हाँगकाँग की आज़ादी पर चीन का आघात बर्दाश्‍त नहीं करेंगे – अमरीका, ब्रिटन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा की चेतावनी

वॉशिंग्टन/हाँगकाँग – ‘हाँगकाँग यह आज़ादी का प्रतीक है और उसकी समृद्धि एवं स्थिरता से आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हितसंबंध जुड़े हैं। चीन की, हाँगकाँग पर नया कानून थोपने की गतिविधियाँ, आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विश्‍वास और सहयोग को झटका देनेवालीं हैं। हाँगकाँग की स्वायत्तता ख़त्म करनेवाले इस कानून के माध्यम से, चीन ने ब्रिटन के साथ किया हुआ समझौते का और ‘वन कंट्री टू सिस्टिम्स’ के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। चीन की गतिविधियाँ आंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बड़ी तीव्रता से बेचैन करनेवालीं साबित होती हैं’ इन आक्रामक शब्दों में फटकार लगाकर अमरीका और मित्रदेशों ने चीन के विरोध में निर्णायक पैंतरा अपनाया है। कोरोना की महामारी फैल रही है और तभी चीन ने हाँगकाँग की आज़ादी पर आघात करने की कोशिश शुरू करने से आंतर्राष्ट्रीय समुदाय ख़ौल उठा होकर, अमरीका एवं ब्रिटन समेत प्रमुख देशों ने अलग अलग माध्यमों से चीन को घेरने की गतिविधियाँ शुरू की हैं।

china Hong Kongहाँगकाँग पर कब्ज़ा करने के लिए चीन की संसद ने पिछले हफ़्ते में ही नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाने का प्रस्ताव दाखिल किया था। गुरुवार के दिन चीन की संसद ने इस कानून के प्रस्ताव को मंज़ुरी दी। इस कानून के अनुसार, चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत को, चिनी सुरक्षा यंत्रणाओं की हाँगकाँग में तैनाती करने की खुली छूट प्राप्त होगी। चीन की सेना एवं अंतर्गत सुरक्षा यंत्रणाओं ने, वे हाँगकाँग में तैनात होने के लिए तैयार होने का बयान भी किया था। नया कानून चीन की सार्वभूमता एवं हाँगकाँग की सुरक्षा के लिए है, यह बात चीन की हुकूमत कह रही है। लेकिन, असल में इस कानून की वज़ह से चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की फौलादी पकड़ और भी मज़बूत होगी, यह दावा हाँगकाँग स्थित गुटों ने किया है।

विश्‍व के प्रमुख देश कोरोना की महामारी पर नियंत्रण प्राप्त करने की कोशिश में जुटे हैं और तभी चीन ने हाँगकाँग पर कब्ज़ा करने के लिए गतिविधियाँ शुरू की हैं। इसकी तीव्र गुँजें आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देना शुरू हुआ है। चीन की संसद ने यह कानून पारित करने से पहले अमरीका ने, हाँगकाँग को प्रदान किया हुआ स्पेशल स्टेटस्‌ रद करने का ऐलान करके चीन को ज़ोरदार झटका दिया था। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग की स्वायत्तता बरक़रार रखने का वादा निभाया नहीं है और इस वज़ह से, हाँगकाँग को दिया गया स्पेशल स्टेटस इसके आगे अमरीका बरकरार नहीं रखेगी, यह ऐलान अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने किया।

अमरीका के इस निर्णय की वज़ह से चीन की सत्ताधारी हुकूमत को, इसके आगे व्यापार, निवेश एवं अन्य आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए हाँगकाँग का इस्तेमाल करना संभव नहीं होगा। अमरीका ने चीन की हुकूमत के विरोध में लगाए प्रतिबंध अब हाँगकाँग पर भी लागू होंगे। चीन में होनेवाला विदेशी निवेश एवं व्यापार के लिए हाँगकाँग यह एक बड़ा अहम एवं प्रमुख केंद्र बना है। अमरीका ने स्पेशल स्टेटस्‌ रद करने से, अब विदेशी निवेशक हाँगकाँग से बाहर निकलेंगे, ऐसे संकेत प्राप्त होने लगे हैं।

अमरीका ने हाँगकाँग को प्रदान किये हुए स्पेशल स्टेटस्‌ की बुनियाद, चीन और ब्रिटन के बीच सन १९८५ में हुआ संयुक्त समझौता यह थी। इस समझौते में यह प्रावधान किया गया था कि सन २०४७ तक हाँगकाँग की पूंजीवादी व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी अधिकारों को चीन की हुकूमत हाथ नहीं लगाएगी। हाँगकाँग का प्रशासन चीन की ‘वन कंट्री टू सिस्टिम्स’ की नीति पर चलेगा एवं चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अपनी व्यवस्था हाँगकाँग पर नहीं थोपेगी, यह शर्त भी इस समझौते में रेखांकित की गई थी। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुकूमत अपने नियम एवं कानून हाँगकाँग में लागू करने की कोशिश करती दिख रही है।

अमरीका ने स्पेशल स्टेटस रद करके बड़ा झटका देने के बाद, अब दुनिया के अन्य देशों ने भी चीन को घेरने की तैयारी शुरू की है। इसीके एक हिस्से के तौर पर, अमरीका समेत ब्रिटन, कनाड़ा एवं ऑस्ट्रेलिया ने, चीन ने हाँगकाँग में जारी की हुई गतिविधियों को लक्ष्य करनेवाला संयुक्त निवेदन प्रसिद्ध किया है। इस निवेदन में, चीन का नया कानून हाँगकाँग में बनी दरार और भी बढ़ानेवाला साबित होगा, यह आरोप चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में रखा गया हैं। अगर चीन को हाँगकाँग की स्थिति पहले जैसी करनी है, तो उसने हाँगकाँग में शुरू की हुई दखलअंदाज़ी बंद करके हाँगकाँग की जनता के बुनियादी हक एवं आज़ादी बरकरार रखनी होगी, यह माँग भी की गई है। अबतक हाँगकाँग को प्राप्त हुई स्वायत्तता एवं जनता को प्रदान की हुई आज़ादी की वज़ह से ही हाँगकाँग समृद्ध हुआ, इसकी याद भी चीन को दिलाई गई है।

अमरीका और मित्र देशों के संयुक्त निवेदन के बाद जापान, तैवान और युरोप ने भी चीन पर आलोचना की बौछार की है। चीन की हुकूमत को, हाँगकाँग के संविधान के तौर पर जाने जा रहें ‘बेसिक लॉ’ एवं ‘वन कंट्री टू सिस्टिम्स’ की नीति का सम्मान करना होगा, यह चेतावनी जर्मनी ने दी है। वहीं, हाँगकाँग यह अपना अहम व्यापारी साझेदार है और उसकी स्थिरता एवं जनतंत्र कायम रहना आवश्‍यक है, यह बयान जापान ने किया है। तैवान ने एक स्वतंत्र निवेदन जारी करके, हम हमेशा हाँगकाँग की जनता के समर्थन में ड़टकर खड़े रहेंगे, यह वादा किया है।

ब्रिटन के विदेशमंत्री डोमिनिक राब ने, हाँगकाँग के तीन लाख से भी अधिक अनिवासी ब्रिटीश नागरिकों को स्थायी तौर पर ब्रिटन की नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू करने के संकेत दिए हैं। ब्रिटिश विदेशमंत्री राब ने किए बयान की वज़ह से, हाँगकाँग के कई कारोबारी, निवेशक एवं अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ ब्रिटन वापस लौट सकते हैं। इससे हाँगकाँग की अर्थव्यवस्था एवं प्रशासकीय यंत्रणा को काफ़ी बड़ा झटका लग सकता है।

हाँगकाँग के मुद्दे पर अमरीका एवं ब्रिटन समेत आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बन रहें दबाव को चीन ने भी प्रत्युतर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अमरीका को लक्ष्य करते हुए, अमरीका को चीन के अंदरूनी मामलों में दखलअंदाज़ी करना बंद करने को कहा है। हाँगकाँग की प्रशासकीय प्रमुख केरी लॅम ने अमरीका के विरोध में नाराज़गी व्यक्त करते समय यह दावा किया है कि हाँगकाँग का स्पेशल स्टेटस्‌ रद करने का अमरीका ने किया हुआ निर्णय दोधारी तलवार है और इससे अमरिकी निवेशक एवं कारोबारियों को भी झटका लग सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.