रक्षादल किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैय्यार : रक्षामंत्री का भरोसा

नई दिल्ली, दि. १७ : रक्षादल के लिए पर्याप्त आर्थिक प्रावधान किया गया होकर, भारतीय रक्षादल किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम है, ऐसा भरोसा रक्षामंत्रालय की कमान स्वीकारे अरुण जेटली ने दिलाया| सरकार रक्षादल के लिए पर्याप्त आर्थिक प्रावधान नहीं कर रही है, ऐसा इल्ज़ाम संसद में लगाया गया था| उसका जवाब देते समय जेटली ने, पिछले तीन सालों में किये हुए तकरीबन २.९६ लाख करोड़ रुपये के १४७ रक्षाविषयक समझौतों का उदाहरण दिया|

रक्षादलसरकार रक्षादल के लिए पर्याप्त आर्थिक प्रावधान नहीं कर रहा होकर, रक्षादल की ज़रूरतों को ध्यान में लेते हुए सरकार उनके लिए निधि उपलब्ध कराके नहीं दे रही है, ऐसी आलोचना विरोधी पक्षनेता ने लोकसभा की चर्चा में की थी| अब रक्षामंत्रालय की कमान हाथ में     लेनेवाले अरुण जेटली ने इन इल्जामों को जवाब दिया| मनोहर पर्रीकर ने इस्तिफा देने के बाद रक्षामंत्रालय की कमान अर्थमंत्री अरुण जेटली के पास सौंप दी गयी है| देश के रक्षादल के पास पर्याप्त निधि उपलब्ध है, ऐसा भरोसा जेटली ने दिलाया|

सेना, वायुसेना और नौसेना इन तीनों रक्षादलों की आवश्यकतानुसार सामग्री और शस्त्र खरीदारी के लिए भारी आर्थिक प्रावधान किया गया है| पिछले तीन सालों में इस संदर्भ में तकरीबन दो लाख ९६ हजार करोड रुपयों के १४७ समझौते किये गये हैं| इनमे सेना के लिए ‘१५५ एमएम अल्ट्रा लाईट हॉवित्झर’ तोपें और ब्राह्मोस इन प्रक्षेपास्त्रों का समावेश है| इनके साथ ही, नौसेना को गहरे सागरी इलाके में मुहिम में क़ामयाबी मिलने के लिए आवश्यकतानुसार रक्षासंदर्भ सामग्री दी जा रही है| वहीं, हवाईसेना के लिए अपाचे लडाकू हेलिकॉप्टर्स की भी खरीदारी की जा रही है| इससे भारतीय रक्षादल किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैय्यार है| सरकार रक्षासाम्रगी के खरीदारी के लिए प्रावधान नहीं कर रही, ऐसी सोच गलत साबित होती है, ऐसा स्पष्टीकरण जेटली ने इस दौरान किया|

रक्षासामग्री का निर्माण भारत में ही करने की प्रकिया तेज़ कर, इसके अंतर्गत ४ लाख ४५ हजार करोड रुपये इतनी रक़म के १३४ समझौते किये जा चुके हैं| उनमें से करीबन १०० समझौते भारत में रक्षासामग्री के सहनिर्माण करने के संदर्भ में हैं, ऐसी जानकारी जेटली ने इस दौरान दी| इनके अलावा रक्षासामग्री की खरीदारी प्रक्रिया भी तेज़ कर, यह प्रकिया अधिक पारदर्शक कर दी गयी है, ऐसा दावा रक्षामंत्री ने किया| रक्षाविषयक नीति की आलोचना करते हुए इन बातों पर ग़ौर करें, ऐसा आवाहन जेटली ने किया है|

इस दौरान, रक्षासामग्री और शस्त्र के सहनिर्माण के लिए भारत के पास दुनियाभर की नामचीन कंपनियों के प्रस्ताव आ रहे होकर, इससे अब आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शस्त्रास्त्र का निर्माण और निर्यात करनेवालीं कंपनियों में, भारत में शस्त्रास्त्रनिर्माण करने की होड़ लगी दिखायी दे रही है।

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