लष्करी विद्रोह की आशंका से तुर्की में नौसेना के पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी

turkey-navy-officerअंकारा – राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन के खिलाफ लष्करी विद्रोह की साज़िश की आशंका से तुर्की में नौसेना के १० पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। तुर्की के १०० से अधिक पूर्व नौसेना अधिकारियों ने राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की योजना का विरोध दर्शानेवाला निवेदन जारी किया था। यह निवेदन यानी राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के संविधान के लिए खतरा बन सकता है, ऐसा आरोप लगाकर इन नौसेना अफसरों को हिरासत में लिया गया है, ऐसा कहा जा रहा है। राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के खिलाफ वर्ष २०१६ में लष्करी विद्रोह की कोशिश नाकाम हुई थी।

तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने ‘ब्लैक सी’ और ‘सी ऑफ मार्मारा’ को जोड़नेवाले ‘इस्तंबूल कनाल’ के महत्वाकांक्षी प्रकल्प की योजना बनाई है। यह प्रकल्प पूरा होने पर ‘ब्लैक सी’ और ‘सी ऑफ मार्मारा’ को मौजूदा जोड़ वाली ‘बॉस्फोरस’ खाड़ी की अहमियत कम हो सकेगी। इसी बुनियाद पर तुर्की वर्ष १९३६ में की गई ‘ट्रीटि ऑफ मॉन्ट्रैक्स’ से बाहर निकल सकता है। यह बात तुर्की और पश्‍चिमीं देशों के बीच तनाव बढ़ानेवाली साबित हो सकती है, ऐसा समझा जा रहा है।

turkey-navy-officerइस पृष्ठभूमि पर तुर्की के १०० से अधिक नौसेना अफसरों ने शनिवार रात स्वतंत्र निवेदन जारी किया। इस निवेदन में ‘ट्रीटि ऑफ मॉन्ट्रेक्स’ से बाहर निकलना चिंता का विषय बताया गया था। साथ ही इस समझौते के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों से पीछे हटने के मुद्दों पर हो रही चर्चा तुर्की के लिए हितकारक ना होने की बात इन अफसरों ने कही है। इनके निवेदन पर तुर्की सरकार ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

तुर्की सरकार ने इन अफसरों के खिलाफ रखा आरोप-पत्र और १० अफसरों को गिरफ्तार करना इसी का हिस्सा समझा जाता है। आरोप-पत्र में राष्ट्रीय turkey-navy-officerसुरक्षा और संविधान के खिलाफ किए गए अपराधिक मामलों का ज़िक्र बड़ी गंभीर बात मानी जाती है। विद्रोह या देशद्रोह से संबंधित कार्रवाई करते समय इस तरह का ज़िक्र होने से यह घटना सनसनी फैलानेवाली साबित हुई है। तुर्की के कुछ अफसर और माध्यमों ने पूर्व नौसेना अफसरों का यह निवेदन सरकार के विरोध में विद्रोह की कोशिश की आलोचना की है।

इससे पहले वर्ष १९६०, १९७१, १९८० और १९९७ में तुर्की में सेना ने विद्रोह से हुकूमत का तख्ता पलटा था। इसके बाद वर्ष २०१६ में एर्दोगन की हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की कोशिश नाकाम की गई थी। इस दौरान २५० से अधिक लोग मारे गए थे और बाद में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने हज़ारों लष्करी अफसरों पर कार्रवाई की थी।

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