’एटीएजीएस’ विश्‍व में सबसे बेहतर – इसके आगे भारत को तोप आयात करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी – ‘डीआरडीओ’ का दावा

नई दिल्ली – भारत ने विकसित की हुई ‘एडवान्स टोवड् आर्टिलरी गन सिस्टम’ (एटीएजीएस) विश्‍व में सबसे बेहतर है। इसलिए, अब भारत को तोप आयात करने की आवश्‍यकता नहीं महसूस होगी, ऐसा दावा ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) ने किया है।

‘डीआरडीओ’ ने विकसित किए स्वदेशी ‘एटीएजीएस’ इस ‘होवित्ज़र’ तोप का लगातार परीक्षण किया जा रहा है। इसी महीने की शुरूआत में महाराष्ट्र के अहमदनगर में इस तोप का परीक्षण किया गया था। इसके बाद हाल ही में ओड़िशा में भी इस तोप का परीक्षण किया गया। इसके अलावा चीन से सटी सिक्किम की सीमा के करीब और पाकिस्तान की सीमा के निकट पोखरण में इस तोप के कई परीक्षण किए गए हैं और इससे अब तक २,००० राउंड्स फायर किए गए हैं।

india-drdoअब तक किए गए परीक्षण में ‘डीआरडीओ’ ने विकसित की हुई तोप विश्‍व में सबसे बेहतर साबित हुई है। ‘बोफोर्स’ तोप, इस्रायल की ‘एथॉस’ और फ्रान्स की ‘नेक्सटर’ तोप से भी भारत की यह स्वदेशी तोप सबसे बेहतर होने का दावा ‘डीआरडीओ’ के ‘एटीएजीएस’ प्रोजेक्ट के संचालक शैलेंद्र वी.गाडे ने किया हैं।

‘एटीएजीएस’ की मारक क्षमता ४८ किलोमीटर है और भारतीय सेना की सभी ज़रूरतें पूरी करने के लिए यह तोप सक्षम है। भारतीय सेना को १,५०० तोपों की आवश्‍यकता है। इसके अलावा १५० ‘एटीएजीएस’ और ११४ ‘धनुष’ तोप की माँग भी सेना ने दर्ज़ की है। इसके अनुसार भारतीय सेना ने कुल १,८०० तोपों की माँग दर्ज़ की है। लेकिन, ‘एटीएजीएस’ की सफलता एवं क्षमता देखें तो भारतीय सेना को अन्य तोपों की ओर देखने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। १,८०० ‘एटीएजीएस’ तोप भारतीय सेना की सभी ज़रूरतें पूरी करेगी, यह विश्‍वास गाडे ने व्यक्त किया।

शत्रु हम तक पहुँच ही नहीं पाएगा। क्योंकि, हम उसकी मारक क्षमता के दायरे में नहीं रहेंगे, बल्कि इस तोप की ४८ किलोमीटर की मारक क्षमता की वजह से हम शत्रु तक यकीनन पहुँच पाएंगे, यह दावा भी गाडे ने किया। चीन और पाकिस्तान के पास मौजूद तोप से भारत की ‘एटीएजीएस’ की मारक क्षमता अधिक है। साथ ही विश्‍व के अन्य किसी भी देश के पास ‘एटीएजीएस’ यंत्रणा जैसी तकनीक एवं सटीक हमला करने की क्षमता नहीं है, यह बात भी गाडे ने रेखांकित की है।

भारतीय सेना फिलहाल १,६०० तोपें खरीदने का विचार कर रही है। इसके लिए इस्रायल के ‘ॲथोस’ का विचार हो रहा है। कम से कम ४०० तोपें तुरंत खरदीने की तैयारी की जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर गाडे ने ‘डीआरडीओ’ ने विकसित की हुई ‘एटीएजीएस’ की क्षमता की ओर ध्यान आकर्षित किया है। भारत ने ८० के दशक के बाद नई तोप नहीं खरीदी थी। सेना को आवश्‍यकता होने के बावजूद नए तोप की खरीदारी रुकी हुई थी। लेकिन, बीते पांच-छह वर्षों में सेना की आवश्‍यकता तेज़ी से पूरी करने पर जोर दिया जा रहा है और देसी हथियारों के निर्माण को भी गति प्रदान की गई है। इसके तहत १५५एएम/५२ कैलिबर की ‘एटीएजीएस’ तोप का निर्माण किया गया है। भारतीय सेना के बेड़े में जल्द ही यह तोप दाखिल होगी, ऐसा वृत्त है।

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