‘आसियान’ यह भारत के ‘एक्ट ईस्ट’ का बुनियादी आधार – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – भारत और आसियान की ‘इंडो-पैसिफिक’ नीति में काफी समानता है। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का ‘आसियान’ बुनियादी आधार बनता है’, यह कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान की अहमियत रेखांकित की। गुरुवार के दिन भारत और आसियान की वर्चुअल समिट का आयोजन हुआ। इस दौरान भारत और आसियान देशों में साउथ चायना सी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इस क्षेत्र में चीन की आक्रामकता बढ़ रही है और तभी भारत-आसियान का यह सहयोग सामरिक दृष्टि से बड़ी अहमियत रखता है।

गुरुवार के दिन भारत और वियतनाम के नेतृत्व में इस वर्चुअल समिट का आयोजन हुआ। आसियान के सदस्य देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यानमार, फिलिपाईन्स, सिंगापूर, थायलैण्ड, वियतनाम का समावेश है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र खुला और मुक्त रहें, यह भारत की भूमिका होने का बयान प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान किया। इस इंडो-पैसिफिक नीति को गति देने के लिए आसियान के सदस्य देशों को एक होने का आवाहन प्रधानमंत्री ने किया।

भारत और आसियान की रणनीतित्मक साझेदारी ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित होने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही। भारत और आसियान के सदस्य देशों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए आर्थिक, सामाजिक, समुद्री एवं डिजिटल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए प्राथमिकता देनी होगी, यह बयान प्रधानमंत्री ने किया। बीते कुछ वर्षों में भारत और आसियान के इस सहयोग में बढ़ोतरी हो रही है, इसपर प्रधानमंत्री ने ग़ौर फ़रमाया।

इस वर्ष की वर्चुअल समिट में साउथ चायना सी के विवाद पर चर्चा हुई। साउथ चायना सी में शांति, स्थिरता और सुरक्षा क़ायम रखनेपर भारत और आसियान देशों ने जोर दिया। साथ ही इस क्षेत्र में आन्तर्राष्ट्रीय कानून का पालन हों, ऐसें सूचक शब्दों में भारत के प्रधानमंत्री ने चीन को फटकार लगाई। इंडो-पैसिफिक में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, यह कहकर, यह सबसे बड़ी चुनौती बनती हैं, इन शब्दों में वियतनाम के प्रधानमंत्री न्युगेने क्झुअन फुक ने नाम लिए बिना, चीन से बने खतरे को रेखांकित किया।

कोरोना वायरस के संकट की पृष्ठभूमि पर भारत ने आसियान के सदस्य देशों को १० लाख डॉलर्स की सहायता घोषित की। साथ ही, कोरोना वायरस के बाद का विश्‍व और इसके बाद के सहयोग पर ज़ोर दिया गया। इस समिट में भारत और आसियान के सदस्य देशों ने व्यापारी सहयोग के मुद्दे पर भी काफ़ी गहराई से चर्चा की।

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