२८ हज़ार करोड़ रुपयों का रक्षा सामान खरीदने के लिए ‘डीएसी’ की मंजूरी

नई दिल्ली – नौसेना के लिए प्रगत गश्‍तपोत, वायुसेना के लिए एवैक्स यंत्रणा समेत कुल २८ हज़ार करोड़ रुपयों के रक्षा सामान की खरीद करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी है। इसमें से २७ हज़ार करोड़ रुपयें देश में निर्माण होनेवाले रक्षा सामान खरीदने के लिए खर्च किए जाएंगे। गुरूवार के दिन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में ‘डिफेन्स एक्विज़िशन कौन्सिल’ (डीएसी) की बैठक हुई। इसी बैठक में यह निर्णय किए गए।

‘डीएसी’

चीन की ‘एलएसी’ पर निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर भारत ने रक्षा सामान की खरीद तेज़ की है और तीनों रक्षाबलों के लिए आवश्‍यक सामान की आपूर्ति करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सितंबर में हुई ‘डीएसी’ की बैठक में रक्षा सामान उचित समय पर उपलब्ध हो, इस उद्देश्‍य से ‘रक्षा अधिग्रहण नीति-२०२०’ को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद ‘डीएसी’ की पहली बैठक हुई है। इस बैठक में थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना ने पेश किए सात प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई।

कुल २८ हज़ार करोड़ रुपयों का रक्षा सामान खरीदने के लिए ‘डीएसी’ ने मंजूरी दी है और इसमें से २७ हज़ार करोड़ रुपये देश में निर्माण रक्षा सामान खरीदने के लिए खर्च होंगे। इसके तहत नौसेना के लिए प्रगत गश्‍तपोत की खरीद होगी। इससे पहले नौसेना के लिए पांच गश्‍तपोत खरीदने का प्रस्ताव था। लेकिन, अब ११ गश्‍तपोत खरीदने का निर्णय हुआ है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत इन गश्‍तपोतों के लिए निविदा निकाली जाएगी।

इसके अलावा वायुसेना के लिए ‘डीआरडीओ’ ने विकसित किए ‘एअरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग ऐण्ड कंट्रोल सिस्टम’ (एवैक्स) यंत्रणा खरीदी जाएगी। कुल छह ‘एवैक्स’ यंत्रणा की खरीद हो रही है। इन प्रस्तावों की वजह से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ उपक्रम को गति प्राप्त होगी, यह विश्‍वास रक्षामंत्री ने व्यक्त किया।

बीते कुछ वर्षों से भारत ने रक्षा सामान का देश में ही निर्माण करने के लिए प्राथमिकता दी है। इसके अनुसार भारत के साथ रक्षा व्यवहार करनेवाली विदेशी कंपनियों के सामने तकनीक हस्तांतरित करने की शर्त रखी जाती है। इसके साथ ही विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त प्रकल्प शुरू करने के लिए भी भारत विशेष उत्सुकता दिखा रहा है।

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