‘नॉन स्टेट ऍक्टर्स’ पर के हमलें संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों से सुसंगत – संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत का दावा

संयुक्त राष्ट्रसंघ – ‘नॉन स्टेट ऍक्टर्स’ अर्थात् किसी भी देश के साथ ठेंठ संबंध ना होने वाले आतंकियों को रोकने के लिए की हुई लष्करी कार्रवाई उचित ही है। आत्मसुरक्षा के लिए की गई यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों से सुसंगत ही है, ऐसा भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक अनौपचारिक चर्चा में स्पष्ट किया। संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त भारत के उपराजदूत के. नागराज नायडू ने इस मामले में भारत की भूमिका स्पष्ट रूप से रखी। दूसरे देश में घुसकर की हुई ऐसी लष्करी कार्रवाई का समर्थन करते हुए, आतंकी वे सक्रिय होनेवाले देश की सार्वभूमता की आड़ में अपने कारनामे करते रहते हैं, इसपर गौर फरमाया ।

पाकिस्तान के बालाकोट में भारत ने ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के अड्डे पर हवाई हमला किया था। उससे भी पहले भारत ने पाकिस्तानव्याप्त काश्मीर में सर्जिकल स्ट्राईक किया था। इसके बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों द्वारा किया जानेवाला घातपात भारत बर्दाश्त नहीं करेगा, उसे पाकिस्तान में घुसकर प्रत्युत्तर दिया जाएगा, ऐसा भारत ने डटकर कहा है। यह भूमिका भारत अब संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर अधिक आक्रामक रूप से रख रहा है और उसका जोरदार समर्थन कर रहा है। नायडू ने इसके लिए भारत पर हुए आतंकवादी हमलों का हवाला दिया। सन १९९३ में मुंबई में हुई बम विस्फोटों की श्रृंखला हो अथवा २६/११ का आतंकी हमला हो अथवा पठानकोट और पुलवामा जैसे कायर हमले हो, भारत को हमेशा ही ऐसे ‘नॉन स्टेट ऍक्टर्स’ ने लक्ष्य किया था, इसकी याद नायडू ने करा दी।

इसी कारण दूसरे देश में सक्रिय होने वाले ऐसे आतंकवादियों को समय पर ही रोकने के लिए, अत्यावश्यक, फौरन और उचित तीव्रता के हमले करना अनिवार्य साबित होता है। ये हमले संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सदस्य देशों को प्रदान किए आत्मसुरक्षा के अधिकारों से सुसंगत हैं, इसका एहसास नायडू ने कराया। आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण, भर्ती, आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करनेवाले देशों द्वारा उनका इस्तेमाल, अपना हेतु साध्य करने के लिए किया जाता है। आतंकवादी संगठन भी उस देश की सार्वभूमता का गैरइस्तेमाल करते हैं और आतंकवादी हरकतें करते रहते हैं। इस कारण उस देश में घुसकर आतंकवादी संगठनों को लक्ष्य करने में कुछ भी गलत नहीं है, ऐसा नायडू ने डटकर कहा।

हालांकि ठेंठ उल्लेख नहीं किया है, फिर भी नायडू ने पाकिस्तान की ही मिसाल दी हुई स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।

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