछ लोग हमारे बीच दरार बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे सफल नही होंगे’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री मॉरिसन ने चीन को फटकार लगाई।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड इन दोनों देशों के लिए चीन एक प्रमुख व्यापारी साझेदार देश है। इसका लाभ उठाकर चीन इन देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने इसके खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाई है, लेकिन, न्यूज़ीलैण्ड की नीति अभी भी कुछ हद तक लचीली होने की बात सामने आयी थी। चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर लगाए व्यापारी प्रतिबंधों का लाभ न्यूज़ीलैण्ड ने उठाया था। इस वजह से न्यूज़ीलैण्ड की चीन को रही निर्यात बढ़ी थी। इसका प्रभाव न्यूज़ीलैण्ड की चीन संबंधित नीति पर होने के संकेत प्राप्त हो रहे थे। हमारा चीन के विरोध में भूमिका अपनाने के लिए विरोध रहेगा, यह बात न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डन ने स्पष्ट की थी। लेकिन, इसके कुछ दिन बाद ही न्यूज़ीलैण्ड ने, चीन के लिए हम ऑस्ट्रेलिया के विरोध में नही जाएँगे, यह संकेत देकर अपने मित्रदेशों को आश्‍वस्त किया। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के न्यूज़ीलैण्ड दौरे में न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री ने किया यह वादा अहम साबित होता है।

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