नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ की घोषणा

नई दिल्ली – केंद्र सरकार नेराष्ट्रीय शिक्षा नीतिमें बदलाव किया है और मातृभाषा को 5वीं कक्षा तक की शिक्षा का माध्यम किया जा रहा है। इसके अलावा छठी कक्षा से अन्य विषयों के साथ व्यावसायिक शिक्षा को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षा संस्थाओं के लिए समान नियम लागू होंगे। 21वीं सदी की ज़रूरतों के अनुसार 34 वर्ष पहले तय की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सरकार बदलाव कर रही है, यह जानकारी केंद्रीय सूचना और प्रसारणमंत्री प्रकाश जावडेकर एवं केंद्रीय जनशक्ति विकासमंत्री रमेश पोखरिया ने दी। बुधवार को मंत्रिमंडल ने इस नीति से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी।

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’

वर्ष 1986 की शिक्षा नीति के स्थान पर अबशिक्षा नीति 2019’ का प्रयोग होगा। इसके अनुसार दसवीं, बारहवीं के बोर्ड परीक्षाओं की अहमियत घटाई गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हुआ यह एक प्रमुख बदलाव है। अब प्रीप्रायमरी से दूसरी, तीसरी से पांचवी, छठी से आठवीं और नौवीं कक्षा से बारहवीं ऐसे चार चरण शिक्षा व्यवस्था का अंग रहेंगे।

इसके अलावा कला, संगीत, शिल्प, खेल, योगा जैसे विषय पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएंगे और इसे वर्तमान की तरहएक्स्ट्रा करिक्युलरके तौर पर नहीं माना जाएगा। छठी कक्षा के बाद विषयों में व्यावसायिक शिक्षा का समावेश होगा। कम से कम एक व्यावसायिक कुशलता छात्रों को प्राप्त हो सके, इस नज़रिए से यह कदम उठाया गया है। शिक्षा के हक से संबंधित कानून के तहत तय उम्र की सीमा बढ़ाकर अब 3 से 18 की जा रही है।

नौवीं से बारहवीं तक की शिक्षा के लिए कोई भी शाखा नहीं होगी। छात्र को पाठशाला छोडते समय उसे बारह वर्षों का परिणाम पत्र (रिज़ल्ट) दिया जाएगा। इसके अलावा परिणाम पत्र में भी बदलाव किए जाएंगे। गुण, ग्रेड और शिक्षकों के रिमार्क इसमें दर्ज़ होता है। लेकिन अब स्वयं छात्र और उसके सहपाठियों के रिमार्क भी इसमें दर्ज़ होंगे। इसके साथ ही शिक्षा के अलावा आपने क्या कुशलता प्राप्त की, इस बात का भी ज़िक्र इसमें शामिल किया जाएगा। छात्रों का परिणाम पत्र सर्वांगीण विकास का तिहरा परिणाम पत्र होगा, यह बात जावडेकर ने कही।

एक शाखा के छात्र को दूसरी शाखा के पसंदीदा विषय का चयन करने का भी अवसर मिलेगा। इसके अलावा पूरे देश में महाविद्यालयों कोग्रेड़देने के लिए एक नियामक मंडल का गठन किया जाएगा। पाली, प्राकृत, फ़ारसी (पर्शियन) भाषा के लिए स्वतंत्र संस्था की भी स्थापना की जाएगी।

शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा और इसके आगे इसी आयोग से शिक्षा से संबंधित नीति तय की जाएगी, यह जानकारी जावडेकर ने साझा की। इसी बीच जनशक्ति विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय किया गया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय से संबंधित घोषणा ज़ल्द ही की जाएगी।

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