‘आर्क्टिक’ रशिया का हिस्सा है – विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव का इशारा

मास्को – “आर्क्टिक’ रशिया का हिस्सा हैं, रशियन भूमि का अंग है। यह बात सभी को काफी पहले से ज्ञात है। आर्क्टिक क्षेत्र सुरक्षित रखना रशिया की ही ज़िम्मेदारी है। हम इस मुद्दे पर फिर से जोर देकर स्पष्ट करते हैं, ‘आर्क्टिक’ रशिया की ही भूमि है, हमारे समुद्री क्षेत्र का हिस्सा है’, ऐसे सीधे शब्दों में रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने ‘आर्क्टिक’ क्षेत्र पर रशिया का ही अधिकार होने का इशारा दिया। अगले गुरूवार के दिन ‘आर्क्टिक कौन्सिल’ की बैठक हो रही है और इससे पहले उन्होंने किया यह बयान रशिया की आक्रामक नीति का हिस्सा माना जा रहा है।

पृथ्वी के उत्तरी धृव के करीबी बर्फिले क्षेत्र के तौर पर ‘आर्क्टिक’ की पहचान बनी हैं। प्रचंड़ आकार के हिमशैल, हिम पर्वत और समुद्री क्षेत्र के स्वरूप में इस क्षेत्र से आठ देशों की सरहदें जुड़ी हुई हैं। इनमें रशिया, अमरीका, कनाड़ा, नॉर्वे, डेन्मार्क, फिनलैण्ड, स्वीड़न और आईसलैण्ड़ का समावेश है। इन देशों ने साथ मिलकर ‘आर्क्टिक कौन्सिल’ गुट का गठन किया है।

आर्क्टिक क्षेत्र की बर्फ बीते कुछ वर्षों से भारी मात्रा में पिघल रहा है। इस वजह से इस क्षेत्र में नए व्यापारी मार्ग तैयार हो रहे हैं। इसी के साथ इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में र्इंधन और खनिज होने के दावे भी किए गए हैं। इसकी वजह से आर्क्टिक के हिस्से वाले देशों के साथ-साथ विश्‍व के अन्य देशों की उत्सुकता भी बढ़ी है। इससे संबंधित मुद्दों पर गुरूवार के दिन हो रही ‘आर्क्टिक कौन्सिल’ की बैठक में बातचीत होगी, ऐसा कहा जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर ‘आर्क्टिक’ पर अपना अधिकार जताकर रशिया ने सनसनी निर्माण की है।

रशियन विदेशमंत्री का बयान राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन द्वारा ‘आर्क्टिक’ संबंधित चलाई जा रही आक्रामक नीति का हिस्सा होने की बात दिख रही है। कुछ वर्ष पहले रशिया ने आर्क्टिक के समुद्र तल पर अपना ध्वज फहराकर इस क्षेत्र पर अपना हक जताया था। इसके बाद पुतिन ने आर्क्टिक में भारी मात्रा में निवेश किया है और र्इंधन प्रकल्पों एवं लष्करी अड्डों का भी निर्माण किया है। अमरीका और अन्य देशों ने इस पर नाराज़गी जताई है और नाटो की सहायता से रशिया की गतिवधियों पर प्रत्युत्तर देने की कोशिश शुरू की गई है।

इस पर रशिया ने तीव्र आपत्ति जताई है और यहां पर नाटो की दखलअंदाज़ी बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी, यह इशारा विदेशमंत्री लैवरोव ने दिया है। ‘नाटो ने आर्क्टिक में पहल करने का मुद्दा स्विकारने योग्य नहीं है। इसका समर्थन करनेवाले नॉर्वे को इस पर जवाब देना ही होगा’, इन शब्दों में रशियन विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने रशिया की नाराज़गी व्यक्त की है।

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