‘ट्रान्स-पैसिफीक-पार्टनरशिप’ समझौते से अमरीका बाहर; राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अध्यादेश जारी

वॉशिंग्टन, दि. २४ : मेरा राष्ट्राध्यक्षपद के लिए चयन होने के बाद ‘ट्रान्स-पैसिफीक-पार्टनरशीप (टीपीपी) इस मुक्त व्यापार समझौते से अमरीका बाहर हो जायेगी, ऐसा वादा करने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने अपना वाद सच कर दिखाया है| सोमवार के दिन राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अध्यादेश जारी कर, अमरीका ‘टीपीपी’ से बाहर हो रही है, ऐसा ऐलान किया| अमरीका के इस ऐलान का जापान को सबसे ज़्यादा झटका लगा है| इस फ़ैसले से, एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों ने नये समझौते के लिये गतिविधियाँ शुरू कर दी हैं| अमरीका के भूतपूर्व अधिकारियों ने, ट्रम्प का यह अध्यादेश मतलब ‘चीन की पहली जीत है,’ ऐसी तीखी प्रतिक्रिया दी है|

‘ट्रान्स-पैसिफीक-पार्टनरशीप’

चुनावप्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने, ‘टीपीपी’ बहुत बुरा समझौता है, यह समझौता जल्द से जल्द रद किया जायेगा, ऐसा वचन दिया था| राष्ट्राध्यक्षपद पर चयन होने के बाद ट्रम्प ने, ‘अमरीका फर्स्ट’ यह तत्त्व सामने रखकर १०० दिन का अजेंडा जारी किया था| इसमें ‘राष्ट्राध्यक्षपद का स्वीकार करने के बाद पहले दिन ‘ट्रान्स पैसिफीक पार्टनरशिप’ से पीछे हटने का अध्यादेश जारी किया जायेगा| इसके बदले अच्छे द्विपक्षीय व्यापारी समझौते के लिये बातचीत शुरू की जायेगी’, ऐसा वादा किया था| इसीके तहत सोमवार को राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस संदर्भ में अध्यादेश जारी कर दिया|

‘टीपीपी’ से पीछे हटने के लिये लंबे समय तक चर्चा शुरू थी| इस समझौते से बाहर निकलना, यह अमरिकी मज़दूरों के लिये एक ज़बरदस्त घटना है’, ऐसा ट्रम्प ने अध्यादेश पर दस्तखत करने के बाद कहा| अमरीका के मजदूर-संगठनो ने राष्ट्राध्यक्ष के फ़ैसले का स्वागत किया है| ट्रम्प के विरोधक और सिनेटर बर्नी सँडर्स ने भी ट्रम्प की प्रशंसा की है|

‘ट्रान्स-पैसिफीक-पार्टनरशीप’

लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के ज्येष्ठ नेता जॉन मॅक्कॅन और अमरीका के भूतपूर्व व्यापारप्रतिनिधी मायकल फ्रोमन ने, ‘टीपीपी’ से बाहर होने के फ़ैसले की ज़बरदस्त आलोचना की| मॅक्कॅन ने, ‘टीपीपी’ से अमरीका बाहर होने का फैसला यह ग़लती है| इसके भारी परिणाम एशिया-प्रशांत क्षेत्र के संबंधों पर होंगे, ऐसी चेतावनी दी| वहीं फ्रोमन ने, ट्रम्प का यह फ़ैसला यानी चीन की सबसे बड़ी जीत है, इसमें कोई दोराय नही, ऐसी टिप्पणी की है|

अमरीका ‘टीपीपी’ से बाहर होने का सबसे बड़ा झटका जापान को लगनेवाला है, ऐसा कहा जाता है| जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे ने पिछले हफ्ते अपनी संसद में ‘टीपीपी’ को मंज़ुरी दिलवायी थी| ‘अमरीका के नये प्रशासन को ‘टीपीपी’ में शामिल करने के लिये कोशिश करूँगा’ ऐसा वादा प्रधानमंत्री ऍबे ने किया था| लेकिन ट्रम्प के अध्यादेश से, जापान के सामने रहनेवाले विकल्प बंद होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं| ट्रम्प के चयन की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री ऍबे ने, ‘ ‘टीपीपी’ से यदि अमरीका बाहर हो जाती है, तो समझौते का कुछ मतलब ही नहीं होगा’ ऐसी अंतिम चेतावनी दी थी|

अमरीका के बाद जापान के लिये भी इस समझौते के दरवाजे बंद हुए है, ऐसा दिखायी दे रहा है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों ने नये समझौतों के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं| इनमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैंड और मलेशिया जैसे देशों ने पहल शुरू कर दी है| ये देश चीन के साथ समझौता करने के लिये उत्सुक हैं, ऐसा कहा जाता है| चीन ने ‘एशिया-प्रशांत’ क्षेत्र के देशों के लिये ‘रिजनल कॉम्प्रेहेन्सिव्ह इकौनॉमिक पार्टरनशीप’ (आरसीईपी) समझौते का प्रस्ताव रखा है|

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