भारत के लष्करप्रमुख सौदी और युएई के दौरे पर

रियाध – भारत के लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे सौदी अरब और संयुक्त अरब अमिरात के दौरे पर हैं। इन दोनों देशों के पाकिस्तान के साथ के संबंध बिगड़े होते समय, लष्करप्रमुख जनरल नरवणे के इस दौरे को बहुत बड़ा महत्त्व प्राप्त हुआ है। इस प्रकार भारत के लष्करप्रमुख पहली ही बार सौदी और युएई के दौरे पर आये होकर, उनका यह दौरा ऐतिहासिक साबित होता है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है। आखाती क्षेत्र की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, सौदी और युएई ने भारत के साथ सामरिक सहयोग व्यापक करने का फ़ैसला किया होकर, उसका प्रतिबिंब जनरल नरवणे के इस दौरे में दिखाई देने लगा है।

india-visit-uae-saudiअपने चार दिनों के इस दौरे में जनरल नरवणे सौदी अरब की भेंट करेंगे। सौदी के लष्करी तथा राजनीतिक नेतृत्व के साथ जनरल नरवणे की चर्चा होगी। साथ ही, सौदी के लष्करी आस्थापनों की तथा नॅशनल डिफेन्स कॉलेज की भी जनरल नरवणे भेंट करेंगे। उसके बाद लष्करप्रमुख जनरल नरवणे युएई का दौरा करनेवाले हैं। पिछले कुछ महीनों से सौदी एवं युएई के पाकिस्तान के साथ के संबंध बिगड़े हुए हैं। ‘ऑर्गनायझेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन’ (ओआयसी) इस सौदी के प्रभाव में होनेवाले संगठन से कश्मीर मसले पर उचित प्रतिसाद नहीं मिल रहा होने की शिक़ायत पाकिस्तान ने की थी। यह संगठन भारत का निषेध नहीं करता, ऐसा दोषारोपण रखकर पाकिस्तान ने सौदी अरब को लक्ष्य किया था।

सौदी तथा युएई से इसपर तीव्र प्रतिक्रिया आई है। इन दोनों देशों ने पाकिस्तान को दिया हुआ अरबों डॉलर्स का कर्ज़ा लौटाने का तकाज़ा शुरू किया था। साथ ही, सौदी तथा युएई में मिलकर लगभग २५ लाख से अधिक पाकिस्तानी कामगार कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश कामगारों को निकाल बाहर करने की तैयारी इन दो देशों ने की होने की चिंता पाकिस्तानी विश्‍लेषक व्यक्त करने लगे हैं। इस कारण पैरों तले की ज़मीन खिसक रहे पाकिस्तान ने सौदी की मिन्नतें करने की कोशिशें शुरू कीं और उसके लिए पाकिस्तान के लष्करप्रमुख सौदी के दौरे पर भी गये थे। लेकिन सौदी पर उसका कुछ ख़ास असर नहीं हुआ था।

इस पृष्ठभूमि पर, भारत और सौदी तथा युएई के संबंध अधिक ही दृढ़ बनते चले जा रहे हैं। भारत द्वारा की जानेवाली क्रूड़ ऑईल की आयात में सौदी अरब का हिस्सा १७ प्रतिशत इतना है। साथ ही, भारत में होनेवाली एलपीजी गैस की आयात में सौदी का हिस्सा ३२ प्रतिशत है। साथ ही, सौदी भारत के पेट्रोकेमिकल्स तथा अन्य क्षेत्रों में भारी मात्रा में निवेश करने की तैयारी में है। सौदी ईंधन की निर्यात पर होनेवाली अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता कम करने की तैयारी में है। इसी कारण, बहुत बड़ा मार्केट होनेवाले भारत के साथ का सहयोग बहुत ही अहम साबित होगा, इसका एहसास भी सौदी अरब को हो चुका है। मुख्य बात यानी सामरिक स्तर पर भारत का सहयोग ख़ाड़ी क्षेत्र में स्थिरता क़ायम रखने के लिए अहम साबित होगा, इस बात का स्वीकार सौदी एवं युएई ने किया होकर, इसी के लिए दोनों देश भारत को ख़ास अहमियत दे रहे हैं।

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की ईरानविरोधी नीति बदलकर, ईरान के संदर्भ में उदार भूमिका अपनाने के संकेत देनेवाले ज्यो बायडेन जल्द ही अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद की बाग़डोर सँभालनेवाले हैं। इसी कारण सौदी, युएई इन देशों ने इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करके ईरान को रोकने के लिए गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। ऐसी स्थिति में, भारत के साथ का अपना सामरिक सहयोग सौदी तथा युएई के लिए बहुत बड़ा प्लस-पॉईंट साबित हो सकता है, यह सौदी और युएई के ध्यान में आया है। इस कारण, भारत और सौदी तथा युएई के बीच लष्करी स्तर पर का सहयोग की रफ़्तार बढ़ जायेगी, ऐसा दावा कुछ सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर, जनरल नरवणे का सौदी अरब तथा युएई का दौरा दुनियाभर के विश्‍लेषकों का ग़ौर फ़रमा रहा है। वहीं, भारत ने हमारे पारंपरिक मित्रदेश अपने पक्ष में खींच लिये और उन्हें पाकिस्तान का शत्रु बनाया, ऐसा होहल्ला पाकिस्तानी विश्‍लेषकों ने शुरू किया है।

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