लिबिया से युरोप जानेवाले शरणार्थीयों को रोकने के लिए सशस्त्र गट सक्रिय

त्रिपोली: लिबिया से युरोपीय देशों में घुसपैठ करने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए एक सशस्त्र गट सक्रिय होने की जानकारी सामने आयी है। ‘ब्रिगेड ४८’ नामक इस गट मे लिबिया की सब्राथा शहर के भूतपूर्व लष्करी तथा पुलिस अधिकारी एवं नागरिक शामिल होने की बात कही है। पिछले कई महीनों में युरोपीय महासंघ के साथ इटली एवं फ्रांस इन देशों ने लिबिया से आनेवाले घूसखोरों को रोकने के लिए कई करार करने की जानकारी का खुलासा किया था। इस पृष्ठभूमि पर, सशस्त्र गट सक्रिय होने के वृत ध्यान केंद्रित करने वाला है।

सन २०१७ की शुरुआत से लिबिया से इटली में बड़े पैमाने पर शरणार्थियों का आना शुरू था। संयुक्त राष्ट्रसंघ तथा स्वयंसेवी संघटनों की जानकारी अनुसार इटली में पिछले ७ महीनों के कालखंड में ९० हजार से अधिक शरणार्थी दाखिल हुए हैं। पर इटली की यंत्रणाओं ने दी जानकारी अनुसार जुलाई एवं अगस्त महीने में शरणार्थियों के आव़क की गति कम हो रही है। इसके पीछे लिबिया के सब्राथा शहर में कार्यांवित हुए सशस्त्र गट जिम्मेदार होने की बात सामने आयी है।

लिबिया की राजधानी त्रिपोली से करीब ७० किलोमीटर अंतर पर होने वाले सब्राथा युरोप में जानेवाले शरणार्थियों का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। पर पिछले दो महीनों से इस शहर से युरोपीय देशों में जानेवाले शरणार्थियों की भीड़ घटने का दावा सूत्रों ने किया है। युरोपियन महासंघ की सीमा सुरक्षा यंत्रणा ‘फ्रंटैक्स’, शरणार्थियों के रिहाई के लिए कार्यरत स्वयंसेवी गट तथा इटली के यंत्रणाओं ने भी इसका समर्थन किया है। इटली के साथ युरोपीय देशों के लिए यह गतिविधि महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इसके पीछे, लिबिया में स्थापित हुए ‘ब्रिगेड ४८’ गट के प्रयत्न जिम्मेदार होने की बात सामने आयी है। लिबिया के अवैध जुर्म करनेवाली टोलियों के एक भूतपूर्व प्रमुखने पहल करते हुए यह गट स्थापित करने का दावा किया जा रहा है। इस गट में सैकड़ों सदस्यों का समावेश होते हुए, उसमें भूतपूर्व लष्करी तथा पुलिस अधिकारी एवं नागरिकों का समावेश है। यह गट शहर तथा समुद्र किनारों पर सक्रिय रहकर, शरणार्थियों के लिए स्वतंत्र ‘डिटेंशन सेंटर’ स्थापित करने की बात कही जा रही है।

युरोपीय महासंघ ने लिबिया से आनेवाले शरणार्थियों की आव़क को कम करने के लिए फरवरी महीने में स्वतंत्र करार किया था। इस करार के अनुसार लिबिया को करीब २० करोड़ युरो का आर्थिक सहयोग देने का प्रावधान किया गया था। इसके बदले में लिबिया के संयुक्त राष्ट्रसंघ की मान्यता होनेवाली सरकार शरणार्थियों को देश में ही रोके रखनेवाली थी। इस करार के बाद, इटली ने लिबिया सरकार के साथ स्वतंत्र करार करने का दावा भी सामने आया था। अब सब्राथा शहर में हुए सशस्त्र गट की स्थापना एवं शरणार्थियों को रोकने के लिए शुरू हुई मुहिम दुनिया का ध्यान खींच रही है।

लिबिया के अलावा, अफ्रीका के विविध देशों में युरोपीय महासंघ के करार के अनुसार करार किए हैं। जिसमें शरणार्थियों को उसी देश में रोकने के लिए अर्थसहाय्य का लालच देने की बात कही जा रही है।

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